DNA ANALYSIS: मध्य प्रदेश के गांवों से समझिए महामारी से लड़ने का मंत्र
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DNA ANALYSIS: मध्य प्रदेश के गांवों से समझिए महामारी से लड़ने का मंत्र

Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश के जबलपुर के पास बसे सूखा गांव के लोगों ने खुद पर ही लॉकडाउन लगाया. कोरोना की दूसरी लहर ने इस गांव में बड़ी तबाही की थी. जिसके बाद गांव वालों ने एकजुटता दिखाते हुए नियमों का पालन किया और अपने गांव को कोरोना मुक्त बना लिया.

DNA ANALYSIS: मध्य प्रदेश के गांवों से समझिए महामारी से लड़ने का मंत्र

नई दिल्ली: इजरायल, अमेरिका, न्यूजीलैंड, फ्रांस और चीन में अब मास्क पहनना जरूरी नहीं है. ऐसा इसलिए है क्योंकि, वहां के लोगों ने कोरोना संक्रमण की गंभीरता को समझते हुए, कोविड संबंधी नियमों का पालन किया और वैक्सीन लगवाई. इसी वजह से संक्रमण के मामले इन देशों में लगभग खत्म हो रहे हैं.

भारत भी ऐसा कर सकता है, अगर वो अपने ही देश के कुछ गांवों से सबक ले. मध्य प्रदेश के कुछ गांवों ने अनुशासन और नियमों का सख्ती से पालन करके खुद को कोरोना मुक्त बना लिया है. ये कुछ गांव पूरे देश के लिए मिसाल बन रहे हैं. इन गांवों ने कोरोना संक्रमण से जंग कैसे जीती, इस पर हमने एक रिपोर्ट तैयार की है.

अनुशासन से गांव को बनाया कोरोना मुक्त

मध्यप्रदेश के जबलपुर के पास बसे सूखा गांव के लोगों ने खुद पर ही लॉकडाउन लगाया. कोरोना की दूसरी लहर ने इस गांव में बड़ी तबाही की थी. जिसके बाद गांव वालों ने एकजुटता दिखाते हुए नियमों का पालन किया और अपने गांव को कोरोना मुक्त बना लिया.

गांव में हर कोई सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करता है. गांव में बाहरी लोगों के आने पर रोक है. देश में जब कोरोना संक्रमण के मामले बढ़े तो इस गांव में भी मरीजों की संख्या बढ़ी. गांव में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के देखते हुए पंचायत ने लोगों को जागरूक करने का जिम्मा उठाया.

पंचायत से जुड़े लोगों ने गांववालों को जागरूक करने के अलावा एक और बड़ा काम भी किया जिस इलाके में कोरोना के मामले आए, उस जगह को लॉक कर दिया ताकि संक्रमण न फैले. सार्वजनिक स्थानों पर ताले डाल दिए गए. बिना वजह घर से बाहर निकलने पर पाबंदी लगा दी गई. अच्छी बात ये रही कि जल्दी ही ये गांव कोरोना मुक्त हो गया.

इसी तरह से भिंड जिले का सोनी गांव भी कोरोना मुक्त हो गया. 7 हजार आबादी वाले इस गांव के लोगों ने भी संक्रमण को हराने के लिए नियमों का पालन सख्ती से किया.

अप्रैल महीने में जब देश में कोरोना की दूसरी लहर आई थी, तो भिंड में भी बड़ी संख्या लोग संक्रमित हुए थे. स्वास्थ्य विभाग की टीम ने सोनी गांव में कोरोना की जांच की तो 500 लोगों में वायरस के हल्के लक्षण पाए गए.

गांव के लोगों को कोरोना संक्रमण से डर लगने लगा था. लेकिन गांववालों ने इसके खिलाफ जंग छेड़ी, पूरे गांव ने एकजुट होकर कोरोना गाइडलाइंस का पालन किया, जागरूकता अभियान चलाया गया. लोगों के घर जाकर कोरोना किट बांटी गई. संक्रमितों के घर के बाहर बैरिकेडिंग की गई. खुद पर लगाए गए इस लॉकडाउन की वजह से सोनी गांव को भी कोरोना महामारी पर विजय मिली.

कोरोना के खिलाफ मिलकर लड़ी जंग

रायसेन जिले के कीरतपुर गांव के युवा कोरोना वॉरियर्स ने दूसरी लहर के दौरान गांव के लोगों के साथ मिलकर कोरोना के खिलाफ जंग लड़ी और आज इनकी वजह से ये गांव कोरोना मुक्त हो चुका है.

इस गांव की आबादी करीब 1000 है. दूसरी लहर के दौरान इस गांव में 14 मामले आए थे, लेकिन गांववालों की समझदारी, ग्राम पंचायत की सतर्कता और जिला प्रशासन के सहयोग से इस गांव ने कोरोना को आसानी से हरा दिया.

मध्य प्रदेश के खंडवा का खालवा गांव भी दूसरी लहर में चपेट में आ गया था, लेकिन आज कोरोना मुक्त हो चुका है. इस पीछे वजह है गांववालों को सतर्क रहना. जैसे गांव में संक्रमण के मामले बढ़े लोगों ने खुद से ही गांव में लॉकडाउन लगा दिया. व्यापारियों ने दुकानें बंद कर दी, लोगों के घर से निकलना बंद कर दिया.

खालवा ग्राम पंचायत के स्वघोषित लॉकडाउन के 3 दिन बाद प्रशासन ने कर्फ्यू का ऐलान किया था. गांववालों ने संक्रमण की गंभीरता को देखते हुए सरकारी निर्देश का इंतजार नहीं किया.

बनाए गए क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप 

इसी तरह से सीहोर के राला गांव के लोगों ने भी खुद के अनुशासन और कोविड संबंधी नियमों को पालन से वायरस को हराया और इसकी शुरुआत जागरूकता फैलाने के साथ हुई.

राला गांव की आबादी साढ़े 6 हजार है. ये गांव अप्रैल के शुरुआती दिनों में ही कोरोना की दूसरी लहर की चपेट में आ गया था, लेकिन अब ये गांव कोरोना मुक्त हो चुका है. दूसरी लहर में संक्रमण पर काबू पाने के लिए ग्रामीण स्तर पर क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप बनाए गए. ब्लॉक लेवल पर प्रशासनिक अधिकारियों ने जिम्मेदारी संभाली.

ग्रामीणों का बड़ा योगदान रहा. गांव के लोगों ने मिलकर प्रयास किया. पहले थोड़ा डर का माहौल था, लोगों के बीच. लेकिन घर के बुजुर्गों ने, गांव वालों ने बीमारी छिपाई नहीं. जब कोई बीमार होता था तो बताते थे. राला गांव के लोगों ने संक्रमण काल में जबदस्त संयम दिखाया. गांव वालों ने खुद से ही लॉकडाउन लगा लिया था. लोग घरों से बाहर नहीं निकलते थे और ज्यादातर दुकानें भी बंद रहती थीं.

मास्क को बनाया ​जीवन का हिस्सा

मध्यप्रदेश के नीमच पिपल्या व्यास गांव में तो अनोखे तरीके से लोगों को संक्रमण के प्रति जागरूक किया गया. यहां पर दीवारों पर संदेश लिखे गए. इन संदेशों को किसी मंत्र की तरह गांव वालों ने अपनाया और अब यहां एक भी कोरोना संक्रमित नहीं है.

गांव के लोगों ने मास्क को अपने जीवन का हिस्सा बना लिया है. गांव के लोग मास्क के साथ-साथ सोशल डिस्टेसिंग का भी ध्यान रखते हैं.

कोरोना की दूसरी लहर में जागरूकता और जनभागीदारी से किसी भी बड़े संकट से बाहर निकला जा सकता है, ये मध्य प्रदेश के इन गांवों ने साबित किया. महामारी के दौर में सरकारी निर्देशों को पालन से ज्यादा जरूरी है कि खुद से कोविड गाइडलाइंस का पालन और अनुशासन. इन गांवों ने इसी तरीके से अपने गांवों को कोरोना मुक्त बनाया और देश के लिए मिसाल बन गए.

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