नोटबंदी पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इंकार, केंद्र से एक हफ्ते में मांगा जवाब
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नोटबंदी पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इंकार, केंद्र से एक हफ्ते में मांगा जवाब

उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार की 500 व 1000 रुपये के मौजूदा नोटों को चलन से बाहर करने संबंधी अधिसूचना पर रोक लगाने से मंगलवार को इनकार कर दिया। इसके साथ ही न्यायालय ने सरकार से लोगों की दिक्कतें कम करने का निर्देश देते हुए कहा है कि वह उनके खिलाफ ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ नहीं कर सकती।

नोटबंदी पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इंकार, केंद्र से एक हफ्ते में मांगा जवाब

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार की 500 व 1000 रुपये के मौजूदा नोटों को चलन से बाहर करने संबंधी अधिसूचना पर रोक लगाने से मंगलवार को इनकार कर दिया। इसके साथ ही न्यायालय ने सरकार से लोगों की दिक्कतें कम करने का निर्देश देते हुए कहा है कि वह उनके खिलाफ ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ नहीं कर सकती।

देश भर में बैंकों व एटीएम के बाहर लोगों की लंबी कतारों की ओर इशारा करते हुए प्रधान न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा, ‘आप (केन्द्र) काले धन के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक कर सकते हैं परंतु आप देश की जनता के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक नहीं कर सकते।’ पीठ ने कहा, ‘बढ़ई, घरेलू सहायक, सब्जी विक्रेता नकदी पर निर्भर हैं। क्या आप उनकी परेशानी घटाने में सक्षम हैं। आपका लक्ष्य कालेधन को समाप्त करना है कि लेकिन बिना काम के घंटों कतारों में खड़े होकर आम जनता परेशान है।’ 

न्यायालय ने कहा, ‘वे (केंद्र) इसे सर्जिक्ल स्ट्राइक कहते हैं। आप (याचिककर्ता की ओर से हाजिर हुए कपिल सिब्बल) इसे कारपेट बंबिंग कह रहे हैं। इस तरह के कदमों का उद्देश्य लोगों को नकद धन की जमाखोरी से रोकना है।’ न्यायालय ने कालेधन के अपराध के खिलाफ लड़ाई को ‘सराहनीय’ कदम बताते हुए केंद्र से कहा कि वह ‘आम लोगों के दर्द को कम करने के लिए कदम उठाने पर विचार करे’ तथा नकदी निकासी की सीमा बढ़ाने पर भी विचार करे।

पीठ ने कहा, ‘निकासी सीमा को एक उचित स्तर तक क्यों नहीं बढ़ाया जा सकता ताकि कम संख्या में लोग कतारों में हों।’ न्यायालय ने सरकार से लोगों की दिक्कत वाले पहलू पर गौर करने को कहा। न्यायालय ने इस मामले में केंद्र या रिजर्व बैंक को कोई नोटिस जारी नहीं किया और उनसे कहा कि वे इस मामले में अब तक उठाए गए तथा प्रस्तावित कदमों के बारे में विस्तृत हल्फनामा दाखिल करें। इसमें न्यायालय को सूचित करना होगा कि नोटबंदी के कारण आम जनता को हो रही परेशानी व दिक्कत को दूर करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं।

सरकार की ओर से अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी सरकार के इस कदम का बचाव करने के लिए पूरी तरह तैयार होकर आए। उन्होंने कहा कि केन्द्र के इस निर्णण का विरोध करने का कोई कानूनी आधार नहीं है जिसका उद्देश्य ‘बड़ी मछलियों’ को पकड़ना हैं जिन्हें पकड़ने में पिछले 50 साल में सरकारें विफल रहीं। इस मामले में अगली सुनवाई 25 नवंबर को होनी है। चार जनहित याचिकाओं में सरकार की 500, 1000 के नोट चलन से वापस लेने संबंधी अधिसूचना को चुनौती दी गई है।

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