Maharashtra में कोरोना के आगे बेबस हुई सरकार? कोरोना मरीज को 12 घंटे बाद मिली एंबुलेंस
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Maharashtra में कोरोना के आगे बेबस हुई सरकार? कोरोना मरीज को 12 घंटे बाद मिली एंबुलेंस

महाराष्ट्र (Maharashtra) में कोरोना से हालात दिनोंदिन विकट होते जा रहे हैं. आलम ये हो गया है कि अब लोगों को एंबुलेंस बुलाने के लिए भी कई-कई घंटे तक इंतजार करना पड़ रहा है. 

Maharashtra में कोरोना के आगे बेबस हुई सरकार? कोरोना मरीज को 12 घंटे बाद मिली एंबुलेंस

मुंबई: महाराष्ट्र (Maharashtra) में कोरोना (Corona) से हालात बेहद खराब हो चुके हैं. लोगों को सही से इलाज तो दूर समय से एंबुलेंस (Ambulance) की सुविधा भी नहीं मिल पा रही है. ठाणे (Thane) की एक झुग्गी बस्ती में एक कमरे के मकान में रहने वाली कोरोना मरीज को एंबुलेंस के लिए पूरे 12 घंटे तक इंतजार करना पड़ा. एक ही कमरा होने की वजह से महिला की चार साल की मासूम बेटी और पति भूखे प्यासे तब तक झोपड़ी के बाहर पीपल के पेड़ के नीचे बैठे रहे. 

  1. रात भर पेड़ के नीचे बैठे रहे
  2. एक-दूसरे पर टालते रहे अफसर
  3. छोटे मकानों में नहीं हैं टॉयलेट

रात भर पेड़ के नीचे बैठे रहे

ठाणे (Thane) की विष्णुनगर झुग्गी बस्ती में पीपल के पेड़ के नीचे कई घंटों से बैठी उस मासूम लड़की को खाना तक नसीब नहीं हुआ क्योंकि खाना बनाने वाली उसकी मां कोरोना पॉजिटिव (Corona Positive) हो गई है. उसके पिता पिता विनोद भागवत पिछले कई घंटों से लगातार एंबुलेंस के लिए फोन कर रहे थे लेकिन 12 घंटे बीतने के बावजूद एंबुलेंस का इंतजाम नहीं हो सका. विष्णु भागवत की मजबूरी ये है कि वो अपनी पत्नी को होम क्वारंटीन भी नहीं कर सकते थे क्योंकि घर के नाम पर केवल 10 गुणा 10 फुट का एक कमरा है. कमरे में टायलेट की सुविधा नहीं होने से बाहर जाना मज़बूरी है. इसलिए जब तक एंबुलेंस नहीं आई, तब तक बाप बेटी को झोपडी के सामने पीपल के पेड़ के नीचे घंटों भूखे प्यासे बैठना पड़ा. 

एक-दूसरे पर टालते रहे अफसर

कोरोना पीड़िता ने कहा, 'मेरी रिपोर्ट पॉजिटिव (Corona Positive) आई है. अभी तक एंबुलेंस नहीं मिल रही है. तीन नंबर दिए थे. एक नंबर तो लग ही नहीं रहा. दूसरा वाला तीसरे का नंबर देता है. तीसरा किसी और का नंबर देता है. लेकिन अभी तक किसी ने कांटेक्ट नहीं किया है.' पीड़िता के पति विष्णु भागवत कहते हैं, 'शाम को छह बजे बोला था एंबुलेंस भेजते हैं. रात के ढाई बज गए हैं, अभी तक नहीं आई. बच्ची ने कुछ खाया पिया नहीं है. किसी ने ध्यान नहीं दिया है.'

छोटे मकानों में नहीं हैं टॉयलेट

मुंबई, ठाणे (Thane) और ज्यादातर बड़े शहरों की झुग्गी बस्तियों का यही हाल है. एक कमरे के इन घरों में ना टायलेट होता है और ना ही बाथरूम. ऐसे में अगर कोई मरीज कोरोना पॉजिटिव होता है तो घर में उसे क्वारंटीन नहीं किया जा सकता क्योंकि बाकी लोग भी उसके संपर्क में आकर कोरोना पॉजिटिव हो जाएंगे. इसलिए अस्पतालों का रुख करना उनकी मजबूरी है मगर अस्पताल की व्यवस्था तो खुद आईसीयू में है जहां ना तो बेड्स है ना ऑक्सीजन सिलेंडर हैं और न ही वेंटिलेटर या एंबुलेंस है.' 

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क्वारंटीन की सुविधा नहीं है

सामाजिक कार्यकर्ता महेश गोरे कहते हैं, 'अगर घर का कोई एक सदस्य पॉजिटिव (Corona Positive) होता है तो उसके क्वारंटीन के लिए रूम नहीं है. बेड्स नहीं है, एंबुलेंस नहीं है. ठाणे महानगरपालिका के लिए ये कितनी शर्म की बात है. यहां टायलेट बाथरूम भीतर नहीं है तो मरीज बाहर  जाएगा तो दूसरों को भी होना ही है.'

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मुंबई में 150 कोरोना अस्पताल

वहीं BMC का दावा है कि मुंबई में 150 कोविड-19 केयर हास्पिटल है, जहां करीब 20 हजार बेड्स की सुविधा है. हालांकि जिस तरह मुंबई और आसपास के इलाकों में मरीज लगातार बढ़ रहे हैं, उसे देखते हुए बेड्स से लेकर एंबुलेंस समेत तमाम सुविधाएं कम पड़ रही हैं. 

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