भारत ने आतंकवाद को लेकर पाकिस्‍तान पर फिर साधा निशाना, कहा- स्‍टेट और नॉन स्‍टेट एक्‍टर्स का राग बंद हो
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भारत ने आतंकवाद को लेकर पाकिस्‍तान पर फिर साधा निशाना, कहा- स्‍टेट और नॉन स्‍टेट एक्‍टर्स का राग बंद हो

भारत ने पाकिस्तान को निशाने पर लेते हुए कहा कि आतंकवाद के मुद्दे पर राज्य और राज्येतर संगठन की अवधारणा ‘विरोधाभासी नहीं’ है और इसका सहारा लेकर कोई देश जिम्मेदारी से नहीं बच सकता। भारत ने साथ ही कहा कि अगर दूसरे समूहों को सक्रिय सहयोग देने की बात छोड़ भी दें तो कुछ समूहों के खिलाफ कार्रवाई दूसरे समूहों को खुली छूट देने की औचित्य नहीं हो सकती। विदेश सचिव एस जयशंकर ने कहा कि हम आतंकवाद के खिलाफ विभेदीकृत लड़ाई नहीं लड़ सकते हैं। राज्य और राज्येतर (स्‍टेट और नॉन स्‍टेट एक्‍टर्स) संगठनों के बीच विरोधाभास झूठा है। राज्य अपनी जिम्मेदारी से भाग नहीं सकता है।

फोटो सौजन्‍य: एएनआई ट्वीटर

नई दिल्ली : भारत ने पाकिस्तान को निशाने पर लेते हुए कहा कि आतंकवाद के मुद्दे पर राज्य और राज्येतर संगठन की अवधारणा ‘विरोधाभासी नहीं’ है और इसका सहारा लेकर कोई देश जिम्मेदारी से नहीं बच सकता। भारत ने साथ ही कहा कि अगर दूसरे समूहों को सक्रिय सहयोग देने की बात छोड़ भी दें तो कुछ समूहों के खिलाफ कार्रवाई दूसरे समूहों को खुली छूट देने की औचित्य नहीं हो सकती। विदेश सचिव एस जयशंकर ने कहा कि हम आतंकवाद के खिलाफ विभेदीकृत लड़ाई नहीं लड़ सकते हैं। राज्य और राज्येतर (स्‍टेट और नॉन स्‍टेट एक्‍टर्स) संगठनों के बीच विरोधाभास झूठा है। राज्य अपनी जिम्मेदारी से भाग नहीं सकता है।

विदेश सचिव एस जयशंकर ने पूरी बेबाकी के साथ पाकिस्तान के उस कथन को बिल्कुल गलत बताया कि भारत के खिलाफ हमले राज्येतर संगठन करते हैं और कहा कि देश अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकता। जयशंकर ने अमेरिकी संगठन ईस्ट वेस्ट सेंटर द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में सबको याद दिलाया कि 9/11 हमले के बाद ऐसा ही हुआ था जब देशों से कहा गया था कि राज्येतर संगठनों के शामिल होने की बात कहकर वे अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकते।

उन्होंने कहा कि राज्य और राज्येतर संगठनों के बीच एक संबंध है जिसकी वजह से हम ‘प्रायोजित’ शब्द का इस्तेमाल करते हैं। इसलिए कोई देश इसे राज्येतर बताकर जिम्मेदारी से नहीं बच सकता। यह केवल भारत से संबंधित नहीं है। 9/11 के बाद ऐसी ही स्थिति थी। जयशंकर ने कहा कि राज्य और राज्येतर संगठन की अवधारणा ‘मिथ्या विरोधाभासी’ है।

उन्होंने कहा कि हमारा हमेशा से मानना रहा है कि अगर दूसरे समूहों को सक्रिय सहयोग देने की बात छोड़ भी दें तो कुछ समूहों के खिलाफ कार्रवाई दूसरे समूहों को खुली छूट देने की औचित्य नहीं हो सकती। इसलिए आप आतंकवाद के खिलाफ टुकड़ों में बंटी कोई विभेदीकृत लड़ाई नहीं लड़ सकते हैं। जयशंकर अमेरिका से जुड़े उन सवालों का जवाब दे रहे थे कि अमेरिका आतंकवाद पर भारत के रुख का समर्थन करने के साथ ही कहता रहा है कि पाकिस्तान विभिन्न समूहों के खिलाफ कार्रवाई के जरिये आतंकवाद से लड़ रहा है। उन्होंने कहा कि दुनिया को क्षेत्र में आतंकवाद की उस शरणस्थली की बेहतर समझ है जहां आतंकवाद का पालन पोषण हो रहा है। विदेश सचिव की टिप्पणी ऐसे समय में आयी है जब भारत ने पड़ोसी देश से ‘आतंकवाद के निर्यात’ के मुद्दे पर आक्रामक रुख अपनाया है।

हाल में ब्रिक्स की बैठक और पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद का मुद्दा उठाते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से उसके ‘प्रोत्साहक’ को अलग थलग करने एवं प्रतिबंधित करने का आह्वान किया। मोदी ने ब्रिक्स के दूसरे सदस्य देशों से आतंकवाद से लड़ने में संयुक्त कोशिशें तेज करने की अपील की और समूह से ‘आतंकवाद के समर्थकों एवं प्रायोजकों को अलग थलग’ करने की खातिर ‘समन्वित कार्रवाई’ करने की मांग की। उन्होंने चीन द्वारा अलकायदा और इस्लामिक स्टेट से सम्बद्ध समूहों की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की काली सूची में पाकिस्तानी आतंकवादी मसूद अजहर को शामिल कराने की भारत की कोशिश को नाकाम करने के बारे में पूछे जाने पर कहा कि भारत का एक रूख है और वह विभिन्न दृष्टिकोणों वाले लोगों को रजामंद करने की कोशिश कर रहा है।

विदेश सचिव ने कहा कि 15 देश भारत की कोशिश का समर्थन कर रहे हैं और उनके ऐसा करने के पीछे ‘जरूर कोई तार्किक कारण’ होगा। जयशंकर ने कहा कि इस बात को लेकर आज कहीं बेहतर समझ है कि आतंकवाद अब कोई राष्ट्रीय समस्या नहीं है। उन्होंने कहा कि यह सोच कि ‘ओह, यह भारत की समस्या है, हम ठीक हैं’। मुझे लगता है कि वह दौर अब चला गया है। लोगों को पता है कि आतंकवादी संगठन एवं लोग आपस में बहुत अच्छे से जुड़े हुए हैं और जो आज भारत की समस्या है वह दूसरों की भी समस्या रही है। प्रधानमंत्री ने जी20 बैठक में भी आतंकवाद का मुद्दा उठाया था। मोदी ने विश्व की 20 सबसे मजबूत अर्थव्यवस्थाओं की बैठक के आखिरी सत्र में कहा था कि हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय से एकजुट होकर बोलने एवं काम करने और इस समस्या से लड़ने के लिए तत्परता के साथ जवाब देने की उम्मीद करते हैं। आतंकवाद का प्रायोजन करने और उसे सहयोग देने वालों को अलग थलग तथा प्रतिबंधित किया जाना चाहिए ना कि उन्हें पुरस्कृत करना चाहिए। (एजेंसी इनपुट के साथ)

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