आदिवासी समन्वय समिति के बैनर तले करीब एक दर्जन आदिवासी संगठनों ने प्रस्तावित समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के विरोध में बीते दिन शनिवार को भाजपा मुख्यालय के पास प्रदर्शन किया.
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रांची: आदिवासी समन्वय समिति के बैनर तले करीब एक दर्जन आदिवासी संगठनों ने प्रस्तावित समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के विरोध में बीते दिन शनिवार को भाजपा मुख्यालय के पास प्रदर्शन किया. यूसीसी का मुद्दा देश में गर्माया हुआ है.
यूसीसी पर आदिवासी
आदिवासी संगठनों के सदस्य राज्य भाजपा मुख्यालय की ओर से मार्च करने से पहले रांची के हरमू मैदान में एकत्र हुए. मार्च के दौरान उन्होंने ‘आदिवासियों का शोषण बंद करो’ जैसे नारे लगाए.
'ये आदिवासियों के अस्तित्व के लिए है खतरा'
हालांकि, प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने भाजपा मुख्यालय से पहले ही रोक दिया, जहां उन्होंने लगभग एक घंटे तक धरना-प्रदर्शन किया. आदिवासी जन परिषद के अध्यक्ष प्रेम साही मुंडा ने कहा, ‘सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) का प्रस्ताव कर रही है, जो आदिवासियों के अस्तित्व के लिए खतरा है. यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) भारतीय संविधान द्वारा हमें दिए गए आदिवासी परंपरागत कानूनों और अधिकारों को कमजोर कर देगी.’
आपको बता दें कि भारत सरकार द्वारा समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए भारतीय विधि आयोग द्वारा सुझाव और विचार मांगे जा रहे है. इसी दौरान झारखंड आदिवासी अधिकार रक्षा मंच का कहना है कि यूसीसी आदिवासी समुदाय के लोगों को दिए गए विशेष अधिकारों का हनन कर देगा.
UCC के विरोध में क्यों आदिवासी?
दरअसल, यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने से देश में सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून होगा. इसलिए आदिवासियों को डर है कि इससे आदिवासी समुदाय के लोगों को दिए गए विशेष अधिकारों का हनन न हो जाए और ये उनकी परंपराओं को भी खत्म कर देगा. अलग-अलग आदिवासी समुदायों में अलग-अलग परंपराएं हैं.
इनपुट- भाषा के साथ
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