Jitan Sahani Murder Case: नीतीश की पुलिस पर भरोसा नहीं! DGP से मुलाकात में VIP डेलीगेशन ने जांच पर उठाए सवाल
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Jitan Sahani Murder Case: नीतीश की पुलिस पर भरोसा नहीं! DGP से मुलाकात में VIP डेलीगेशन ने जांच पर उठाए सवाल

Jitan Sahani Murder Case:  मुकेश सहनी के चचेरे भाई पवन सहनी ने एडीजी को एक आवेदन पत्र देकर पुलिस जांच पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि पुलिस द्वारा मीडिया में दिए जा रहे बयान से जांच की दिशा भटक सकती है.

मुकेश सहनी के पिता जीतन सहनी की हत्या मामला

Jitan Sahani Murder Case: बिहार पुलिस ने 36 घंटे के अंदर ही विकासशील इंसान पार्टी (VIP) प्रमुख मुकेश सहनी के पिता जीतन सहनी की हत्या मामले का खुलासा कर दिया. पुलिस के अनुसार, पैसे के लेन-देन में जीतन सहनी की हत्या की गई थी. पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है और उसने भी अपना गुनाह स्वीकार कर लिया है. उधर दूसरी ओर इसी मामले में वीआईपी नेताओं के एक डेलीगेशन ने आज (गुरुवार, 18 जुलाई) पुलिस महानिदेशक से मुलाकात की. इस दौरान डेलीगेशन ने बिहार पुलिस की जांच पर सवाल उठाए. वीआईपी नेताओं ने डीजीपी को एक आवेदन पत्र देकर पुलिस पर जांच को भटकाने का प्रयास करने की आशंका जताई.

वीआईपी के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व आईपीएस अधिकारी ब्रजकिशोर सिंह और राष्ट्रीय प्रवक्ता देव ज्योति के नेतृत्व में इस शिष्टमंडल में पार्टी के कई नेता शामिल रहे. मुकेश सहनी के चचेरे भाई पवन सहनी ने एडीजी को एक आवेदन पत्र देकर पुलिस जांच पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि पुलिस द्वारा मीडिया में दिए जा रहे बयान से जांच की दिशा भटक सकती है. उन्होंने कहा कि जांच अभी तक अत्यंत ही प्रारंभिक अवस्था में है. मीडिया में  10 जुलाई की रात्रि का सीसीटीवी फुटेज चलाया जा रहा है, जिसमें बताया जा रहा है कि 10 से 15 लोग घटनास्थल के समीप लाठी-डंडे के साथ खड़े हैं. सवाल उठाया गया है कि क्या इन लोगों की पहचान करके इनसे पूछताछ की गई है. 

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वीआईपी नेताओं ने पूछा कि मीडिया में कुछ कागजात दिखाये जा रहे है. क्या ये कागजात तालाब से बरामद बॉक्स के अंदर से मिले है? अगर हाँ तो यह किसने दिया और देने वाले का मकसद कही अनुसंधान को भटकाने की मंशा तो नहीं है? इसकी जाँच होनी चाहिए. अगर ये कागजात बॉक्स के अंदर से नहीं मिले, तो फिर इन्हें कौन और किस कारण से वितरित कर रहा है. पत्र में आगे लिखा गया कि अभी तक पुलिस के अनुसार सिर्फ एक अपराधी पकड़ा गया है. अपराध में उपयोग किये गए हथियार की भी बरामदगी नही हो पायी है. फिर भी लगता है कि अनुसंधानकर्ता जल्दबाजी में अनुसंधान को बंद करना चाहता है. यह भी गौर तलब है कि अभी अन्य सह अभियुक्त आजाद हैं और उनसे पूछताछ नही हो पाया है. क्या एक मात्र अपराधी की बातों को मानकर अनुसंधान के निष्कर्ष पर पहुंचना उचित है?

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वीआईपी डेलीगेशन ने कहा कि जांच के बाद सबुतों के आधार पर ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचा जाए. उन्होंने पत्र में लिखा कि जब जांच में साक्ष्यों का संकलन किया जाये तथा जब सारे साक्ष्य इकट्ठे हो जाये तब उनका विश्लेषण करके निष्कर्ष पर पहुंचा जाये. अभी, जब साक्ष्य संकलन का कार्य चल ही रहा है तब हत्या के कारण के संबंध में निष्कर्ष पर शीघ्र पहुंच जाना न केवल जल्दबाजी है, बल्कि अनुसंधान की दिशा के भटकने की प्रबल संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है. इस मामले में किसी षड्यंत्र की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है.

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