निर्भया के कातिलों की फांसी का काउंटडाउन शुरू, 20 मार्च सुबह होनी है फांसी
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निर्भया के कातिलों की फांसी का काउंटडाउन शुरू, 20 मार्च सुबह होनी है फांसी

आखिरकार वो घड़ी आ ही गयी जिसका सब लोगों को इंतजार था. 20 मार्च के सवेरे 5 बजकर 30 मिनट पर निर्भया के कातिलों को तिहाड़ जेल के अंदर फांसी पर लटका दिया जायेगा.

निर्भया के कातिलों की फांसी का काउंटडाउन शुरू, 20 मार्च सुबह होनी है फांसी

नई दिल्ली: आखिरकार वो घड़ी आ ही गयी जिसका सब लोगों को इंतजार था. 20 मार्च के सवेरे 5 बजकर 30 मिनट पर निर्भया के कातिलों को तिहाड़ जेल के अंदर फांसी पर लटका दिया जायेगा. लेकिन चारों दोषियों को कैसे फांसी दी जायेगी और फांसी देते वक्त कौन कौन मौजूद होगा, इसकी जानकारी हम आपको देंगे. 

निर्भया के चारों कातिल दोषी, मुकेश, अक्षय, पवन और विनय इस समय तिहाड़ जेल नंबर 3 में बंद है जहां फांसी कोठा यानी फांसी देने वाली जगह है. तिहाड़ जेल के अंदर फांसी की सज़ा इसी जेल में दी जाती है. चारो दोषियों की फांसी की तारिख तय होते ही तिहाड की जेल नंबर 3 में शिफ्ट कर दिया गया था. यहां इस जगह पर इन चारों दोषियों के अलावा और कोई भी मौजूद नहीं है. 

चारों दोषियों की चौबिसों घंटे पहरेदारी की जा रही है. हर दो घंटे में गार्ड को बदल दिया जाता है ताकि किसी तरह की सुस्ती गार्ड को ना आये और वो हमेशा चाक चौबंद और मुस्तैद रहे. फांसी की सज़ा देने से पहले सभी दोषियों को अपने परिवार, दोस्त और जिससे वो मिलना चाहे मिल सकते है लेकिन हफ्ते में सिर्फ दो बार ही वो लोग मिल सकते है. यानी चारों दोषियों का परिवार आखिरी बार 19 मार्च को मिलेगा. 

19 मार्च को सबसे पहले PWD का एक अधिकारी फांसी देने वाली जगह का निरिक्षण करेगा और देखेगा कि किसी तरह की कोई कमी तो नहीं है, उसके बाद आखिरी बार जल्लाद वहां पर डमी फांसी देगा. ये डमी फांसी दोषी के वजन से डेढ़ गुना वजन को लटकाया जाता है, ये डमी फांसी इसलिये दी जाती है ताकी इस बात की जांच हो सके कि फांसी देने के सभी सिस्टम ठीक से काम कर रहे है या नहीं, फांसी देने वाली रस्सी ठीक है या नहीं.

20 मार्च को सवेरे 5 बजकर 30 मिनट पर चारों दोषियों को फांसी दी जानी है. सवेरे 4 बजे चारो दोषियों को उनकी सेल में नींद से उठा दिया जायेगा, पहले चारों को नहलाया जायेगा और फिर चाय-नाश्ता दिया जायेगा. चाय-नाश्ते के बाद चारों दोषियों का मेडिकल किया जायेगा, ये देखने के लिये कि चारो फांसी देने के लिये शारीरिक तौर पर फिट है या नहीं, अगर किसी को भी कोई बीमारी या चोट है तो फांसी टाल दी जायेगी. 

इसी बीच जेल निरिक्षक सबसे पहले अपने दफ्तर जायेगा और इस बात की जांच करेगा कि चारो दोषियों की फांसी को लेकर किसी तरह के निर्देश तो नहीं आये है, जिसमें फांसी रोकने या फांसी देने के लिये कोई खास हिदायत दी गयी हो.इस बात की तस्दीक करने के बाद जेल निरिक्षक जिला अधिकारी या उसके द्वारा नियूक्त किया गये किसी अधिकारी के साथ दोषियों के सेल में जायेगा और दोषियों को अगर अपनी वसियत बनानी, या फिर किसी दस्तावेज पर दस्तखत करने हो तो वो करवाये जायेगे. 

इसके बाद करीब 5 बजकर 15 मिनट पर चारो दोषियों को काले कपड़े पहना के हाथों को पीछे से बांधकर फांसी देने वाली जगह पर ले जाया जायेगा. दोषियों के सेल से फांसी देने वाली जगह तक दोषियों को जेल निरिक्षक, जिला अधिकारी या उसके द्वारा नियूक्त अधिकारी और मेडिकल अफसर की निगरानी में ले जाया जायेगा. फांसी देने वाली जगह को पुरी तरह सुरक्षित किया जायेगा और 10 सिपाही, 2 हवलदार या फिर इतनी ही संख्या में जेल का स्टाफ मौजूद रहेगा.  ये पहली बार है जब तिहाड़ जेल में चार दोषियों को एक साथ फांसी पर लटकाया जा रहा है. इससे पहले रंगा-बिल्ला नाम के दो दोषियों को 31 जनवरी 1982 को एक साथ फांसी दी गयी थी. 

फांसी देने वाली जगह पर जेल निरिक्षक, जेल उप निरिक्षक, मेडिकल अफसर, रेजिडेंट मेडिकल अफसर और जिला अधिकारी या फिर उसके द्वारा नियूक्त अधिकारी फांसी के दौरान मौजूद रहेगा. चारों दोषियों को एक-एक कर फांसी देने वाली जगह पर लाया जायेगा, हर एक दोषी को जेल उप निरिक्षक, हवलदार और 6 सिपाही, दो सिपाही दोषी का हाथ पकड़ कर रखेंगे, दो सिपाही आगे चलेंगे और दो सिपाही पीछे चलेगें. जैसे ही चारो दोषी फांसी वाली जगह पर आ जायेंगे, जेल निरिक्षक जिला अधिकारी और मेडिकल अफसर को दोषी के बारे में बतायेगा और फांसी का आदेश पढ़ कर सुनायेगा. 

आदेश पढ़ने के बाद चारों दोषियों के चेहरे को काले कपड़े से ढ़क दिया जायेगा और पैरों को बांध दिया जायेगा. इसके बाद चारो दोषियों के गले में फांसी का फंदा डाला जायेगा और जेल निरिक्षक जांच करेगा की फांसी का फंदा गले में ठीक से डाला गया है या नहीं. जेल निरिक्षक के इशारे के बाद सिपाही चारों दोषियों के हाथों को छोड़ देंगे और जल्लाद फांसी के फंदे का लीवर खींच देंगा. फांसी पर लटकाने के बाद दोषियों के शरीर को करीब 30 मिनट तक लटका रहने दिया जायेगा और उसके बाद वहां मौजूद मेडिकल अधिकारी दोषियों के शरीर की जांच कर चारो को मृत घोषित कर देगा. 

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