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भुवनेश्वर: ओडिशा विधानसभा में कांग्रेस के एक वरिष्ठ विधायक तारा प्रसाद बाहिनीपति (Tara Prasad Bahinipati) ने शनिवार को हिंदू पुजारी के रूप में कपड़े पहने और इसे 'शुद्ध' करने के लिए विधानसभा हॉल के अंदर 'गंगा जल' और गोमूत्र छिड़का. कांग्रेस विधायक ने आरोप लगाया है कि MoS दिब्य शंकर मिश्रा (Dibya Shankar Mishra) पर गोबिंदा साहू के साथ कनेक्शन हैं.
आरोपी ने सदन में अपने 'अपवित्र पैर' रख दिए हैं और लोकतंत्र का मंदिर 'अपवित्र' हो गया है. इसलिए सदन को शुद्ध करने के लिए, बाहिनीपति ने एक पुजारी की पोशाक पहनकर, अपनी पार्टी के सहयोगी द्वारा घंटी बजने के बीच विधानसभा में पूजा की और उन्होंने मंत्रों का जाप भी किया.
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सदन के बाहर मीडिया से बात करते हुए, बाहिनीपति ने कहा, 'मंत्री मिश्रा ने लोकतंत्र के मंदिर में अपने अपवित्र कदम रखा और इसे अपवित्र किया. मैंने इसे शुद्ध करने के लिए गंगा जल, गोमूत्र और तुलसी के पत्तों को फर्श पर छिड़का.' आपको बता दें कि कांग्रेस विधायकों ने सुबह 10.30 बजे दिन के लिए विधानसभा की बैठक के तुरंत बाद ऐसा किया.
अपने जवाब में स्पीकर एसएन पात्रो ने कहा, 'यह कोई ड्रामा हॉल नहीं है, कृपया अपनी सीट पर जाएं.' जिसके बाद पार्टी के अन्य सहयोगी भी बाहिनीपति के समर्थन में आ गए. हॉल के बाहर विधानसभा परिसर में इसी तरह की हरकत करने वाले भाजपा सदस्यों ने शनिवार को भी कांग्रेस के साथ सदन में हंगामा करना जारी रखा. तख्तियां लिए विपक्षी सदस्य दौड़ पड़े और मामले को लेकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और हंगामा किया.
ओडिशा विधानसभा में प्रश्नकाल सत्र आयोजित करने में असमर्थ, अध्यक्ष ने बार-बार सदस्यों से अपनी सीटों पर जाने का अनुरोध किया. जब विपक्षी सदस्यों ने उनका कोई जवाब नहीं दिया, तो सदन को शाम 4 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया. जब दोपहर के भोजन के बाद के सत्र में भाजपा और कांग्रेस सदस्यों ने अपना विरोध जारी रखा, तो सदन को सोमवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया. इसी के साथ विधानसभा में शीतकालीन सत्र के लगातार चौथे दिन भी गतिरोध जारी रहा.
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विपक्षी भाजपा और कांग्रेस सदस्यों ने हत्या के मामले में कथित संलिप्तता के लिए मंत्री मिश्रा की बर्खास्तगी और गिरफ्तारी की मांग को लेकर अपना विरोध जारी रखा. मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सदन में बयान दिया था कि उनकी सरकार ममीता मेहर को न्याय देने के लिए प्रतिबद्ध है. हालांकि, ऐसा लगता है कि विपक्ष तब तक पीछे हटने के मूड में नहीं है, जब तक कि उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं.
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