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नई दिल्ली: रक्षा मंत्री (Defence Minister) राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) 3 दिन के लद्दाख दौरे (Ladakh Visit) पर हैं. रविवार सुबह वे लद्दाख पहुंचे. उनका यह दौरा पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले कई स्थानों से सैनिकों को पीछे हटाने के अगले चरण को लेकर चीन (China) के साथ जारी गतिरोध के बीच हो रहा है. इस दौरे के लिए थल सेना प्रमुख जनरल एम.एम.नरवणे भी उनके साथ गए हैं. इस यात्रा में रक्षा मंत्री भारत की अभियानगत तैयारियों की समीक्षा करेंगे.
यह दौरा ऐसे वक्त में हो रहा है जब 2 दिन पहले ही भारत और चीन के बीच पिछले साल मई से शुरू सैन्य गतिरोध के समाधन के लिए नए दौर की कूटनीतिक वार्ता हुई है. दौरे को लेकर रक्षा मंत्रालय ने ट्वीट कर कहा था, 'रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रविवार से लद्दाख का तीन दिवसीय दौरा करेंगे. लद्दाख के अपने दौरे के दौरान वह सीमा सड़क संगठन (BRO) द्वारा निर्मित आधारभूत संरचना की कुछ परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे और क्षेत्र में तैनात जवानों के साथ संवाद करेंगे.'
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सूत्रों ने बताया कि रक्षा मंत्री पूर्वी लद्दाख में ऊंचाई पर स्थित बेस और विभिन्न सैन्य संरचनाओं का जायजा लेने के साथ ही अस्थिर माहौल में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर पहरेदारी कर रहे जवानों से बातचीत करके उनका मनोबल बढ़ाएंगे.
Defence Minister Rajnath Singh arrives in Ladakh on a 3-day visit pic.twitter.com/u4j0jZtlUu
— ANI (@ANI) June 27, 2021
इस यात्रा को लेकर सूत्रों ने बताया कि रक्षा मंत्री को सेना की 14 वीं कोर के लेह स्थित मुख्यालय में पूर्वी लद्दाख में समग्र स्थिति के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाएगी. इस कोर को लद्दाख सेक्टर में एलएसी की रक्षा करने का काम सौंपा गया है. एक समझौते के तहत फरवरी में पैंगोंग झील क्षेत्र से भारत और चीन की सेनाओं द्वारा सैनिकों, टैंकों और अन्य साजो-सामान को पीछे हटाने के बाद से यह सिंह का पूर्वी लद्दाख में पहला दौरा है.
गौरतलब है कि हॉट स्प्रिंग, गोगरा और देपसांग समेत टकराव वाले कई स्थानों से सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया अधर में लटकी हुई है क्योंकि चीन इन इलाकों से अपने सैनिकों को पीछे हटाने का इच्छुक नहीं है.
रक्षा मंत्री कुछ महत्वपूर्ण आधारभूत परियोजनाओं के क्रियान्वयन का निरीक्षण करने के लिए अग्रिम इलाकों का भी दौरा करेंगे. बता दें कि शुक्रवार को सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) की ऑनलाइन मीटिंग में भारत और चीन दोनों ही गतिरोध वाले बाकी स्थानों से सैनिकों को पीछे हटाने के लिए अगले दौर की सैन्य वार्ता करने पर सहमत हो गए हैं.
सैन्य अधिकारियों के मुताबिक वास्तविक नियंत्रण रेखा के दोनों तरफ संवेदनशील क्षेत्रों में वर्तमान में 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात हैं.