देश में जहां आए दिन बांग्लादेशी घुसपैठियों का मामला सामने आता रहता हैं. जिसका सबसे सेफ जोन साहिबगंज जिला से सटा बांग्लादेश का बॉर्डर कहा जाता. वहीं साहिबगंज जिले में वर्षों पूर्व तत्कालीन भारत सरकार और बिहार सरकार के निर्देश पर बांग्लादेश से आए बांग्लादेशी हिंदू शरणार्थी को बेघर करने की साजिश हो रही हैं.
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साहिबगंजः देश में जहां आए दिन बांग्लादेशी घुसपैठियों का मामला सामने आता रहता हैं. जिसका सबसे सेफ जोन साहिबगंज जिला से सटा बांग्लादेश का बॉर्डर कहा जाता. वहीं साहिबगंज जिले में वर्षों पूर्व तत्कालीन भारत सरकार और बिहार सरकार के निर्देश पर बांग्लादेश से आए बांग्लादेशी हिंदू शरणार्थी को बेघर करने की साजिश हो रही हैं. जिसकी आवाज झारखंड विधानसभा में भी राजमहल विधायक अनंत ओझा ने उठाई है.
दरअसल, साहिबगंज जिले के राजमहल थाना क्षेत्र के पूर्वी नारायणपुर के मुर्गी टोला के तकरीबन 650 हिन्दू परिवारों को अपने ही घर से बेघर होने का डर सता रहा है. जिसके बाद उपायुक्त रामनिवास यादव ने कहा कि राजमहल थाना क्षेत्र के पूर्वी नारायणपुर मौजा के मुर्गी टोला में निवास कर रहे. किसी भी परिवार को घर से बेघर या विस्थापित नहीं किया जायेगा और डरने की जरूरत नहीं है. उन्होंने बताया कि हाई कोर्ट में 1980 के दशक से ही मामला चल रहा है और जमीन अंसर्वेड है, इसकी जांच जारी है. न्यायालय के आदेश पर कुछ भूमि का सीमांकन होना है, जो किया जायेगा.
बता दें कि हाई कोर्ट के निर्देश के आलोक में राजमहल प्रशासन की ओर से गांव के उन हिंदू परिवारों, जहां वे सभी निवास कर रहे है और अन्य भूमि को खेती के लिए उपयोग कर रहे है. वैसी भूमि को बीते शनिवार को सीमांकन करने पदाधिकारी पूर्वी नारायणपुर गांव पहुंची और संबंधित इलाके की जमीन का नापी कार्य शुरू किया. हालांकि नापी कार्य का हिंदू परिवारों ने पुरजोर विरोध किया. जिसके बाद नापी कार्य को बीच में ही रोक दिया गया था.
650 हिन्दू परिवारों को सता रहा बेघर होने का डर
वहीं पूर्वी नारायणपुर के मुर्गी टोला में निवास कर रहे सैकड़ों शरणार्थी हिंदू परिवारों का कहना है कि वर्ष 1965 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान उस समय के पूर्वी पाकिस्तान और वर्तमान बांग्लादेश के इलाके से आए हिंदू परिवार साहिबगंज जिला पहुंचे थे. जिनको सरकार की ओर से उस इलाके में वास करवाया गया था. यहां के ग्रामीणों की मानें तो वर्ष 1971 में देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी के कार्यकाल में उन लोगों को भारत की नागरिकता दिलाई गई थी. इसके बाद वर्ष 1987 में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय कर्पूरी ठाकुर के कार्यकाल में पूर्वी नारायणपुर का लगभग 25 सौ बीघा जमीन अधिकृत कर उन लोगों को सरकार की ओर से कागजात दिये गये थे, लेकिन अब उस जमीन का नापी कर हिंदू परिवार को बेघर करने की साजिश से लगभग 650 से 700 हिंदू परिवार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं.
इनपुट- पंकज वर्मा
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