केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने कहा किअरुणाचल प्रदेश एक संरक्षित भूभाग है और अगर चकमा—हाजोंग शरणार्थियों को नागरिकता दी जाती है तो राज्य के सामाजिक ढांचे में असंतुलन पैदा होगा.
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नई दिल्ली: केंद्र सरकार शीघ्र उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाकर अरूणाचल प्रदेश में रहने वाले चकमा—हाजोंग शरणार्थियों को नागरिकता देने के उसके आदेश में संशोधन की मांग करेगी. सरकार का कहना है कि जमीनी स्तर पर कठिनाइयों की वजह से इसे लागू करना संभव नहीं है. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि पूर्ववर्ती पूर्वी पाकिस्तान के शरणार्थियों का बसना बंगाल पूर्वी सीमांत नियमन 1873 का उल्लंघन है क्योंकि बाहरी व्यक्ति को अरूणाचल प्रदेश की यात्रा करने से पहले विशेष अनुमति लेनी पड़ती है. फिलहाल उस नियमन को इनर लाइन परमिट के रूप में जाना जाता है.
रिजिजू ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश एक संरक्षित भूभाग
रिजिजू ने कहा, 'हमें शीघ्र उच्चतम न्यायालय को बताना है कि इस विसंगति में सुधार किया जाना चाहिए क्योंकि यह अरुणाचल प्रदेश के आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है. हम आदेश में संशोधन की मांग करेंगे.' रिजिजू ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश एक संरक्षित भूभाग है और अगर चकमा—हाजोंग शरणार्थियों को नागरिकता दी जाती है तो राज्य के सामाजिक ढांचे में असंतुलन पैदा होगा.
उन्होंने कहा, 'हम उच्चतम न्यायालय से कहेंगे कि यह आदेश लागू किए जाने योग्य नहीं है.' अरुणाचल प्रदेश के रहने वाले रिजिजू ने कहा कि उन्हें राज्य के लोगों के लिये खड़ा होने का पूरा अधिकार है क्योंकि वह उनका प्रतिनिधित्व करते हैं.