VIDEO: कौन हैं बुर्का पहनकर शाहीन बाग पहुंचने वाली गुंजा कपूर, जिनके नाम पर छिड़ी जंग
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VIDEO: कौन हैं बुर्का पहनकर शाहीन बाग पहुंचने वाली गुंजा कपूर, जिनके नाम पर छिड़ी जंग

गैर-मुस्लिम महिला के बुर्का पहनकर शाहीन बाग जाने से सोशल मीडिया पर बहस शुरू हो गई है.

लखनऊ की रहने वाली गुंजा कपूर एक यूट्बर चैनल चलाती हैं.

नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग में चल रहे धरना-प्रदर्शन के बीच एक गैर-मुस्लिम महिला के बुर्का पहनकर जाने से हडकंप मच गया. आरोप है कि यह हिंदू महिला धरनास्थल का वीडियो रिकॉर्ड करने आई थी. मामला बिगड़ता देख वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने महिला को कड़ी मशक्कत करके प्रदर्शनकारियों के बीच से निकाला. बुर्का पहनकर शाहीन बाग पहुंचने वाली महिला को लेकर अब सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है.

शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों के बीच बुर्का पहनकर पहुंचने वाली महिला का नाम गुंजा कपूर है. वह सोशल मीडिया पर दक्षिणपंथी विचार रखने के लिए पहचानी जाती हैं.

यूट्यूबर हैं गुंजा
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की रहने वाली गुंजा कपूर 'राइट नैरेटिव' नाम से एक यूट्यूब चैनल चलाती हैं. उनके चैनल के यूट्यूब पर 5000 से ज्यादा सब्सक्राइबर हैं. अपने चैनल पर उन्होंने हाल ही में एक वीडियो बनाया, जिसमें प्रदर्शन में शामिल एक मुस्लिम महिला के बच्चे की मौत का जिक्र है. उनके इस वीडियो को अच्छा-खासा रिस्पॉन्स मिला है.

वहीं, माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर गुंजा के 27 हजार से ज्यादा फॉलोअर हैं. ट्विटर पर वह खुद को विश्लेषक, शौकिया लेखक और मराठी व उड़िया भाषा की जानकार बताती हैं.  इसके अलावा फेसबुक पर भी गुंजा कपूर के 3000 से अधिक फॉलोअर हैं.

क्यों गई थीं शाहीन बाग ?
पूछताछ में पता चला कि यूट्यूबर गुंजा अपने चैनल के लिए वीडियो रिकॉर्ड करने शाहीन बाग पहुंची थीं. बुर्के में पहुंची यूट्यूबर से मुस्लिम महिला प्रदर्शनकारियों ने आईडी कार्ड मांग लिया और इससे उनका भेद खुल गया. दरअसल, पिछली घटनाओं को देखकर इस यूट्यूबर को डर था कि उन्हें भी धरनास्थल पर घुसने नहीं दिया जाएगा, इसलिए वह बुर्का पहनकर चली गईं.

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पता हो कि शाहीन बाग के धरना प्रदर्शन का कवरेज करने पहुंचे राष्ट्रीय न्यूज चैनलों के दो पत्रकारों को भी प्रदर्शकारियों के विरोध का सामना करना पड़ा था. सीएए-एनआरसी पर राय जानने पहुंचे वरिष्ठ पत्रकार दीपक चौरसिया और सुधीर चौधरी को धरना दे रही महिलाओं के पास जाने नहीं दिया गया था.

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