चीन की आपत्ति दरकिनार कर तवांग पहुंचे दलाई लामा, धार्मिक कार्यक्रमों में लेंगे हिस्सा
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चीन की आपत्ति दरकिनार कर तवांग पहुंचे दलाई लामा, धार्मिक कार्यक्रमों में लेंगे हिस्सा

चीन की आपत्तियों के बीच तिब्बत के आध्यात्मिक नेता दलाई लामा शुक्रवार को तवांग पहुंच गए. दलाई लामा चार रात यहां ठहरेंगे और धार्मिक कार्यक्रमों को संबोधित करेंगे. अरुणाचल प्रदेश के सातवें दौरे में पांचवीं बार तवांग पहुंचे हैं.

तवांग में धार्मिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे दलाई लामा.            फोटो आईएएनएस

तवांग (अरूणाचल प्रदेश) : चीन की आपत्तियों के बीच तिब्बत के आध्यात्मिक नेता दलाई लामा शुक्रवार को तवांग पहुंच गए. दलाई लामा चार रात यहां ठहरेंगे और धार्मिक कार्यक्रमों को संबोधित करेंगे. अरुणाचल प्रदेश के सातवें दौरे में पांचवीं बार तवांग पहुंचे हैं.

तिब्बत के निर्वासित नेता चार अप्रैल को हेलीकॉप्टर से तवांग पहुंचने वाले थे लेकिन खराब मौसम के कारण उन्हें गुवाहाटी से 550 किलोमीटर की दूरी सड़क मार्ग से तय करनी पड़ी। उनके साथ अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू भी थे।

पांचवीं बार तवांग पहुंचे हैं दलाई लामा

दलाई लामा (81) 1983 से अरुणाचल प्रदेश के सातवें दौरे में पांचवीं बार तवांग पहुंचे हैं। इससे पहले वह 2009 में इस राज्य में आए थे जब वह तवांग में चार दिन तक ठहरे थे। तिब्बत से निर्वासन के 50 वर्ष बाद उनका यह दौरा हो रहा है। वह 1959 में ल्हासा से भागने को बाध्य हुए थे और तवांग सेक्टर से पैदल मार्ग से भारत पहुंचे थे।

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नोबेल पुरस्कार विजेता ने पश्चिम कामेंग जिले के दिरांग से 140 किलोमीटर की दूरी सड़क मार्ग से तय की जिसमें 30 किलोमीटर का मार्ग आंशिक रूप से बर्फ से ढंका हुआ है और बर्फ पिघलने के कारण यहां कीचड़ फैला हुआ है। दिरांग और तवांग के बीच 140 किलोमीटर के रास्ते पर पुलिस और अर्धसैनिक बल के जवान नजर रखे हुए हैं।

तवांग को रंग-बिरंगे झंडे और फूलों से सजाया गया 

तवांग के उपायुक्त सांग फुंत्सो ने बताया, ‘दलाई लामा द्वारा कई धार्मिक कार्यक्रम कल से शुरू किए जाएंगे। वह चार रात तवांग मठ में ठहरेंगे और उसके बाद 11 अप्रैल को रवाना हो जाएंगे।’ तवांग मठ, यिद गा चोगीन मैदान के आसपास सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं जहां वह प्रवचन करेंगे।

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336 वर्ष पुराना यह मठ भारत का सबसे बड़ा और तिब्बत के ल्हासा के पोटाला पैलेस के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मठ है। 1950 में तिब्बत पर हमला कर उस पर कब्जा करने के बाद बीजिंग तवांग को चीन का हिस्सा बताता है।

चीन के सरकारी मीडिया ने बुधवार को कहा था कि भारत दलाई लामा का इस्तेमाल चीन को चुनौती देने में कूटनीतिक तौर पर कर रहा है।

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