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नई दिल्ली: तमिलनाडु के नीलगिरी जिले के कुन्नूर के पास दुर्घटनाग्रस्त हुए भारतीय वायु सेना के हेलीकॉप्टर Mi-17V5 (IAF Helicopter Mi-17V5) का ब्लैक बॉक्स मिल गया है और जांच के बाद हादसे की असली वजह सामने आएगी. बता दें कि चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ जनरल बिपिन रावत को कुन्नूर से वेलिंग्टन ले जा रहा हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया था. इस हादसे में जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी समेत 13 लोगों का निधन हो गया था. दुर्घटनाग्रस्त हेलीकॉप्टर का ब्लैक बॉक्स मिल गया है, लेकिन क्या आपको पता है कि ब्लैक बॉक्स (Black Box) आखिर क्या होता है और यह कैसे काम करता है?
ब्लैक बॉक्स (Black Box) एक इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्डिंग डिवाइस होती है, जो हर प्लेन या हेलीकॉप्टर में लगा होता है और उड़ान के दौरान सारी गतिविधियों को रिकॉर्ड करता है. इसी वजह से इसे फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर (FDR) भी कहा जाता है. इसे फिट करने का मकसद ही यही होता है कि किसी दुर्घटना के बाद जांच में सुविधा हो और क्रैश या दुर्घटना के कारणों का पता लगाया जा सके.
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किसी भी दुर्घटना या क्रैश के बाद भी ब्लैक बॉक्स (Black Box) सुरक्षित रहे, इसके लिए इसे सबसे मजबूत धातु टाइटेनियम से बनाया जाता है. इसके साथ ही इसके भीतर की दीवार को भी काफी मजबूत बनाया जाता है, ताकि कभी किसी दुर्घटना के होने पर भी ब्लैक बॉक्स सेफ रहे.
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Mi-17 उड़ा चुके ग्रुप कैप्टन (रिटायर्ड) अमिताभ रंजन ने Zee News से बात करते हुए बताया, 'असल में विमानों में लगा ब्लैक बॉक्स ऑरेंज कलर का होता है.' उन्होंने बताया, 'ब्लैक बॉक्स के लिए काले रंग का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है और यह नारंगी रंग का होता है. इसे ऑरेज कलर का इसलिए बनाया जाता है, ताकि विमान के क्रैश होने के बाद इसे आसानी से रिकवर किया जा सके.'
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एरोनॉटिकल रिसर्चर डेविड वॉरेन ने साल 1954 में ब्लैक बॉक्स (Black Box) का आविष्कार किया था और इसकी भीतरी दीवार के काले होने की वजह से इसे ब्लैक बॉक्स कहा जाने लगा. इसके अलावा इसे ब्लैक बॉक्स कहे जाने के पीछे की कोई खास वजह नहीं है.
किसी भी एयरक्राफ्ट के पीछे का हिस्सा सबसे सुरक्षित माना जाता है और यही वजह है कि ब्लैक बॉक्स को एयरक्राफ्ट की टेल यानी इसके पिछले हिस्से में फिट किया जाता है. ब्लैक बॉक्स में फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर (FDR) और कॉकपिट व्यॉइस रिकॉर्डर (CVR) दो अहम हिस्से होते हैं. एफडीआर में फ्लाइट का सारा डाटा होता है, जैसे कि प्लेन किस तरह मुड़ रहा था, किस तरह वह नीचे आ रहा था, उसकी स्पीड कितनी थी, फ्यूल कितना था, ऊंचाई कितनी थी और इंजन पर कितना दबाव था. इसके अलावा सीवीआर में कॉकपिट की गतिविधियां रिकॉर्ड होती हैं. इसमें पायलट की बातचीत से लेकर एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) और केबिन क्रू की बातचीत भी रिकॉर्ड होती है.
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