नहीं मिल रही राहत, घनी धुंध में लिपटी दिल्ली, वायु गुणवत्ता बेहद खराब
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नहीं मिल रही राहत, घनी धुंध में लिपटी दिल्ली, वायु गुणवत्ता बेहद खराब

अधिकारियों ने बताया कि ऐसा 'प्रतिकूल मौसमी परिस्थितियों' की वजह से है जिससे प्रदूषक तत्वों के छंटने की गति धीमी हो गई है और शहर धुंध की घनी चादर में लिपट गया है. 

(फाइल फोटो)

नई दिल्ली: दिल्ली में बुधवार को लगातार तीसरे दिन वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ श्रेणी में बनी रही. अधिकारियों ने बताया कि ऐसा 'प्रतिकूल मौसमी परिस्थितियों' की वजह से है जिससे प्रदूषक तत्वों के छंटने की गति धीमी हो गई है और शहर धुंध की घनी चादर में लिपट गया है.

केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आकड़ों के मुताबिक दिल्ली का समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 323 दर्ज किया गया.  शून्य से 50 अंक तक वायु गुणवत्ता सूचकांक को ‘अच्छा’, 51 से 100 तक ‘संतोषजनक’, 101 से 200 तक ‘मध्यम’, 201 से 300 के स्तर को ‘खराब’, 301 से 400 के स्तर को ‘बहुत खराब’ और 401 से 500 के स्तर को ‘गंभीर’ श्रेणी में रखा जाता है.

सीपीसीबी के अनुसार दिल्ली के 25 इलाकों में वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ की श्रेणी में दर्ज की गई वहीं 11 क्षेत्रों में यह ‘खराब’ की श्रेणी में बनी रही. सीपीसीबी ने बताया कि हवा में अतिसूक्ष्म कणों- पीएम 2.5 का स्तर 179 रहा वहीं पीएम 10 का स्तर 338 दर्ज किया गया. 

संस्थान के आंकड़ों के मुताबिक राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में गाजियाबाद, फरीदाबाद और नोएडा में वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ रही वहीं गुडगांव में यह ‘खराब’ की श्रेणी में रही.

भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) के मुताबिक राष्ट्रीय राजधानी धुंध की चादर में लिपटी हुई है और हवा की गति तथा वेंटिलेशन सूचकांक प्रदूषक तत्वों के बिखराव के लिए “पूरी तरह प्रतिकूल’’ है.

प्रति सेकेंड करीब 6,000 वर्ग मीटर के वेंटिलेशन सूचकांक से प्रदूषक तत्वों से निजात मिल सकती है लेकिन बुधवार को शहर में यह सूचकांक प्रति सेकेंड 1,500 वर्ग मीटर पर था.

केंद्र संचालित वायु गुणवत्ता एवं मौसम पूर्वानुमान प्रणाली (सफर) के मुताबिक फिलहाल वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ है और हवा की गति में मामूली तेजी आने से इसमें सुधार हो सकता है लेकिन अगले दो दिनों तक यह ‘बहुत खराब’ की श्रेणी में ही रहेगी और फिर सुधरेगी. 

सफर ने कहा “उत्तर में ‘कोल्ड फ्रंट’ के ऊपर उठने से हवा की गति तेज हुई है जिससे प्रदूषण में कमी आने की संभावना है. हालांकि दो से तीन दिन के बाद कोल्ड फ्रंट की वापसी से दिल्ली की हवा में नमी बढ़ जाएगी जो वायु गुणवत्ता के लिए अनुकूल स्थिति नहीं है. पराली जलाए जाने का असर न के बराबर है.’

 

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