दिल्‍ली सरकार और केंद्र फिर आमने-सामने, इस बार केजरीवाल के निशाने पर 'प्रधानमंत्री कार्यालय'
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दिल्‍ली सरकार और केंद्र फिर आमने-सामने, इस बार केजरीवाल के निशाने पर 'प्रधानमंत्री कार्यालय'

दिल्ली सरकार ने पिछले सोमवार को आरोप लगाया था कि खाद्य आयुक्त मोहनजीत सिंह ने बिना उचित निरीक्षण के 2.9 लाख से ज्यादा राशन कार्ड रद्द करने का फैसला लिया.

फाइल फोटो

नई दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी में राशन वितरण प्रणाली से करीब ढाई लाख लोगों के नाम हटाए जाने को लेकर जुबानी जंग और तेज हो गई, जब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस कदम के पीछे प्रधानमंत्री कार्यालय का हाथ बताया.

वहीं, दूसरी तरफ विपक्षी पार्टी भाजपा ने केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें फौरन राशन वितरण की इलेक्ट्रॉनिक प्वाइंट ऑफ सेल (ई-पीओएस) प्रणाली को फिर से शुरू करना चाहिए और घर-घर राशन पहुंचाने की योजना पर ‘‘नाटक” बंद करना चाहिए.

दिल्ली सरकार ने पिछले सोमवार को आरोप लगाया था कि खाद्य आयुक्त मोहनजीत सिंह ने बिना उचित निरीक्षण के 2.9 लाख से ज्यादा राशन कार्ड रद्द करने का फैसला लिया.

आप प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने अपने निर्वाचन क्षेत्र ग्रेटर कैलाश से कुछ वास्तविक राशन कार्ड धारकों का उदाहरण दिया, जिनका राशन कार्ड रद्द कर दिया गया और कहा कि खाद्य विभाग के अधिकारियों के इस कदम से ऐसे लाभार्थी प्रभावित होंगे. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए केजरीवाल ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री कार्यालय के इशारे पर इन नामों को हटाया गया है.

उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा अधिकारियों पर दबाव डालकर राशन कार्डों को रद्द कराया गया है जबकि दिल्ली सरकार की तरफ से इसका लगातार विरोध किया जा रहा था. जरा देखिए इससे गरीब लोगों को कितनी असुविधा हो रही है. पीएमओ को जबरन गरीबों का राशनकार्ड रद्द नहीं कराना चाहिए.’’

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