HC ने कन्हैया और अन्य के खिलाफ JNU की कार्रवाई पर लगाई रोक, छात्रों ने बंद किया अनशन
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HC ने कन्हैया और अन्य के खिलाफ JNU की कार्रवाई पर लगाई रोक, छात्रों ने बंद किया अनशन

दिल्ली उच्च न्यायालय ने जेएनयू प्रशासन की ओर से जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार एवं अन्य के खिलाफ जारी किए गए अनुशासनिक कार्रवाई के आदेश पर शुक्रवार को रोक लगा दी। फिलहाल हाईकोर्ट के इस कदम के बाद छात्रों ने अनशन वापस ले लिया है, लेकिन संघर्ष जारी रखने का ऐलान किया है।

HC ने कन्हैया और अन्य के खिलाफ JNU की कार्रवाई पर लगाई रोक, छात्रों ने बंद किया अनशन

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने जेएनयू प्रशासन की ओर से जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार एवं अन्य के खिलाफ जारी किए गए अनुशासनिक कार्रवाई के आदेश पर शुक्रवार को रोक लगा दी। कन्हैया और कुछ अन्य छात्रों ने अनुशासनिक कार्रवाई के आदेश को चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने कहा कि छात्रों की अपील पर अपीलीय प्राधिकरण द्वारा फैसला किए जाने तक अनुशासनिक कार्रवाई के निर्णय पर रोक लगाई जाती है। न्यायमूर्ति मनमोहन ने यह निर्देश तब दिया जब जेएनयू छात्रसंघ ने हलफनामा देकर कहा कि उसके सदस्य अपनी भूख हड़ताल तुरंत खत्म करेंगे और कोई अन्य प्रदर्शन नहीं करेंगे। फिलहाल हाईकोर्ट के इस कदम के बाद छात्रों ने अनशन वापस ले लिया है, लेकिन संघर्ष जारी रखने का ऐलान किया है।

जेएनयू छात्र संघ उपाध्यक्ष शहला रशीद शोरा ने बताया, 'अदालत के आदेश के बाद, हमने हड़ताल समाप्त करने का निर्णय लिया है लेकिन जब तक कुलपति सजा को रद्द नहीं करते हैं हमारी लड़ाई जारी रहेगी।' इससे पहले उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी कहा कि यदि छात्रों की अपील रद्द कर दी जाती है तो अपीलीय अधिकारी के आदेश को दो हफ्ते की अवधि तक प्रभावी नहीं माना जाएगा। न्यायालय ने अपने आदेश में कहा, ‘जब तक छात्रों की अपील पर सुनवाई और अंतिम फैसला नहीं हो जाता, (25 अप्रैल का) आदेश प्रभावी नहीं होगा। यदि याचिकाकर्ताओं की अपील खारिज कर दी जाती है, तो अपीलीय आदेश दो हफ्ते तक प्रभावी नहीं माना जाएगा।’ 

न्यायाधीश ने स्पष्ट कर दिया कि ‘यह संरक्षण सशर्त है कि जेएनयू छात्र संघ अपने इस हलफनामे का पालन करेगा कि वह अभी चल रही अपनी हड़ताल तुरंत वापस लेगा और आगे कोई धरना, प्रदर्शन या हड़ताल नहीं करेगा।’ उच्च न्यायालय ने छात्रों से यह भी कहा कि वे ‘नरमी लाएं’, क्योंकि मामला ‘अभी बहुत गर्म है।’ न्यायाधीश ने यह बात तब कही जब छात्रों के वकीलों ने दावा किया कि यदि भविष्य में कुछ और हो जाता है तो किसी तरह के प्रदर्शन की इजाजत देनी चाहिए।

इसके बाद न्यायालय ने उन्हें संबंधित अधिकारियों के समक्ष ‘शांतिपूर्ण तरीके से ज्ञापन’ देने की आजादी दी और यूनिवर्सिटी प्रशासन से कहा कि वह ‘तार्किक’ बने और हालात को समझे। बहरहाल, यह आदेश उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य पर तब तक लागू नहीं होगा जब तक वे याचिका दायर कर ये नहीं कहते कि एक उच्च-स्तरीय जांच समिति की सिफारिशों के आधार पर जेएनयू प्रशासन की ओर से किए गए निर्णय के खिलाफ वे अपील कर रहे हैं। उमर और अनिर्बान ने अपने निष्कासन को चुनौती दी है। जब अदालत ने छात्रों के वकीलों से कहा कि वे हलफनामा दाखिल कर कहें कि भविष्य में यूनिवर्सिटी परिसर में कोई प्रदर्शन नहीं होगा, तो वकीलों ने कहा कि कुछ दूसरे संगठन हो सकते हैं जो किसी तरह की ‘शरारत’ करें।

इस पर न्यायालय ने कहा, ‘वह (कन्हैया) जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष हैं और उनके पास छात्रों का समर्थन है। यदि वह कहते हैं कि कोई हड़ताल नहीं होनी चाहिए तो कोई हड़ताल नहीं होगी। वह काफी स्पष्ट तरीके से बोलते हैं और उन्हें दृढ़ता दिखानी होगी।’ 

अदालत ने कहा, ‘जेएनयू एक सामान्य जगह होनी चाहिए जहां कोई पत्रकार न मंडराए। उन्हें (छात्रों को) पढ़ने दें।’ जेएनयू प्रशासन की ओर से पेश हुए वकील से अदालत ने कहा, ‘आपको छात्रों के साथ थोड़ा तर्कसंगत ढंग से तालमेल बिठाना चाहिए। हालात को समझें और उनसे बात करें।’ कन्हैया, अश्वती ए नायर, ऐश्वर्या अधिकारी, कोमल मोहिते, चिंटू कुमारी, अनवेषा चक्रवर्ती और दो अन्य ने उनके खिलाफ जारी किए गए जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के आदेश को चुनौती दी थी।

उमर खालिद और अनिर्बाण भट्टाचार्य ने इस सप्ताह उनकी बर्ख्रास्तगी के खिलाफ अदालत का रुख किया था। उमर पर 20 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। अनिर्बान को जेएनयू परिसर में 23 जुलाई से लेकर पांच साल तक के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया है।

इस साल नौ फरवरी को आयोजित हुए विवादास्पद समारोह के चलते कन्हैया, अनिर्बाण और उमर पर राजद्रोह का आरोप लगाया गया था। इन पर यूनिवर्सिटी ने 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया था। नौ फरवरी को जेएनयू में हुए इस विवादित समारोह के संबंध में उच्च स्तरीय जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर इन तीनों और कुछ अन्य छात्रों के खिलाफ विभिन्न कार्रवाइयां की गई थीं। इनमें बर्ख्रास्तगी से लेकर, यूनिवर्सिटी में आने पर प्रतिबंध और जुर्माना आदि शामिल हैं।

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