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COVID 4th Wave Risk Increasing: देश भर में कोरोना के मामलों में एक बार फिर उछाल देखने को मिल रहा है. बढ़ते मामलों को देखते हुए नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) को बीते सप्ताह सभी एयरपोर्ट को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देना पड़ा कि यात्री यात्रा के दौरान अपना मास्क पहनें. भारत में औसत दैनिक रिपोर्ट किए गए मामले अब 11,000 से अधिक हैं. यह 3 सप्ताह पहले रिपोर्ट किए गए मामलों में 5 गुना उछाल है. महाराष्ट्र और केरल समेत 20 से अधिक राज्यों में कोविड के मामलों में वृद्धि हुई है. इसके बावजूद लोग लापरवाही से बाज नहीं आ रहे. लोकल सर्किल के सर्वे में 95% भारतीयों ने कहा है कि मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन नहीं हो रहा है.
इस सर्वे में शामिल केवल 4% भारतीयों का कहना है कि उनके क्षेत्र में लोग मास्क पहन रहे हैं. मास्क पहनने वालों में से 3 में से 2 कपड़े के मास्क का उपयोग कर रहे हैं, जो लगभग शून्य सुरक्षा प्रदान करते हैं. दिल्ली, मुंबई जैसे प्रमुख शहरों में पिछले 3 हफ्तों में कोरोना के मामलों में 5 गुना की बढ़ोतरी हुई है. बता दें कि अप्रैल से भारत के आधे राज्यों ने मास्क की अनिवार्यता को हटा दिया था. जहां मास्क की अनिवार्यता है, वहां प्रशासन इसे लागू नहीं कर रहे. कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच दिल्ली में सार्वजनिक स्थानों के लिए मास्क अनिवार्यता को फिर से लागू करना पड़ा है. मौजूदा स्थिति को देखते हुए जल्द ही हर जगह मास्क को फिर से अनिवार्य करने पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है.
सर्वे में मास्क के अलावा सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर भी चौंकाने वाली हकीकत सामने आई है. इस सर्वे में भारत के 346 जिलों में 36,000 प्रतिक्रियाएं मिलीं. ज्यादातर लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर कहा कि कहीं भी इसका अनुपालन नहीं हो रहा है. महामारी की दूसरी लहर के बाद मामलों में गिरावट शुरू होने के बाद से मास्क अनुपालन में गिरावट देखी गई है.
सरकार की एडवाइजरी बताती है कि कपड़े और सर्जिकल मास्क के साथ डबल मास्किंग, काफी हद तक कोरोना को फैलने से रोक सकती है. शोध यह भी बताते हैं कि एन-95 वायरस से अधिकतम सुरक्षा प्रदान करता है. मौजूदा हालात में अच्छा और असरदार मास्क पहनना अधिक जरूरी हो गया है.
सर्वे में सोशल डिस्टेंसिंग के सवाल पर 65% लोगों ने कहा कि सोशल डिस्टेंसिंग का बिल्कुल भी अनुपालन नहीं हो रहा है. 25% ने कहा कि 0-30% लोग सोशल डिस्टेंसिंग फॉलो कर रहे हैं. इसका मतलब यह है कि अब सर्वे में शामिल केवल 4% ने ही कहा कि उनके क्षेत्र में सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन प्रभावी है.
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