उबर रेप मामला: गवाहों को फिर से बुलाने की अनुमति देने वाले आदेश पर रोक
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उबर रेप मामला: गवाहों को फिर से बुलाने की अनुमति देने वाले आदेश पर रोक

सुप्रीम कोर्ट ने उबर कैब बलात्कार कांड में अभियुक्त को पीडित सहित 13 गवाहों को फिर से बुलाने और उनसे पूछताछ की अनुमति देने वाले दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश पर मंगलवार को रोक लगा दी।

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने उबर कैब बलात्कार कांड में अभियुक्त को पीडित सहित 13 गवाहों को फिर से बुलाने और उनसे पूछताछ की अनुमति देने वाले दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश पर मंगलवार को रोक लगा दी।

शीर्ष अदालत ने निचली अदालत में इस मुकदमे की कार्यवाही के साथ ही उच्च न्यायालय के आदेश के बाद गवाहों के दर्ज किये गये बयानों की मीडिया के खबर देने पर भी रोक लगा दी। न्यायमूर्ति जे एस खेहड़ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया जाये। निचली अदालत में चल रही कार्यवाही पर रोक रहेगी। उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक रहेगी।

कथित पीडित की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोन्साल्विज ने कहा कि अभियुक्त को गवाहों को फिर से बुलाने और उनसे जिरह की अनुमति गलत तरीके से दी गयी है और इससे पीडित की वेदना और बढ़ेगी तथा इस वजह से मुकदमे की सुनवाई में भी विलंब होगा। याचिका पर सुनवाई शुरू होते ही न्यायालय ने जानना चाहा कि क्या अभियुक्त के कहने पर गवाहों को फिर से बुलाया जा सकता है या नहीं। न्यायालय ने कहा कि मुकदमे की स्वतंत्र सुनवाई सुनिश्चित करने के लिये अभियुक्त को गवाहों से फिर से पूछताछ की अनुमति दी जा सकती है।

सुनवाई के दौरान न्यायाधीशों ने अभियुक्त को जमानत देने और रद्द करने की प्रक्रिया की गवाहों को फिर बुलाने की अनुमति देने या नही देने में समानता खोजने का प्रयास किया। न्यायाधीशों ने कहा कि अदालतें जमानत देने और रद्द करते समय अलग अलग पैमाना अपनाती हैं। इसी तरह यदि नीचे वाली कोई अदालत अभियुक्त को गवाहों को बुलाने की छूट प्रदान करती है तो यह न्यायालय इससे इंकार भी कर सकता है।

इस पर गोन्साल्विज ने कहा कि निचली अदालत ने विस्तृत तर्कसंगत आदेश दिया था लेकिन दिल्ली उच्च न्यायालय ने उसे पलटते हुये कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया। शीर्ष अदालत ने कल पीडित महिला की याचिका पर आज सुनवाई के लिये सहमति प्रदान की थी। उबर कैब चालक शिव कुमार यादव की कथित हवस का शिकार बनी युवती का तर्क था कि गवाहों को फिर से बुलाने का मतलब मुकदमे की नये सिरे से सुनवाई करना है। इस युवती ने याचिका पर यथाशीघ्र सुनवाई का अनुरोध किया था।

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