पंजाब और हरियाणा में धड़ल्‍ले से जलाई जा रही है पराली, दिल्‍ली में बढ़ रहा प्रदूषण
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पंजाब और हरियाणा में धड़ल्‍ले से जलाई जा रही है पराली, दिल्‍ली में बढ़ रहा प्रदूषण

धान उत्पादकों ने दावा किया है कि कृषि अपशिष्ट प्रबंधन के लिए सरकार की ओर से कोई वित्तीय मदद नहीं मिलने के कारण वे ऐसा करने के लिए ‘‘मजबूर’’ है.

(फाइल फोटो)

चंडीगढ़ : पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने पर लगे प्रतिबंध का उल्लंघन करने वाले कई धान उत्पादकों ने दावा किया है कि कृषि अपशिष्ट प्रबंधन के लिए सरकार की ओर से कोई वित्तीय मदद नहीं मिलने के कारण वे ऐसा करने के लिए ‘‘मजबूर’’ है.

पंजाब और हरियाणा में पराली जलाना न केवल इन दो राज्यों में बल्कि राष्ट्रीय राजधानी में भी वायु प्रदूषण का एक बड़ा कारण है. वायु प्रदूषण के लिए धान उत्पादकों को जिम्मेदार ठहराये जाने के बीच कृषि विशेषज्ञों और किसान संगठनों का कहना है कि यह समुदाय एक ‘‘आसान लक्ष्य’’ है और सरकार में नीति निर्धारकों का ‘‘अदूरदर्शी’’ रूख उत्पादकों की चिंताओं को दूर करने में ‘‘विफल’’ रहा है.

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फाइल फोटो

अधिकारियों ने बताया कि पंजाब में अब तक फसल की पराली जलाए जाने की 330 से अधिक घटनाएं और हरियाणा में 701 घटनायें सामने आयी हैं. भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल) के अध्यक्ष बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा,‘‘किसान पराली नहीं जलाना चाहते हैं. लेकिन वे पराली जलाने के लिए मजबूर हैं क्योंकि उनके पास कोई अन्य व्यवहार्य और सस्ता विकल्प नहीं है.’’

राजेवाल ने कहा,‘‘कर्ज के बोझ तले दबे किसान आत्महत्या करने को मजबूर है और अब सरकार पराली जलाने वाले कृषि उत्पादकों के खिलाफ (जुर्माना लगा) रही है. किसान आसान लक्ष्य बन गए हैं जबकि तथ्य यह है कि पराली जलाये जाने के कारण केवल आठ प्रतिशत वायु प्रदूषण होता हैं.’’

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वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार द्वारा पराली जलाने का मुद्दा बार-बार उठाए जाने के बावजूद केंद्र सरकार, हरियाणा और पंजाब सरकार ने इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए. उन्होंने आशंका जताई कि ठंड का मौसम आते ही फिर से दिल्ली समेत यह पूरा क्षेत्र "गैस चैंबर" बन जाएगा और लोगों को "सांस लेने में कठिनाई" का सामना करना पड़ेगा.

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