सर्जिकल स्ट्राइक के चाणक्य माने जाते थे बिपिन रावत, आतंकियों के लिए काल बना था ये एक फैसला
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सर्जिकल स्ट्राइक के चाणक्य माने जाते थे बिपिन रावत, आतंकियों के लिए काल बना था ये एक फैसला

21वीं सदी में जब हिंदुस्तान बदल रहा है और सेना के साहस की पूरी दुनिया में चर्चा है तो इसका एक बड़ा श्रेय जनरल बिपिन रावत (Bipin Rawat) को जाता है. जनरल रहते हुए उन्होंने कई ऐसे कदम उठाए जो ऐतिहासिक रहे. उसके बाद बतौर सीडीएस उन्होंने सेना में बदलाव को लेकर कई अहम पहल किए.

सर्जिकल स्ट्राइक के चाणक्य माने जाते थे बिपिन रावत, आतंकियों के लिए काल बना था ये एक फैसला

नई दिल्ली: भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत (CDS General Bipin Rawat) के निधन से हर देशवासी सदमे में है. किसी को भी यकीन नहीं हो रहा कि दुश्मनों के हौसले पस्त कर देने वाले बिपिन रावत अब नहीं रहे. बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत के पार्थिव शरीर आज (9 दिसंबर) सैन्य विमान से दिल्ली पहुंचेंगे और जनरल रावत का पार्थिव शरीर उनके आवास पर आम लोगों के दर्शन के लिए रखा जाएगा. लोग कल सुबह 11 बजे से दोपहर दो बजे तक आखिरी सलामी दे सकेंगे. कल दिल्ली में जनरल रावत और उनकी पत्नी का अंतिम संस्कार किया जाएगा.

  1. आधुनिक सेना के 'शिल्पकार' थे बिपिन जनरल रावत
  2. सेना में महिलाओं की एंट्री दिलाने में अहम भूमिका
  3. आतंकियों के लिए काल थे जनरल बिपिन रावत

आधुनिक सेना के 'शिल्पकार' थे जनरल रावत

जनरल बिपिन रावत (General Bipin Rawat) ने हमेशा सेना के आधुनिकीकरण पर जोर दिया और हमेशा सेना के बेहतरी के लिए काम किया. उन्होंने सेना में महिलाओं की ज्यादा से ज्यादा भागीदारी बढ़ाने के हरसंभव कोशिश की. इसीलिए उन्हें आधुनिक सेना का शिल्पकार भी कहा जाता है. 21वीं सदी में जब हिंदुस्तान बदल रहा है और सेना के साहस की पूरी दुनिया में चर्चा है तो इसका एक बड़ा श्रेय जनरल बिपिन रावत को जाता है. जनरल रहते हुए उन्होंने कई ऐसे कदम उठाए जो ऐतिहासिक रहे. उसके बाद बतौर सीडीएस उन्होंने सेना में बदलाव को लेकर कई अहम पहल किए.

जनरल बिपिन रावत किए कई बदलाव

सेना को और आधुनिक बनाने के लिए दशकों से कई अहम बदलाव की मांग की जाती रही है. जनरल बिपिन रावत ने सेना की इन जरूरतों को समझते हुए कई अहम बदलाव किए. नए-नए तकनीकों को लागू करने से लेकर नए हथियारों को सेना में शामिल करने के लिए जनरल बिपिन रावत ने लगातार प्रयास किया. बतौर सीडीएस आर्मी के हथियारों को अपग्रेड करने के लिए स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप मॉडल पर बिपिन रावत की निगरानी में ही काम चल रहा था. इस मॉडल के तहत सरकार ने प्राइवेट कंपनियों को विदेशी हथियार निर्माताओं के साथ मिलकर फाइटर जेट्स, हेलिकॉप्टर, सबमरीन और टैंकों को साझा तौर पर बनाने की अनुमति दी थी. बिपिन रावत हमेशा कहते थे सेना को समय के लिहाज से आधुनिक करना बेहद जरूरी है.

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सेना में महिलाओं की एंट्री दिलाने में अहम भूमिका

भारतीय सेना में पूरी तरह से महिलाओं को एंट्री दिलाने में बिपिन रावत की भूमिका अहम रही है. अभी तक सेना में महिलाएं तो थीं, लेकिन उनकी भूमिका सीमित थी. वो केवल कुछ पदों के ही चुनी जाती थीं. साथ ही उन्हें स्थाई कमीशन नहीं मिलता था. वो 12वीं के बाद एनडीए की परीक्षा नहीं दे सकती थीं, लेकिन अब ये सबकुछ बदल चुका है. महिलाओं को अब स्थायी कमीशन भी मिलेगा और वो अगले साल से एनडीए की परीक्षा बैठ भी सकती है. माना जाता है कि सेना में महिलाओं के आने को लेकर रास्ता बनाने के लिए बिपिन रावत ने काफी प्रयास किए थे.

आतंकियों के लिए काल थे जनरल बिपिन रावत

जनरल बिपिन रावत आतंकियों के लिए काल थे और उनका रवैया हमेशा सख्त रहता था. वो अपनी जीरो टॉलरेंस नीति के लिए जाने जाते थे. देश में हर गड़बड़ी रोकने की जिम्मेदारी जनरल रावत ने निभाई. जम्मू कश्मीर में ऑपरेशन ऑल आउट के लिए वो हमेशा जाने जाएंगे. कश्मीर में पत्थरबाजी और आतंकवाद के खिलाफ जनरल बिपिन रावत का रवैया हमेशा से सख्त रहा. चाहे वो सेना प्रमुख रहे हो या सीडीएस आतंकवाद को लेकर उनका नजरिया हमेशान जीरो टॉलरेंस रहा था.

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आतंकवाद के खिलाफ जनरल के सख्त कदम

जब बिपिन रावत जनरल थे तो आतंकवाद के खिलाफ उन्होंने बेहद सख्त फैसले लिए. साल 2017 में उन्होंने जम्मू-कश्मीर में 'ऑपरेशन ऑलआउट' लॉन्च किया था. इसके बाद 2017 से 2019 के बीच जम्मू-कश्मीर में 627 आतंकी मारे गए, जबकि 317 आतंकी जिंदा पकड़े गए थे. जनरल बिपिन रावत ना केवल आतंकवादियों के खिलाफ, बल्कि जो उसका समर्थन करते थे उनके खिलाफ भी बेहद सख्त थे. पत्थरबाजों को वो भटके हुए कश्मीरी नहीं मानते थे, बल्कि उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की बात करते थे.

सर्जिकल स्ट्राइक के चाणक्य माने जाते थे जनरल रावत

जून 2015 में मणिपुर में एक आतंकी हमले में 18 सैनिक शहीद हो गए थे. इसके बाद 21 पैरा कमांडो ने सीमा पार जाकर म्यांमार में आतंकी संगठन एनएससीएन के कई आतंकियों को मार गिराया था. तब 21 पैरा थर्ड कॉर्प्स के अधीन थी, जिसके कमांडर बिपिन रावत ही थे. उसके बाद देश ने लगातार सर्जिकल स्ट्राइक करने शुरू किए थे. साल 2016 में पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक रणनीतिकार बिपिन रावत ही रहे. फिर 2019 में बालाकोट एयर स्ट्राइक की रणनीति में शामिल रहे.

इसके बाद 2019 में जब सरकार ने 370 को हटाने का ऐलान किया था तो उस दौरान जम्मू-कश्मीर में हर गड़बड़ी को रोकने की जिम्मेदारी जनरल बिपिन रावत पर ही थी. जनरल बिपिन रावत अपनी हर भूमिका में सर्वश्रेष्ठ रहे, देशहित में हर बड़े फैसले को लेने से बिल्कुल नहीं कतराए. हमेशा देश और सेना को प्रथम रखने वाले जनरल बिपिन रावत हमेशा याद आएंगे, क्योंकि जनरल मरा नहीं करते है.

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