नीतीश कुमार के जेडीयू का अध्यक्ष बनने से क्या बदल जाएगा?
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नीतीश कुमार के जेडीयू का अध्यक्ष बनने से क्या बदल जाएगा?

Bihar News: इंडिया ब्लॉक की चौथी बैठक के बाद उसी रात नीतीश कुमार पटना लौट गए थे और ललन सिंह अगले दिन लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव के साथ पटना लौटे थे. अब बात करते हैं कि नीतीश कुमार जब पार्टी के अध्यक्ष बन गए हैं और ललन सिंह पार्टी के बॉस नहीं रहे तो क्या बदल सकता है. 

सीएम नीतीश कुमार (File Photo)

Bihar News: इंडिया ब्लॉक की दिल्ली में हुई चौथी बैठक के बाद से ही ​नीतीश कुमार की नाराजगी की खबरें आ रही थीं. हालांकि कांग्रेस से लेकर राजद और खुद जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह ने नाराजगी की खबरों से इनकार किया था. बाद में नीतीश कुमार को भी बाहर आकर कहना पड़ा कि कोई नाराजगी नहीं है. हालांकि दिल्ली में इंडिया की बैठक के कुछ ही दिनों बाद नीतीश कुमार ने जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुला ली. कुछ देर बाद खबर आई कि नीतीश कुमार ने जेडीयू के राष्ट्रीय परिषद की भी बैठक बुलाई गई है. बैठक दिल्ली में होनी तय की गई. उसके बाद से जेडीयू के भीतर की उथलपुथल की खबरों पर फोकस होता चला गया. यह बात निकलकर आई कि राजद की ओर से तेजस्वी यादव को सीएम पद सौंपने का दबाव बढ़ रहा था और ललन सिंह राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के काफी करीब हो गए थे. 

इंडिया ब्लॉक की बैठक के बाद ही पटना लौट गए थे नीतीश कुमार 

लालू प्रसाद यादव से ललन सिंह के करीबी होने का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इंडिया ब्लॉक की चौथी बैठक के बाद उसी रात नीतीश कुमार पटना लौट गए थे और ललन सिंह अगले दिन लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव के साथ पटना लौटे थे. अब बात करते हैं कि नीतीश कुमार जब पार्टी के अध्यक्ष बन गए हैं और ललन सिंह पार्टी के बॉस नहीं रहे तो क्या बदल सकता है. 

नीतीश कुमार ने पार्टी में खुद को और मजबूत कर लिया

इस कवायद से सबसे बड़ी बात यह हुई है कि नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी में खुद को और मजबूत कर लिया है. दूसरी सबसे बड़ी बात यह होगी कि अब राजद या लालू प्रसाद यादव की ओर से जो भी बात करनी होगी, केवल और केवल नीतीश कुमार से करनी होगी. ललन सिंह से करीबी होने का फायदा लालू प्रसाद या तेजस्वी यादव को नहीं मिल पाएगा. 

बिहार में भी हो सकता है खेला 

इसके अलावा, एक बात और बदलेगी कि अगर बीजेपी को जेडीयू से तालमेल बढ़ानी होगी तो केवल और केवल नीतीश कुमार से बात करनी होगी. ललन सिंह से बात होती तो खेल खराब हो सकता था और बात लालू प्रसाद यादव और उनकी फैमिली तक पहुंच सकती थी. भाजपा अब नीतीश कुमार से सीधे बात कर सकती है और संभव हुआ तो बिहार में खेला भी हो सकता है. 

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कांग्रेस और राजद से प्रेशर पॉलिटिक्स

नीतीश कुमार के अध्यक्ष बनने से एक बात और होगी कि कांग्रेस इंडिया ब्लॉक में मनमानी नहीं कर पाएगी. कांग्रेस और राजद दोनों दलों को इस बात का डर रहेगा कि नीतीश कुमार पाला बदल सकते हैं या फिर भाजपा उन्हें अपने साथ ले सकती है. नीतीश कुमार इसी डर के सहारे कांग्रेस और राजद से प्रेशर पॉलिटिक्स कर सकते हैं.

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ललन सिंह से नाराज होकर कई नेता जेडीयू छोड़कर गए

ललन सिंह से नाराज होकर जो भी नेता जेडीयू छोड़कर गए हैं, वे वापस पार्टी में आ सकते हैं. नीतीश कुमार से इन नेताओं की कोई नाराजगी नहीं है. ये नेता ललन सिंह से नाराज होकर पार्टी छोड़कर गए थे. अब जबकि ललन सिंह अध्यक्ष नहीं रहेंगे और पार्टी में उनकी चलेगी ही नहीं तो इन नेताओं की वापसी में कोई रोड़ा नहीं होना चाहिए.

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