Jharkhand News: मनरेगा घोटाले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर दाखिल एक जनहित याचिका पर सुनवाई की अदालत ने निर्देश दिए हैं. ईडी इस मामले की जांच तय सीमा के भीतर करें, मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा एवं न्यायाधीश आनंद सेन की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की दलीलों को बेहद गौर से सुना इसके बाद अपना फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार को निर्देशित करने का काम करें.
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रांची : झारखंड हाई कोर्ट ने मनरेगा मामले में एक बड़ा फैसला लिया है. दरअसल, कोर्ट ने ईडी को मनरेगा घोटाले की रिपोर्ट सौंप एक माह यानी 31 सितंबर तक जांच पूरा करने के निर्देश दिया है. बता दें कि कुल 490 करोड़ रुपए के गबन से मामला जुड़ा है. इस मामले में आधा दर्जन दर्जन से ज्यादा आईएएस अधिकारी भी आरोपी है.
झारखंड हाई कोर्ट ने मंगलवार को एक बड़ा फैसला देते हुए चाईबासा मनरेगा घोटाले की जांच को ईडी के हवाले कर दिया है. झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा और न्यायाधीश आनंद सेन की खंडपीठ ने मंगलवार को चाईबासा जिले में हुए 28 करोड रुपए के मनरेगा घोटाले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर दाखिल एक जनहित याचिका पर सुनवाई की अदालत ने निर्देश दिए हैं. परावर्तन निदेशालय यानी ईडी इस मामले की जांच तय सीमा के भीतर करें, मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा एवं न्यायाधीश आनंद सेन की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की दलीलों को बेहद गौर से सुना इसके बाद अपना फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार को निर्देशित किया है. इस मामले में दर्ज की गई अब तक की सारी एफआईआर की कॉपी ईडी को सौंपी जाए वही ईडी इस मामले की जांच एक माह में पूरी करें और छानबीन के बाद अगले एक्शन की जानकारी 31 सितंबर तक कोर्ट को सुपुर्द करें मामले की अगली सुनवाई 31 सितंबर निर्धारित की गई है.
प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने पक्ष रखा इससे पहले अदालत ने राज्य सरकार को संबंधित मामलों में दर्ज केस में चल रही छानबीन का अपडेट देने को कहा था लेकिन राज्य सरकार की ओर से जवाब पेश नहीं किया गया सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत को जानकारी दी है कि वर्ष 2008- 2009, 2009- 2010, 2010 से 11 के वित्तीय वर्ष में लगभग 28 करोड़ रुपए की वित्तीय गड़बड़ी मनरेगा के तहत की गई मामले में चाईबासा पुलिस की ओर से 14 केस दर्ज किया जा चुके हैं बाद में मामले की जांच का जिम्मा पुलिस से लेकर एसीबी को दिया गया.
एसीबी की जांच में भी कोई कार्रवाई नहीं नजर आई याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया है की धरातल पर किसी तरह का कोई काम नहीं किया गया और लोगों को अग्रिम भुगतान कर दिया गया. इस मामले को लेकर याचिकाकर्ता मतलुम इमाम ने साल 2013 में हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर किया था अदालत ने उस याचिका की निष्पादित कर दी थी. याचिकाकर्ता मतलूम इमाम ने फिर से 2021 में जनहित याचिका दाखिल कर किया था अदालत ने उसी पर सुनवाई की है.
इनपुट- आयुष कुमार सिंह