मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता पर शुक्रवार को राज्यपाल का फैसला आ सकता है. इस बीच, सत्ताधारी गठबंधन इन विकल्पों पर विचार कर रहा है.
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रांची: उथल-पुथल में फंसी झारखंड की राजनीति के लिए शुक्रवार का दिन बेहद अहम साबित होने वाला है. जैसी कि खबर है, निर्वाचन आयोग ने ऑफिस ऑफ प्राॉफिट मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद्द करने के संबंध में अपना मंतव्य राजभवन को दिया है.
राज्यपाल रमेश बैस गुरुवार दोपहर दिल्ली से रांची लौटे तो सबकी निगाहें राजभवन पर टिकी रहीं. संभावना जतायी जा रही थी कि राजभवन किसी भी क्षण आयोग की सिफारिश के अनुसार आदेश जारी कर सकता है, लेकिन देर शाम तक कोई आदेश नहीं आया.
चुनाव आयोग ने राज भवन को क्या मंतव्य भेजा है, इस बारे में अब तक आधिकारिक तौर पर स्पष्ट नहीं हो पाया है. अब संभावना जतायी जा रही है कि राज्यपाल रमेश बैस इस सिफारिश पर शुक्रवार को आदेश जारी कर सकते हैं.
गौरतलब है कि हेमंत सोरेन (Hemant Soren) सीएम रहते हुए अपने नाम पर माइन्स लीज लिया था. पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास और भाजपा ने इसे ऑफिस ऑफ प्रॉफिट और जन प्रतिनिधित्व कानून का उल्लंघन बताते हुए राज्यपाल रमेश बैस को लिखित शिकायत की थी. इस पर राज्यपाल ने केंद्रीय निर्वाचन आयोग से मंतव्य मांगा था.
निर्वाचन आयोग ने इस मुद्दे पर सुनवाई के बाद राज्यपाल को मंतव्य भेज दिया है, जिसपर राज्यपाल को निर्णय लेना है.
राज्यपाल के संभावित निर्णय को लेकर हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाले सत्ताधारी गठबंधन यानी यूपीए में रणनीति तय करने के लिए बैठकों का दौर जारी है. सत्ताधारी गठबंधन के सभी विधायकों को राजधानी में रहने का निर्देश दिया गया है.
हेमंत सोरेन के लिए अगर इस्तीफा देने की नौबत आती है, तो यूपीए के सामने क्या विकल्प होंगे, इसपर मंथन का दौर लगातार जारी है. कानूनी जानकारों से भी सलाह ली जा रही है. सत्ताधारी गठबंधन इस संबंध में सभी संभावित विकल्पों पर रणनीति बनाने में जुटा है.
जानकारों के मुताबिक सबसे पहला विकल्प यह है कि राज्यपाल का फैसला प्रतिकूल होने पर हेमंत सोरेन सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) जाकर त्वरित सुनवाई की गुहार लगा सकते हैं. दूसरा विकल्प यह कि अगर आयोग ने हेमंत सोरेन को आगे चुनाव लड़ने के लिए डिबार न किया हो तो वह इस्तीफा देकर फिर से सरकार बनाने का दावा पेश करके दुबारा मुख्यमंत्री बन सकते हैं, क्योंकि उनके गठबंधन के पास फिलहाल पर्याप्त बहुमत है.
झारखंड में सरकार में बने रहने के लिए 42 विधायकों का संख्या बल जरूरी होता है, जबकि हेमंत सोरेन को माइनस करने के बाद भी मौजूदा सत्ताधारी गठबंधन के पास 50 का संख्या बल है. तीसरा विकल्प यह कि हेमंत सोरेन के अयोग्य घोषित होने और चुनाव लड़ने से डिबार किये जाने की स्थिति में उनकी पत्नी कल्पना सोरेन, मां रूपी सोरेन या भाभी सीता सोरेन को गठबंधन का नया नेता यानी मुख्यमंत्री चुना जा सकता है.
चौथी संभावना यह कि हेमंत सोरेन के परिवार से इतर पार्टी के किसी वरिष्ठ विधायक को नया नेता चुन लिया जाये. बहरहाल, सबकी निगाहें शुक्रवार को राजभवन से जारी होनेवाले संभावित आदेश पर टिकी हैं.
(आईएएनएस)