कोशिकीय एवं आणविक जीवविज्ञान केंद्र (सीसीएमबी) के वैज्ञानिकों ने कहा कि डबल म्यूटेशन वाले स्वरूप के तौर पर जाना जाने वाला कोरोना वायरस का बी.1.617 स्वरूप दक्षिण भारत में तेजी से एन440के स्वरूप की जगह ले रहा है.
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नई दिल्ली: कोशिकीय एवं आणविक जीवविज्ञान केंद्र (सीसीएमबी) के वैज्ञानिकों ने कहा कि डबल म्यूटेशन वाले स्वरूप के तौर पर जाना जाने वाला कोरोना वायरस का बी.1.617 स्वरूप दक्षिण भारत में तेजी से एन440के स्वरूप की जगह ले रहा है. सीसीएमबी के पूर्व निदेशक राकेश मिश्रा ने कहा कि डबल म्यूटेशन वाला स्वरूप अब कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में प्रभावी स्वरूप है.
इस साल पूर्व में करीब 5000 स्वरूपों के व्यापक विश्लेषण के बाद सीसीएमबी ने पाया था कि एन440के अन्य स्वरूपों के मुकाबले दक्षिणी राज्यों में काफी फैल रहा है. सीसीएमबी से जुड़ी वैज्ञानिक दिव्या तेज सोपाती ने कहा कि लेकिन केरल समेत अन्य राज्यों में बी.1.617 स्वरूप तेजी से एन440के की जगह ले रहा है.
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सोपाती ने ट्वीट किया, 'भारत में कोविड-19 की दूसरी लहर में एन440के की वंशावली ज्यादा प्रभावी नहीं है। पहली लहर और उसके बाद दक्षिण भारत में एन440के का उत्परिवर्तन चिंता का विषय था लेकिन अभी के आंकड़े यह दिखाते हैं कि बी1617 और बी117 जैसे नए स्वरूपों ने इसकी जगह ले ली है.'