DNA ANALYSIS: असम-मिजोरम के बीच 100 वर्षों से भी ज्यादा पुराना सीमा विवाद क्यों नहीं सुलझाया गया?
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DNA ANALYSIS: असम-मिजोरम के बीच 100 वर्षों से भी ज्यादा पुराना सीमा विवाद क्यों नहीं सुलझाया गया?

असम-मिजोरम की सीमा पर जिस जगह खूनी संघर्ष हुआ था, वहां पर अब CRPF की पांच कंपनियां तैनात की गई हैं. केंद्रीय गृह मंत्रालय इस पूरे मामले की निगरानी कर रहा है.

DNA ANALYSIS: असम-मिजोरम के बीच 100 वर्षों से भी ज्यादा पुराना सीमा विवाद क्यों नहीं सुलझाया गया?

नई दिल्ली: आज हम आपको देश के उत्तर पूर्वी राज्यों के दो जश्न की तस्वीरें के बारे में बताएंगे. एक जश्न मेडल जीतने का है और दूसरा जश्न अपने ही देश के लोगों की हत्या करने का है. 27 जुलाई को मणिपुर में मीराबाई चानू के स्वागत में जश्न मनाया गया और ये जश्न टोक्यो ओलंपिक्स में भारत के लिए मेडल जीतने की खुशी का है.

ये तस्वीरें देख कर आपको लगेगा कि ये काफिला किसी नेता, फिल्म स्टार या वर्ल्ड कप जीतने वाले किसी क्रिकेटर का है, लेकिन ऐसा नहीं है. ये काफिला मीराबाई चानू का है. जब मीराबाई चानू अपने गृह राज्य मणिपुर की राजधानी इम्फाल पहुंचीं, तो हजारों लोग उनका स्वागत करने के लिए इंतजार कर रहे थे. एयरपोर्ट से जब उनका काफिला निकला तो ये लोग उनके साथ साथ चलने लगे और धीरे-धीरे ये स्वागत, जीत की महा रैली में बदल गया. मीराबाई चानू के साथ मणिपुर के मुख्यमंत्री एन.बिरेन सिंह भी मौजूद थे.

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अब आपको दूसरे जश्न की तस्वीरों के बारे में बताते हैं और ये जश्न अपने ही देश के लोगों की हत्या करने का है. हत्या का ये जश्न मिजोरम की पुलिस और वहां के स्थानीय लोग मना रहे हैं क्योंकि, 26 जुलाई को इन्होंने असम के पांच पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी. 

असम के 5 पुलिसकर्मियों की हत्या

ज़ी न्यूज़ की रिपोर्टिंग टीम उस घटनास्थल पर पहुंची, जहां असम पुलिस के पांच जवान मारे गए थे. असम के सिलचर में खूनी संघर्ष में मारे गए पांच जवानों को श्रद्धांजलि दी गई और उन्हें Guard of Honour दिया गया. इस दौरान असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा भी वहां मौजूद थे. असम की सरकार ने इन जवानों के परिवारों को 50 लाख रुपये, परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी और घायलों को एक-एक लाख रुपये मुआवजा देने का ऐलान किया है.

सीमा पर खूनी संघर्ष

असम-मिजोरम की सीमा पर जिस जगह खूनी संघर्ष हुआ था, वहां पर अब CRPF की पांच कंपनियां तैनात की गई हैं. हर कंपनी में 135 जवान होते हैं. यानी इस हिसाब से केंद्रीय सुरक्षा बल के 675 जवान वहां तैनात हैं और केंद्रीय गृह मंत्रालय इस पूरे मामले की निगरानी कर रहा है.

पूरे मुद्दे पर राजनीति भी शुरू हो गई

असम की सरकार ने खूनी संघर्ष में मारे गए जवानों की याद में 3 दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है और इस पूरे मुद्दे पर राजनीति भी शुरू हो गई है. कांग्रेस पार्टी ने कहा है कि वो 7 सदस्यों का एक दल इन इलाकों में भेजेगी और इस दल का नेतृत्व असम कांग्रेस के अध्यक्ष भूपेन बोरा करेंगे.

हैरानी की बात ये है कि असम और मिजोरम के बीच ये सीमा विवाद 100 वर्षों से भी ज्यादा पुराना है और आजादी के बाद से असम में कांग्रेस की 11 सरकारें बन चुकी हैं, लेकिन कांग्रेस ने कभी इस सीमा विवाद को नहीं सुलझाया, लेकिन अब राजनीति करने के लिए वो अपने नेताओं का एक दल इन जगहों पर भेजेगी.

जवानों को मारने के बाद जश्न?

असम के मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया है कि खूनी झड़प के दौरान मिजोरम की पुलिस ने असम पुलिस के जवानों पर Light Machine Guns का इस्तेमाल किया. उन्होंने ट्विटर पर कुछ वीडियो शेयर करते हुए ये आरोप भी लगाया कि असम पुलिस के जवानों को मारने के बाद मिजो​रम पुलिस और वहां के स्थानीय लोगों ने जश्न मनाया था.

असम के मुख्यमंत्री ने आज ये भी कहा कि वो असम के वन क्षेत्र में अतिक्रमण और कब्जे के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे और राज्य की सीमा सुरक्षा की मांग करेंगे. इसके अलावा हिमंता बिस्वा सरमा ने ये भी कहा कि वो असम की एक इंच जमीन भी किसी को नहीं लेने देंगे.

Zee News देश का पहला ऐसा चैनल है, जो असम और मिजोरम के उन इलाकों में पहुंचा है, जहां कल खूनी संघर्ष हुआ था.

असम का इन राज्यों से भी सीमा विवाद

 

असम-मिजोरम सीमा विवाद के बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय ने देश में राज्यों के बीच चल रहे सीमा विवाद पर अहम जानकारी दी. गृह मंत्रालय ने लोकसभा में बताया कि इस समय असम का अपने 4 पड़ोसी राज्यों के साथ सीमा विवाद चल रहा है. इनमें मिजोरम के अलावा अरुणाचल प्रदेश, मेघालय और नागालैंड के साथ भी असम का सीमा विवाद है.

-इसी तरह हरियाणा- हिमाचल प्रदेश के बीच भी सीमा को लेकर विवाद है.

-और इसी तरह का विवाद लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के बीच भी है.

-और महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच भी सीमा और कुछ क्षेत्रों को लेकर विवाद की स्थिति है.

गृह मंत्रालय के कहा है कि इन राज्यों के सीमा विवाद का निपटारा करवाने में केंद्र सरकार की भूमिका सिर्फ एक सूत्रधार की है, जिससे इनका समाधान आपसी सौहार्दपूर्ण ढंग से निकल सके, लेकिन असली काम इन्हीं राज्यों को करना है.

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