उपचुनाव नतीजे: इन पार्टियों को 'दिवाली गिफ्ट', BJP को बड़ा झटका; जानें इसके मायने
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उपचुनाव नतीजे: इन पार्टियों को 'दिवाली गिफ्ट', BJP को बड़ा झटका; जानें इसके मायने

वैसे तो हर राज्य के नतीजों के पीछे अलग-अलग कारण हो सकते हैं. उनका अलग-अलग प्रभाव हो सकता है लेकिन देश के स्तर पर इन नतीजों का विश्लेषण मोदी सरकार के समर्थन और विरोध के रूप में भी किया जा रहा है.

उपचुनाव नतीजे: इन पार्टियों को 'दिवाली गिफ्ट', BJP को बड़ा झटका; जानें इसके मायने

नई दिल्ली: मंगलवार को देश में लोक सभा की तीन और विधान सभाओं की 29 सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे आए हैं. दिवाली से पहले आए इन नतीजों में किसी की फुलझड़ी फुस्स हो गई है तो किसी के पटाखों के धमाके गूंजे हैं. ये नतीजे क्या कहते हैं. कहां जनता ने एनडीए के शासन का साथ दिया और कहां विपक्ष कामयाब रहा. आइए जानते हैं.

मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और दादरा नगर हवेली में एक-एक लोक सभा सीट पर उपचुनाव हुए. जबकि असम की पांच, बंगाल की चार, मध्य प्रदेश, मेघालय और हिमाचल की तीन-तीन, राजस्थान, बिहार और कर्नाटक की दो-दो, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, मिजोरम और तेलंगाना की एक-एक विधान सभा सीटों के नतीजे आए. 

उपचुनाव नतीजों के मायने

देश में मध्य प्रदेश की खंडवा लोक सभा सीट, हिमाचल प्रदेश की मंडी लोक सभा सीट और दादरा नगर हवेली की लोक सभा सीट पर उपचुनाव के नतीजे आए हैं. इनमें मध्य प्रदेश की खंडवा सीट बीजेपी को हिमाचल प्रदेश की मंडी सीट कांग्रेस को और दादरा नगर हवेली की सीट शिवसेना के खाते में गई. 

लोक सभा उपचुनावों के नतीजे

अगर लोक सभा सीटों की बात की जाए इन तीन सीटों के नतीजों में एमपी के खंडवा में बीजेपी ने अपनी सीट बचा ली जो सांसद नंदकुमार सिंह चौहान के निधन से खाली हुई थी. इधर, हिमाचल प्रदेश की मंडी लोकसभा सीट जो बीजेपी के सांसद राम स्वरूप शर्मा के निधन से खाली हुई थी वो अब कांग्रेस के खाते में चली गई है, जो बीजेपी के लिए झटका है. दादरा नगर हवेली की सीट से शिवसेना को दिवाली गिफ्ट मिलता दिख रहा है.

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विधान सभा उपचुनावों के नतीजे

देश में 13 राज्यों की 29 विधान सभा सीटों पर उपचुनाव के नतीजे घोषित हुए हैं. जिनमें कुल टैली देखी जाए तो NDA के खाते में 13 सीटें ही जाती दिख रही हैं और गैर NDA यानी विपक्षी दलों के खाते में 16 सीटें. इस लिहाज से देखा जाए तो एनडीए को दिवाली बोनस थोड़ा कम मिला पाया है और अगर इन चुनाव नतीजों का राज्यवार विश्लेषण करें तो बीजेपी के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण संदेश या जनादेश हिमाचल प्रदेश से मिला है.

कांग्रेस की बल्ले-बल्ले- BJP को झटका

हिमाचल प्रदेश में मंडी लोक सभा सीट बीजेपी की सिटिंग सीट थी वो कांग्रेस के खाते में चली गई है. हिमाचल प्रदेश की फतेहपुर बीजेपी की विधान सभा सीट थी जो कांग्रेस के खाते में चली गई. जुग्गल कोटखाई भी बीजेपी की असेंबली सीट थी वो भी कांग्रेस के खाते में गई और अर्की की सीट पर पहले भी कांग्रेस काबिज थी और अब भी कब्जा बरकरार रखा है. मतलब बीजेपी ने दो सिटिंग विधान सभा और एक सिटिंग लोक सभा की सीट हिमाचल प्रदेश में गंवा दी है. हिमाचल प्रदेश के चुनाव नतीजे बीजेपी के लिए, खासकर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली सरकार के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं. क्योंकि अगले साल हिमाचल प्रदेश में चुनाव है और चुनाव से ठीक पहले बीजेपी का ये प्रदर्शन बड़ी चुनौती पेश करता दिख रहा है.

जीत से विपक्ष के हौसले बुलंद

हिमाचल प्रदेश के अलावा उपचुनाव के नतीजों से गैर बीजेपी दलों यानी कि विपक्ष के हौसले और तीन राज्यों में साफ-साफ बढ़े हैं. बिहार में भी आरजेडी, जेडीयू से एक सीट झटकने में कामयाब होती दिख रही है. इनमें राजस्थान में कांग्रेस और पश्चिम बंगाल में तो टीएमसी ने एनडीए को खाता नहीं खोलने दिया है. राजस्थान की दोनों सीटें कांग्रेस ने कब्जा किया है और पश्चिम बंगाल की चारों विधान सभा सीटें ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने जीत ली हैं.

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उपचुनाव में जीत को जहां कांग्रेस केंद्र की मोदी सरकार की नीतियों, महंगाई, बेरोजगारी और किसान जैसे मुद्दों से जोड़ रही है. वहीं बीजेपी कुछ जगहों पर हुई हार के पीछे स्थानीय मुद्दों और समीकरणों को बड़ा कारण मान रही है क्योंकि मध्य प्रदेश में तीन विधान सभा सीटों और एक लोक सभा सीट में से बीजेपी ने लोक सभा सीट और दो विधान सभा सीटों पर कब्जा बरकरार रखा है. एमपी की एक सीट कांग्रेस के खाते में गई है तो ऐसे ही परिणाम असम से भी आए हैं जहां पांचों विधान सभा सीटों में से तीन पर बीजेपी और 2 पर बीजेपी की सहयोगी पार्टियों ने जीत हासिल की है.

इन उपचुनावों में बड़ी चर्चा बिहार की भी हुई क्योंकि बिहार में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है और मुख्यमंत्री जेडीयू के नीतीश कुमार हैं. ऐसे में एनडीए की सरकार के खिलाफ आरजेडी ने बड़ी चुनौती पेश की थी. बुजुर्ग और बीमार चल रहे लालू यादव तक को चुनाव प्रचार के मैदान में उतार दिया था. आरजेडी ने पूरी ताकत से ये चुनाव लड़ने की कोशिश की थी और उसे जीत का भरोसा भी था. यहां तक कि लालू यादव ने कांग्रेस को भी काफी भला बुरा कह दिया था. आरजेडी का ये आक्रामक प्रचार और चुनावी रणनीति कुछ हद तक कामयाब भी रही और नीतीश कुमार की पार्टी अपनी 2 सिटिंग सीटों में से एक सीट ही बचा सकी. दूसरे की जद्दोजहद जारी है. बिहार के अलावा महाराष्ट्र, आंध्र, कर्नाटक, तेलंगाना, हरियाणा, मेघालय और मिजोरम में भी विधान सभा सीटों पर उपचुनाव के नतीजे आए हैं जिनमें ज्यादातर सीटें गैर एनडीए दलों के खाते में ही गई हैं.

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