देश में 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं (CBSE 12th Exam 2021) पर 31 मई के बाद कोई बड़ा फैसला हो सकता है. केंद्र सरकार ने सभी राज्यों से इस संबंध में 25 मई तक विस्तृत सुझाव भेजने के लिए कहा है.
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नई दिल्ली: देश में 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं (CBSE 12th Exam 2021) पर 31 मई के बाद कोई बड़ा फैसला हो सकता है. केंद्र सरकार ने सभी राज्यों से इस संबंध में 25 मई तक विस्तृत सुझाव भेजने के लिए कहा है. इन सुझावों का विश्लेषण करके सरकार 1 जून तक अपने फैसले का ऐलान कर देगी.
बारहवीं की बोर्ड परीक्षाओं पर फैसला लेने के लिए रविवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) की अध्यक्षता में राज्यों के शिक्षा मंत्रियों की बैठक आयोजित की गई. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई इस बैठक में निशंक के अलावा केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, प्रकाश जावड़ेकर, शिक्षा राज्य मंत्री संजय धोत्रे के अलावा प्रदेशों के शिक्षा मंत्रियों और सचिवों ने भी हिस्सा लिया.
कई घंटे तक चली इस बैठक में कोई फैसला नहीं हो सका. दिल्ली समेत कई राज्यों ने फिलहाल के हालात में परीक्षा न कराने की बात कही. वहीं कई राज्यों ने कहा कि हालात ठीक होने पर परीक्षाएं कराई जा सकती हैं.
बैठक के बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने ट्वीट कहा कि मीटिंग काफी सार्थक रही और उन्हें काफी मूल्यवान सुझाव प्राप्त हुए. उन्होंने कहा, ‘मैंने राज्य सरकारों से 25 मई तक विस्तृत सुझाव भेजने का आग्रह किया है.’
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा, ‘मुझे विश्वास है कि हम 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा (CBSE 12th Exam 2021) के संबंध में सुविचारित एवं सामूहिक निर्णय तक पहुंचेंगे. हम 1 जून तक अंतिम फैसले की जानकारी देकर छात्रों और अभिभावकों के मन की अनिश्चितता को समाप्त कर सकेंगे.’
I thank all the Hon'ble Chief Ministers, Education Ministers, and officers associated with the world's largest education system for participating in the high-level meeting chaired by Hon'ble Minister of Defence Shri @rajnathsingh Ji. pic.twitter.com/i4e8p5lH90
— Dr. Ramesh Pokhriyal Nishank (@DrRPNishank) May 23, 2021
उन्होंने कहा, ‘हम इस बात पर जोर देना चाहते हैं कि छात्रों और शिक्षकों की सुरक्षा हमारे लिये सबसे अधिक महत्वपूर्ण है.’ उन्होंने इस उच्चस्तरीय बैठक में हिस्सा लेने के लिये राज्यों के शिक्षा मंत्रियों एवं अधिकारियों को धन्यवाद दिया.
अधिकारियों के अनुसार, बैठक में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) के प्रस्तावित विकल्पों और उन्हें लागू करने के तरीकों के बारे में चर्चा की गई. अधिकारियों ने बताया कि यह प्रस्ताव किया गया कि मुख्य विषयों की परीक्षा वर्तमान प्रारूप में कराई जाए. वहीं बाकी विषयों के लिए ऑफलाइन परीक्षा आयोजित की जाए. बोर्ड ने कहा कि इस विकल्प के लिए केंद्रों की संख्या बढ़ायी जा सकती है .
उन्होंने बताया कि दूसरा विकल्प परीक्षा पैटर्न में बदलाव को लेकर तैयार किया गया है. इसके तहत परीक्षा छात्रों के घर पर आयोजित करने का विकल्प सुझाया गया. इसके लए परीक्षा की अवधि को 3 घंटे से घटाकर 90 मिनट करने और वस्तुनिष्ठ प्रश्न पूछने की बात कही गई. इस प्रारूप में छात्रों को चार में से किसी तीन विषय की परीक्षा देने का विकल्प होगा.
वहीं, दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) ने रविवार को कहा कि दिल्ली सरकार सीबीएसई द्वारा 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा (CBSE 12th Exam 2021) कराने के लिए विकल्पों की तलाश किए जाने के पक्ष में नहीं है. उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों का टीकाकरण कराए बिना 12वीं की बोर्ड परीक्षा कराना बड़ी भूल साबित होगी. सिसोदिया ने कहा, ‘पूरे देश में 12वीं कक्षा के 1.5 करोड़ विद्यार्थी हैं और उनमें से 95 प्रतिशत की उम्र 17.5 साल से अधिक है. केंद्र को विशेषज्ञों से बात करनी चाहिए कि क्या उन्हें कोविशील्ड या कोवैक्सीन की खुराक दी जा सकती है.’
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वहीं, तमिलनाडु सरकार ने प्रस्ताव दिया कि कोविड-19 की स्थिति सुधरने के बाद राज्य में परीक्षा कराई जा सकती है. राज्य के शिक्षा मंत्री अनबिल महेश पोयामोझी ने बैठक के बाद कहा, ‘अन्य राज्यों की तरह तमिलनाडु भी 12वीं बोर्ड परीक्षा आयोजित करना चाहता है. यह छात्रों के करियर को लेकर महत्वपूर्ण है.’ कर्नाटक के शिक्षा मंत्री एस सुरेश कुमार ने भी कहा कि छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए 12वीं कक्षा की परीक्षा आयोजित करना जरूरी है.
बताते चलें कि CBSE ने 14 अप्रैल को 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं (CBSE 12th Exam 2021) स्थगित कर दी थीं. साथ ही 10वीं कक्षा की बोर्ड की परीक्षा को रद्द कर दिया गया था. यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हुई बैठक में किया गया था. ये परीक्षाएं 4 मई से 14 जून के बीच होनी थीं. इसी तरह, राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA) और अन्य राष्ट्रीय परीक्षा आयोजित करने वाले संस्थानों ने भी व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए अपनी प्रवेश परीक्षाओं को स्थगित कर दिया था.
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