DNA ANALYSIS: कोरोना से निपट लेंगे, वैश्विक अकाल का सामना कैसे करेंगे?
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DNA ANALYSIS: कोरोना से निपट लेंगे, वैश्विक अकाल का सामना कैसे करेंगे?

कोरोना के इस दौर में दुनिया, एक साथ कई मोर्चों पर जंग लड़ रही है. इसमें एक मोर्चा भुखमरी का है. खासकर विकासशील और गरीब देशों में तो एक बड़ी लड़ाई, भुखमरी से है.

DNA ANALYSIS: कोरोना से निपट लेंगे, वैश्विक अकाल का सामना कैसे करेंगे?

कोरोना के इस दौर में दुनिया, एक साथ कई मोर्चों पर जंग लड़ रही है. इसमें एक मोर्चा भुखमरी का है. खासकर विकासशील और गरीब देशों में तो एक बड़ी लड़ाई, भुखमरी से है. हम आपको कुछ तस्वीरें दिखाते हैं, जिसे देखकर हम सबको बहुत कष्ट होगा. 

ड्रोन कैमरे से ली गईं ये तस्वीरें दक्षिण अफ्रीका की हैं. जहां खाने का पैकेट पाने के लिए लोगों की चार किलोमीटर लंबी कतार लग गई. दक्षिण अफ्रीका के प्रिटोरिया शहर की झुग्गियों में एक चैरिटी संस्था ने बुधवार को फूड कैंप लगाया था जिसमें भोजन के आठ हजार पैकेट बांटे जाने थे. हजारों लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई. जब इन लोगों को एक लाइन में खड़ा किया गया तो ये लाइन, चार किलोमीटर लंबी हो गई. सोचिए, ये किस तरह के हालात हैं, जब भूख मिटाने के लिए लोग चार-चार किलोमीटर की लाइन में लगने के लिए मजबूर हैं.

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कोरोना वायरस की वजह से दक्षिण अफ्रीका में पांच हफ्ते से लॉकडाउन है. वहां कोरोना के करीब साढ़े पांच हज़ार मामले हैं और 100 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है. दक्षिण अफ्रीका में भुखमरी, कोरोना से पहले भी एक बड़ी समस्या थी और अब लॉकडाउन की वजह से ये समस्या कितनी गंभीर हो चुकी है. ये इन तस्वीरों को देखकर समझा जा सकता है.

कोरोना महामारी अमीर और गरीब के बीच भेदभाव नहीं करती, लेकिन संकट की इस घड़ी में भूख, भेदभाव कर रही है. जो गरीब देशों को अपना सबसे बड़ा शिकार बना रही है लेकिन कोरोना के दौर में भोजन का ये संकट, सिर्फ गरीब देशों की ही समस्या नहीं है. कुछ दिन पहले हमने आपको अमेरिका की भी तस्वीरें दिखाईं थीं जहां लॉकडाउन की वजह से करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए हैं और अपना पेट भरने के लिए दानदाताओं पर निर्भर हो गए हैं.

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दुनिया में सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या अमेरिका में ही है. लॉकडाउन की वजह से दो करोड़ से ज्यादा लोगों की नौकरियां जा चुकी हैं और ये बेरोजगार लोग, अब फूड बैंक पर आश्रित हैं. फूड बैंक ऐसी गैर-सरकारी संस्थाओँ को कहा जाता है जो जरूरतमंद लोगों तक खाना पहुंचाती हैं. अमेरिका में आजकल इन संस्थाओं के पास ज्यादा से ज्यादा भोजन सप्लाई करने की चुनौती बढ़ गई है. कई शहरों से ऐसी तस्वीरें सामने आ रही हैं जिनमें फूड बैंक के बाहर कारों की लंबी लाइनें लगी हैं. अमेरिका में इस तरह का संकट पहले कभी नहीं देखा गया.

ऐसी तस्वीरों को देखकर ही पूरी दुनिया में ये बहस चल रही है कि लॉकडाउन होना चाहिए या नहीं. कई लोग लॉकडाउन के पक्ष में नहीं हैं, वो यही कहते हैं, अगर ऐसे ही लॉकडाउन चलता रहा तो कोरोना वायरस से ज़्यादा मौत भुखमरी से हो जाएंगी. भुखमरी के खिलाफ लड़ने वाली वैश्विक संस्था, वर्ल्ड फूड प्रोग्राम (World Food Programme) ने आगाह किया है कि कोरोना महामारी से संघर्ष कर रही दुनिया, भुखमरी की महामारी के कगार पर है. WFP की रिपोर्ट में बताया गया है कि पूरे विश्व में साढ़े 13 करोड़ लोग भुखमरी के संकट या उससे भी बुरे स्तर का सामना कर रहे हैं. कोरोना और लॉकडाउन की वजह से, और 13 करोड़ लोग, इस वर्ष के अंत तक भुखमरी के कगार पर पहुंच जाएंगे.

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रिपोर्ट में ये भी कहा गया है दुनियाभर में तीन करोड़ लोग ऐसे हैं जो जिंदा रहने के लिए पूरी तरह WFP की मदद पर निर्भर हैं. अगर हालात नहीं सुधरे तो तीन महीने के भीतर ऐसी स्थिति हो जाएगी कि पूरी दुनिया में हर दिन, तीन लाख लोग भूख से मरेंगे. WFP का आकलन है कि बुरी से बुरी स्थिति में करीब 36 देशों में अकाल पड़ सकता है, और उनमें से दस देश ऐसे हैं जहां प्रत्येक देश में 10 लाख से ज्यादा लोग, पहले से ही भुखमरी के शिकार हैं. इनमें यमन, कॉन्गो, अफगानिस्तान, वेनेजुएला, सूडान और नाइजीरिया जैसे गरीब देश शामिल हैं. 

WFP को अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, जापान और अन्य विकसित देशों से आर्थिक मदद मिलती है, जो खुद इस समय कोरोना महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि अगर ये देश आर्थिक सहायता को रोकते हैं या कम करते हैं, तो दुनिया भुखमरी के अभूतपूर्व हालात का सामना करेगी.

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