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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि भगोड़े कारोबारी विजय माल्या के खिलाफ अवमानना मामले में सजा के पहलू पर अंतिम सुनवाई अगले साल 18 जनवरी को की जाएगी. शीर्ष अदालत ने कहा कि माल्या के खिलाफ अवमानना मामले में वह और इंतजार नहीं कर सकती जो अपनी बंद हो चुकी किंगफिशर एयरलाइंस से जुड़े 9,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के बैंक कर्ज मामले में आरोपी है.
जस्टिस यू. यू. ललित, जस्टिस एस. आर. भट और जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी की तीन सदस्यीय बैंच ने कहा कि माल्या, जो वर्तमान में ब्रिटेन में है, को 2017 में अवमानना का दोषी ठहराया गया था और उसे दी जाने वाली सजा पर उसका पक्ष सुनने के लिए मामले को सूचीबद्ध किया जाना था. बैंच ने कहा कि शीर्ष अदालत ने काफी लंबा इंतजार किया है.
शीर्ष अदालत ने बीते साल विजय माल्या की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें उसने कोर्ट के 2017 के फैसले पर फिर से विचार करने का अनुरोध किया था. इस मामले मे न्यायालय ने उसे न्यायिक आदेशों का उल्लंघन करके अपने बच्चों को चार करोड़ अमेरिकी डॉलर ट्रांसफर करने के लिए अवमानना का दोषी ठहराया था.
शीर्ष अदालत ने कहा कि उसके सामने पेश एक कार्यालय ज्ञापन के अनुसार, जिस पर विदेश मंत्रालय के उप सचिव (प्रत्यर्पण) के हस्ताक्षर हैं, ब्रिटेन में प्रत्यर्पण की कार्यवाही अंतिम दौर में है और इसमें माल्या के लिए अपील के लिए सभी मौके खत्म हो चुके हैं.’ बैंच ने कहा कि 30 नवंबर के कार्यालय ज्ञापन में ब्रिटेन में लंबित कार्यवाही का भी जिक्र किया गया है, जिसे गोपनीय बताया गया है और इसलिए कोई डिटेल पेश नहीं की जा रही है.
बैंच ने सुनवाई के दौरान कहा, ‘हम करना यह चाहते हैं, हम इस मामले को निस्तारण के लिए जनवरी के दूसरे सप्ताह में सूचीबद्ध करेंगे क्योंकि हमने काफी लंबा इंतजार किया है, हम अब और इंतजार नहीं कर सकते. इस मामले का किसी न किसी चरण पर निपटारा होना है और प्रक्रिया खत्म होनी चाहिए.’
बैंच ने कहा कि माल्या दलीलें पेश करने की स्वतंत्र है और अगर किसी कारण से वह न्यायालय में पेश नहीं हो सकता है तो वकील उसकी ओर से दलीलें पेश कर सकते हैं. बैंच ने कहा कि वह मामले को जनवरी में निस्तारित करने के लिए सूचीबद्ध करेगा और उस समय, अगर माल्या व्यक्तिगत रूप से हिस्सा लेना चाहता है, तो वह यहां प्रत्यर्पण कार्यवाही के जरिए होगा और अगर वह नहीं होता है, तो बैंच उसके वकील की दलीलों पर सुनवाई करेगी.
कोर्ट की बैंच ने कहा कि माल्या को 2017 में अवमानना का दोषी ठहराया गया था, लेकिन कुछ कार्यवाही के कारण जो उस समय पर ब्रिटेन में अदालतों में चल रही थी, शीर्ष अदालत की ओर निर्देशों के बावजूद उसकी यहां पेशी नहीं हो सकी थी. शीर्ष अदालत ने वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप गुप्ता से मामले में न्याय मित्र के रूप में सहायता करने का अनुरोध किया. बैंच ने कहा, ‘मामले पर अंतिम सुनवाई 18 जनवरी, 2022 को की जाएगी.’
बैंच ने कहा कि उसके सामने पेश किया गया कार्यालय ज्ञापन कुछ कार्यवाही को संदर्भित करता है, जिन्हें गोपनीय बताया गया है. पीठ ने कहा कि ऐसा लगता है कि ये वही कार्यवाही हैं जिनका जिक्र पिछले साल नवंबर के आदेश में किया गया था. जब मामले पर सुनवाई दोपहर 2 बजे शुरू हुई तो केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि उन्हें अभी विदेश मंत्रालय से एक मैसेज मिला है. इस पत्र को उस बैंच के समक्ष रखा गया जिसने इसका अवलोकन किया.
दोपहर भोजन अवकाश से पहले जब मामले की सुनवाई की गई, तो शीर्ष अदालत ने कहा कि वह अवमानना मामले पर सुनवाई जारी रखना चाहती है और सजा पर सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करना चाहती है. पीठ ने कहा, ‘हम एक आदेश पारित करना चाहते हैं कि हम मामले को सजा पर सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करेंगे क्योंकि (माल्या के) वकील का पेश होना जारी है. इसलिए, सजा पर अधिवक्ता को सुनने पर कोई पाबंदी नहीं है, हम इस पर आगे बढ़ेंगे.’
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केंद्र की ओर से पेश अधिवक्ता रजत नायर ने पीठ को बताया था कि इस मामले को देख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता एक अन्य अदालत में बहस कर रहे हैं. नायर ने शीर्ष अदालत से कहा, ‘उनके (मेहता) पास निर्देश हैं. वह पहले ही विदेश मंत्रालय में संबंधित अधिकारियों से बात कर चुके हैं. अगर इस मामले को कल या उसके अगले दिन लिया जा सकता है, तो वह दलील पेश करेंगे.’ बैंच ने इसके बाद कहा था कि वह दिन में दो बजे मामले की सुनवाई करेगी.
इस साल 18 जनवरी को केंद्र ने शीर्ष अदालत को बताया कि सरकार माल्या को ब्रिटेन से प्रत्यर्पित करने के लिए सभी कोशिश कर रही है लेकिन मामले में कुछ कानूनी मुद्दों के कारण प्रक्रिया में देरी हो रही है. मेहता ने कहा था कि विदेश मंत्रालय ने ब्रिटेन सरकार के सामने प्रत्यर्पण का मुद्दा उठाया है और केंद्र माल्या के प्रत्यर्पण के लिए सभी गंभीर प्रयास कर रहा है.
माल्या मार्च 2016 से ब्रिटेन में है. वह स्कॉटलैंड यार्ड पुलिस द्वारा तामील कराये गए एक प्रत्यर्पण वारंट मामले में जमानत पर है. शीर्ष अदालत ने पिछले साल 2 नवंबर को केंद्र से भारत में माल्या के प्रत्यर्पण पर ब्रिटेन में लंबित गोपनीय कानूनी कार्यवाही पर छह सप्ताह में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था.
केंद्र ने पिछले साल 5 अक्टूबर को शीर्ष अदालत को बताया था कि माल्या को भारत में तब तक प्रत्यर्पित नहीं किया जा सकता जब तक कि ब्रिटेन में एक अलग गुप्त कानूनी प्रक्रिया का समाधान नहीं हो जाता, जो न्यायिक और गोपनीय प्रकृति का है. केंद्र ने पिछले साल अक्टूबर में कहा था कि उसे ब्रिटेन में माल्या के खिलाफ चल रही गुप्त कार्यवाही की जानकारी नहीं है क्योंकि भारत सरकार इस प्रक्रिया में पक्षकार नहीं है.
केंद्र ने पहले माल्या के खिलाफ 9 फरवरी, 2017 से शुरू होकर पिछले साल 14 मई को ब्रिटेन में प्रत्यर्पण के खिलाफ उसकी अपील खारिज होने तक की प्रत्यर्पण कार्यवाही की डिटेल दी थी और कहा था कि ब्रिटेन में उसकी अपील के सभी मौके खत्म हो गए हैं.