'बच्चों से जुड़ी अश्लील सामग्री, रेप के वीडियो हटाने के लिए केंद्र मानक बना सकता है'
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'बच्चों से जुड़ी अश्लील सामग्री, रेप के वीडियो हटाने के लिए केंद्र मानक बना सकता है'

न्यायमूर्ति मदन बी.लोकुर और न्यायमूर्ति यू यू ललित की पीठ ने कहा कि इस संबंध में दिशानिर्देश या एसओपी दो हफ्तों के भीतर लागू किये जा सकते है.

(फाइल फोटो)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि बच्चों के यौन शोषण और बलात्कार की ऑनलाइन वीडियो तथा तस्वीरों को हटाने के लिए केंद्रदिशानिर्देश या मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार कर सकता है. न्यायमूर्ति मदन बी.लोकुर और न्यायमूर्ति यू यू ललित की पीठ ने कहा कि इस संबंध में दिशानिर्देश या एसओपी दो हफ्तों के भीतर लागू किये जा सकते है.

पीठ ने अपने आदेश में कहा कि भारत सरकार जरूरी दिशानिर्देश/एसओपी तैयार कर सकती है और उन्हें दो सप्ताह के भीतर लागू कर सकती है ताकि बच्चों के यौन शोषण, बलात्कार और सामूहिक बलात्कार की तस्वीरों, वीडियो को इंटरनेट से हटाया जा सके. अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई अगले वर्ष फरवरी के लिए तय की.

शीर्ष अदालत ने छह दिसम्बर को कहा था कि केन्द्र और गूगल,माइक्रोसॉफ्ट एवं फेसबुक सहित इंटरनेट कंपनियां इस बात से सहमत हैं कि बलात्कार और बच्चों के यौन शोषण के वीडियो और आपत्तिजनक सामग्री सार्वजनिक पहुंच से दूर किये जाने की जरूरत है.

न्यायालय 2015 में तत्कालीन सीजेआई एचएल दत्तू को हैदराबाद के एनजीओ प्रज्ज्वला द्वारा भेजे गये एक पत्र पर संज्ञान लेते हुए इस विषय की सुनवाई कर रहा है.

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