रामसेतु मामला : जल्द सुनवाई पर SC ने सुब्रमण्यम स्वामी से कहा-'10 दिन इंतजार करिए'
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रामसेतु मामला : जल्द सुनवाई पर SC ने सुब्रमण्यम स्वामी से कहा-'10 दिन इंतजार करिए'

इससे पहले केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर सेतु समुद्रम परियोजना और राम सेतु के बारे में रुख स्पष्ट करते हुए कहा था कि समुद्र में जहाजों की आवाजाही को सुगम बनाने के लिए प्रस्तावित सेतु समुद्रम परियोजना के लिए राम सेतु को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा.

फाइल फोटो

नई दिल्ली : रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की मांग को लेकर बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई की मांग की. स्वामी ने सीजेआई दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा कि कोर्ट ने इस पर केन्द्र सरकार को नोटिस जारी किया था, दस साल हो गए लेकिन सरकार ने अभी तक याचिका का जवाब दाखिल नहीं किया है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वामी से कहा कि दस दिन और इंतज़ार करें.

दरअसल, इससे पहले केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर सेतु समुद्रम परियोजना और राम सेतु के बारे में रुख स्पष्ट करते हुए कहा था कि समुद्र में जहाजों की आवाजाही को सुगम बनाने के लिए प्रस्तावित सेतु समुद्रम परियोजना के लिए राम सेतु को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा. परियोजना के लिए सरकार कोई दूसरा वैकल्पिक मार्ग तलाशेगी.

सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकायें लंबित हैं, जिसमें सेतुसमुद्रम परियोजना के वर्तमान मार्ग को रामसेतु को तोड़े जाने और पर्यावरण को नुकसान होने के आधार पर चुनौती दी गई है. इनमें से एक याचिका बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी की है जिसमें विशेषतौर पर परियोजना को रामसेतु तोड़े जाने के आधार पर चुनौती दी गई है. स्वामी ने अपनी याचिका में कहा है कि राम सेतु लाखों हिन्दुओं की आस्था से जुड़ा है. इसे न तोड़ा जाए और राम सेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जाए. सेतु समुद्रम परियोजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने बहुत पहले बहस सुनकर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. फैसला सुरक्षित रखते समय कोर्ट ने सरकार से वैकल्पिक मार्ग तलाशने पर विचार करने को कहा था.

इसके बाद सरकार ने पचौरी समिति का गठन किया था. समिति ने यूपीए सरकार के कार्यकाल में ही अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी. लेकिन यूपीए सरकार लगातार सेतु समुद्रम की प्रस्तावित परियोजना मौजूदा तय मार्ग से ही निकालना चाहती थी. केन्द्र में सत्ता परिवर्तन के बाद आयी बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार ने शुरू में ही साफ कर दिया था कि लोगों की आस्था का ध्यान रखते हुए परियोजना के लिए राम सेतु नहीं तोड़ा जाएगा.

बता दें कि साल 2008 में तत्कालीन यूपीए सरकार ने इस मामले में हलफनामा दाखिल कर सेतु समुद्रम परियोजना के लिए राम सेतु को तोड़ कर तय वर्तमान मार्ग से ही लागू किये जाने पर जोर देते हुए कहा था कि भगवान राम के अस्तित्व में होने के बारे में कोई पुख्ता साक्ष्य उपलब्ध नहीं हैं. ये भी कहा था कि रामायण महज कल्पित कथा है। यूपीए सरकार के इस हलफनामे पर काफी हंगामा हुआ था जिसके बाद आनन-फानन में सरकार ने अपना वह हलफनामा कोर्ट से वापस ले लिया था.

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