जस्टिस जोसेफ के नाम पर फिर से विचार करने के लिए CJI ने बुलाई कॉलेजियम
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जस्टिस जोसेफ के नाम पर फिर से विचार करने के लिए CJI ने बुलाई कॉलेजियम

सरकार ने शुक्रवार को जस्टिस जोसफ की फाइल कॉलेजियम को लौटा दी थी जिसने जोसेफ का नाम सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रुप में प्रोन्नति के लिए सिफारिश की थी. 

फाइल फोटो

नई दिल्ली : समझा जाता है कि सीजेआई दीपक मिश्रा ने उत्तराखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रुप में प्रोन्नति के लिए उनके नाम पर फिर से विचार करने के मकसद से शीघ्र ही कॉलेजियम की बैठक बुलाने का फैसला किया है. चर्चा है कि अगले हफ्ते बुधवार को कॉलेजियम की बैठक बुलाई गई है. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता इंदु मल्होत्रा के नाम पर मंजूरी दे दी थी, जबकि जस्टिस जोसफ की फाइल को फिर से विचार करने के लिए लौटा दी थी.

बता दें कि सरकार ने शुक्रवार को जस्टिस जोसफ की फाइल कॉलेजियम को लौटा दी थी जिसने दस जनवरी को न्यायमूर्ति जोसेफ का नाम सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रुप में प्रोन्नति के लिए सिफारिश की थी. सुप्रीम कोर्ट के एक अधिकारी ने बताया कि अब कॉलेजियम की बैठक होना स्वभाविक है और यह जल्द ही बुलाई जाएगी. 

बहरहाल, अब सवाल कॉलेजियम के पांचों न्यायाधीशों की उपलब्धता का है क्योंकि कॉलेजियम के सदस्य न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर चिकित्सा कारणों से 26-27 अप्रैल को काम पर नहीं आए थे. अधिकारी ने बताया कि यदि कोरम पूरा रहता है तो कॉलेजियम की बैठक तत्काल बुलाई जाएगी. 

न्यायमूर्ति जोसेफ ने उस पीठ की अगुवाई की थी जिसने वर्ष 2016 में उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने के नरेंद्र मोदी सरकार के फैसले को खारिज कर दिया था. तब राज्य में कांग्रेस की सरकार थी.

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न्यायमूर्ति जोसेफ जुलाई , 2014 से उत्तराखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश हैं. वह इस साल जून में 60 साल के हो जाएंगे. उन्हें 14 अक्तूबर, 2004 को केरल उच्च न्यायालय में स्थाई न्यायाधीश नियुक्त किया गया था और उन्होंने 31 जुलाई, 2014 को उत्तराखंड उच्च न्यायलय का प्रभार संभाला था.

प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति बी लोकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ के कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति के एम जोसेफ के नाम की सिफारिश सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के तौर पर की थी. 

क्या कहा सरकार ने
जस्टिस जोसफ के नाम की फाइल लौटाते समय सीजेआई दीपक मिश्रा को लिखे पत्र में केंद्रीय विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि न्यायमूर्ति जोसफ का नाम सरकार की ओर से पुनर्विचार के लिए भेजने को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की मंजूरी हासिल है. साथ ही पत्र में यह भी कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट में लंबे समय से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का प्रतिनिधित्व नहीं है.

प्रसाद ने पत्र में कहा, ‘इस मौके पर जोसफ की सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति का प्रस्ताव उचित नहीं लगता है.’ पत्र में कहा गया है, ‘यह विभिन्न हाईकोर्ट के अन्य वरिष्ठ, उपयुक्त और योग्य मुख्य न्यायाधीशों और वरिष्ठ न्यायाधीशों के साथ भी उचित और न्यायसंगत नहीं होगा.’ सरकार ने कहा कि यह प्रस्ताव शीर्ष अदालत के मापदंड के अनुरुप नहीं है और उच्चतम न्यायालय में केरल का पर्याप्त प्रतिनिधित्व है, न्यायमूर्ति जोसेफ केरल से आते हैं.

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