हाईकोर्ट का फैसला: दिल्ली में भीख मांगना अपराध नहीं, भिखारियों को नहीं मिलेगी सजा
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हाईकोर्ट का फैसला: दिल्ली में भीख मांगना अपराध नहीं, भिखारियों को नहीं मिलेगी सजा

कोर्ट के फैसले से पहले भीख मांगना एक अपराध की श्रेणी में आता था और कानून के मुताबिक भीख मांगते हुए पकड़े जाने पर 1 से 3 साल की सजा का प्रावधान था.

दिल्ली में अभी तक भीख मांगते हुए पकड़े जाने पर 1 से 3 साल की सजा का प्रावधान था

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने राजधानी के भिखारियों को बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि अब दिल्ली में भीख मांगना कोई अपराध नहीं है, इसलिए भीख मांगने के दौरान पकड़े जाने पर भिखारी को कोई सजा नहीं मिलेगी. कोर्ट ने कहा कि राइट टू स्पीच के तहत किसी को भी रोटी मांगने का अधिकार है. 

दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को एक आदेश में भीख मांगने को आपराधिक मामला मानने से इनकार करते हुए इसके लिए दंड के कानूनों को निरस्त कर दिया. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायूर्ति सी. हरिशंकर की पीठ ने बंबई प्रिवेंशन ऑफ बेगिंग एक्ट के तहत भीख मांगने पर अभियोग चलाने के प्रावधानों को निरस्त कर दिया. पीठ ने भीख मांगने को अपराध की श्रेणी से हटा दिया और कहा कि कानून के प्रावधानों के तहत अभियोग चलाना असंवैधानिक है. 

हालांकि अदालत ने भीख मांगने के लिए बाध्य करने वाले गिरोह पर लगाम लगाने के लिए दिल्ली सरकार को वैकल्पिक कानून लाने का अधिकार प्रदान किया. 

अदालत ने हर्ष मंदर और कर्णिका साहनी द्वारा दायर दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई की. इन याचिकाओं में अदालत से राष्ट्रीय राजधानी में भिखारियों के लिए मानवीय और मौलिक अधिकार की मांग करते हुए भीख मांगने को अपराध की श्रेणी से हटाने की गुहार लगाई गई थी. याचिकाओं में दिल्ली में सभी भिखारी-गृहों में उचित भोजन और चिकित्सा की सुविधा समेत मूलभूत सुविधाओं की मांग की गई थी. 

कोर्ट के फैसले से पहले भीख मांगना एक अपराध की श्रेणी में आता था और कानून के मुताबिक भीख मांगते हुए पकड़े जाने पर 1 से 3 साल की सजा का प्रावधान था. भिखारी के दूसरी बार पकड़े जाने पर 10 साल तक की सजा का प्रावधान था. हाईकोर्ट ने अब सजा के प्रावधान को खत्म कर दिया है. 

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