आज हम आपको खाने में मिलावट के बारे में बताएंगे. भारत की फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (FSSAI) की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक भारत के प्रमुख राज्यों में बिकने वाली सब्जियों में 2 प्रतिशत से 25 प्रतिशत तक सब्जियां जहरीली हैं. यानी ये खाने योग्य नहीं हैं.
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नई दिल्ली: आज हम आपको खाने में मिलावट के बारे में बताएंगे. भारत की फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (FSSAI) की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक भारत के प्रमुख राज्यों में बिकने वाली सब्जियों में 2 प्रतिशत से 25 प्रतिशत तक सब्जियां जहरीली हैं. यानी ये खाने योग्य नहीं हैं. ये एक ऐसी खबर है जो भारत के लगभग हर व्यक्ति को और हर परिवार को प्रभावित करती है. लेकिन भारत का कोई भी न्यूज़ चैनल आपको इसके बारे में नहीं बताएगा.
क्योंकि, आपके स्वास्थ्य से जुड़ी होने के बावजूद इस खबर में कोई टीआरपी नहीं है. लेकिन हमें लगता है कि टीआरपी मिले या न मिले, हमें इस खबर से जुड़ी हर जानकारी आपके परिवार तक पहुंचानी चाहिए.
फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी की देशव्यापी जांच में पता चला है कि बाजार में बिकने वाली साढ़े 9 प्रतिशत सब्जियां खाने योग्य नहीं हैं क्योंकि इन सब्जियों में लेड और कैडमियम जैसे हानिकारक हेवी मेटल्स की मात्रा तय सीमा से 2 से 3 गुना ज्यादा पाई गई है.
5 से लेकर 15 प्रतिशत तक सब्जियां जहरीली पाई गईं
इनमें सबसे बुरी स्थिति मध्य प्रदेश की है. जहां उगाई और बेचे जानी वाली 25 प्रतिशत सब्जियां जांच में फेल हो गई हैं. दूसरे नंबर पर छत्तीसगढ़ है जहां 13 प्रतिशत सब्जियों में हानिकारक तत्व पाए गए हैं. इसके बाद बिहार, चंडीगढ़, महाराष्ट्र, राजस्थान, झारखंड, पंजाब और दिल्ली का नंबर आता है. इन राज्यों में उगाई और बेची जाने वाली कितने प्रतिशत सब्जियां जांच में फेल हुई हैं. उसका आंकड़ा इस समय आपके टेलीविजन स्क्रीन पर है. इस अध्ययन के दौरान पूरे देश को पांच जोन में बांटा गया था. इनमें से सिर्फ साउथ जोन से लिए गए सभी नमूने जांच में पास हुए हैं, जबकि मध्य, पूर्वी, पश्चिमी और उत्तरी जोन में 5 से लेकर 15 प्रतिशत तक सब्जियां जहरीली पाई गई हैं.
इस स्टडी के दौरान देशभर से पत्ते वाली, फल वाली और जमीन के नीचे उगने वाली सब्जियों के 3 हजार 300 से ज्यादा सैंपल्स लिए गए थे. इनमें से 306 यानी लगभग 9 प्रतिशत सैंपल्स किसी न किसी पैमाने पर फेल हो गए. जो 306 सैंपल्स फेल हुए हैं, उनमें से 260 में लेड की मात्रा तय सीमा से बहुत ज्यादा पाई गई है. पत्ते वाली सब्जियों को छोड़ दिया जाए तो बाकी सब्जियों में लेड की मात्रा 100 माइक्रोग्राम प्रति किलो से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. लेकिन मध्य प्रदेश में बिकने वाले टमाटर में 600 माइक्रोग्राम तो भिंडी में 1000 माइक्रोग्राम तक लेड पाया गया है. लेड के अलावा देशभर में खाई जाने वाली इन सब्जियों में कैडमियम, आर्सेनिक और पारा जैसे तत्व भी पाए गए हैं.
सब्जियों में ये जहर आया कहां से ?
अब आप सोच रहे होंगे कि भारत तो हमेशा से एक कृषि प्रधान देश रहा है और यहां हजारों वर्षों से प्राकृतिक माहौल में सब्जियां उगाई जा रही है तो आखिर सब्जियों में ये जहर आया कहां से ?
इसका जवाब ये है कि सब्जियों में ये जहरीले तत्व कीटनाशकों के इस्तेमाल, मिट्टी में आई खराबी और गंदे पानी से खेती करने पर आते हैं. ये देश के किसी एक शहर या गांव की कहानी नहीं है, बल्कि ये पूरे देश में हो रहा है.
लेड, कैडमियम, आर्सेनिक और पारा जैसे तत्व अगर ज्यादा मात्रा में शरीर में चले जाएं तो ये आपको मानसिक और शारीरिक रूप से बीमार कर सकते हैं और इनमें से कुछ तत्व तो जानलेवा ही होते हैं.
ज्यादा मात्रा में लेड अगर शरीर में चला जाए तो इसका असर आपके मस्तिष्क पर पड़ता है. इससे आपकी सोचने-समझने की शक्ति प्रभावित हो सकती है. इसके अलावा ये बच्चों के विकास पर भी असर डालता है और ये किडनी के लिए भी हानिकारक है.
आर्सेनिक से आपको दिल की गंभीर बीमारियां हो सकती है तो कैडमियम आपकी हड्डियों को कमजोर करता है और आपकी किडनी को भी खराब कर सकता है.
देशभर में उगाई और बेची जाने वाली सब्जियों की जांच का आदेश वर्ष 2017 में भोपाल के नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने एक याचिका पर सुनवाई के बाद जारी किया था.
बहुत सारे लोग जो स्वस्थ लाइफ स्टाइल वाले होते हैं, अचानक उनकी किडनी खराब हो जाती, दिल की बीमारी हो जाती है. यहां तक कैंसर भी हो जाता है. लोग कहते हैं कि ये तो सिगरेट नहीं पीता था, शराब नहीं पीता था.
सब्जियों में कैसे जहर भरा जा रहा
आपकी थाली तक पहुंचने वाली सब्जियों में कैसे जहर भरा जा रहा है और ये कैसे आपके और आपके पूरे परिवार के स्वास्थ्य को बिगाड़ सकती हैं. इस पर ज़ी न्यज़ू पिछले कई वर्षों से लगातार रिपोर्टिंग कर रहा है. हमने वर्ष 2016 में पहली बार पूरे देश को इन जहरीली सब्जियों के बारे में बताया था. इसके बाद हमने वर्ष 2018 और 2019 में भी इस विषय पर बाकायदा एक सीरीज़ की थी. उस समय अलग अलग शहरों का प्रशासन हमारी रिपोर्ट देखने के बाद सजग हो गया था और गंदे पानी से होने वाली खेती पर रोक भी लगा दी गई थी और ऐसा दोबारा न करने की चेतावनी भी दी गई थी लेकिन जैसा कि आप जानते हैं हमारे देश में शासन और प्रशासन, सब चलता है...वाली सोच के आधार पर काम करते हैं. इसलिए थोड़े दिनों के बाद फिर से सब कुछ पहले जैसा हो जाता है. लेकिन हम अपनी ये मुहिम ठंडी नहीं पड़ने देंगे, क्योंकि हमारे लिए टीआरपी से ज्यादा जरूरी आपका और आपके परिवार का स्वास्थ्य है.
2016 में हमने आपको बताया था कि कैसे गंदी और प्रदूषित नदियों के किनारे उगने वाली सब्जियां घर घर में कैंसर बांट रही हैं. तब हमारी रिपोर्टिंग के केंद्र में हिंडन नदी थी.
कैसे आपकी सेहत के साथ लगातार खिलवाड़ हो रहा...
इसके बाद 2018 में हमने आपको दिल्ली और आसपास के शहरों में यमुना नदी के किनारे हो रही इस जहरीली खेती के प्रति आगाह किया था और इन सब्जियों की एक मान्यता प्राप्त लैब में जांच कराकर ये साबित किया था कि कैसे आपकी सेहत के साथ लगातार खिलवाड़ हो रहा है.
टेस्ट रिपोर्ट से ये साफ था कि ये जमीन पर उगाई जाने वाली सब्जियां नहीं बल्कि जहर था. जो सीधे सीधे आपकी थाली में पहुंच रहा था. रूह कंपा देने वाली इन रिपोर्ट्स को देखकर यकीन करना मुश्किल था. लेकिन इन सब्जियों का सच यही है.
हमें ये तो पता चल गया था कि इन सब्जियों में जो हेवी मेटल्स थे, वो सैकड़ों गुना ज्यादा थे. लेकिन आपको ये बात समझानी जरूरी थी कि इन लेड, आर्सेनिक और कैडमियम जैसे तत्वों के नुकसान क्या हैं? और ये आपके शरीर को कैसे नुकसान पहुंचाते हैं.
2018 की हमारी रिपोर्ट देखने के बाद दिल्ली सरकार ने यमुना के किनारे होने वाली खेती पर रोक लगा दी और इस संदर्भ में चेतावनी भी जारी कि थी लेकिन कुछ दिनों बाद ही सब कुछ पुराने ढर्रे पर लौट आया इसलिए 2019 में हमने फिर से देश का ध्यान इस मुद्दे की तरफ खींचा.
जब हम पूरे देश को इस खतरे के प्रति सावधान कर रहे थे, तभी इस बीच वर्ष 2017 में भोपाल के नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने देशभर से सब्जियों के सैंपल की जांच करने के आदेश FSSAI को दिए.
FSSAI की ताजा रिपोर्ट और भी ज्यादा डराने वाली थी क्योंकि इस सर्वे में देशभर में उगाई और बेची जाने वाली करीब 10 प्रतिशत सब्जियां जहरीली पाई गई हैं और ये जहर आपको और हमें बीमार, बहुत बीमार बना रहा है.
जहरीली सब्जियों से कैसे बच सकते हैं?
अब आप सोचिए आप अपने लंच में इन्हीं सब्जियों को लेकर जाते हैं. अपने घर पर फोन करके पूछते हैं कि आज डिनर में कौन सी सब्जी बनी है. लेकिन जैसे ये सब्जियां उगाई जाती है. उसकी तस्वीरें किसी का भी सब्जियों से मोह भंग कर सकती है. लेकिन सवाल ये है कि आप जहरीली सब्जियों से कैसे बच सकते हैं? और ये कैसे पता लगा सकते हैं कि जो सब्जियां आप खा रहे हैं वो सुरक्षित हैं? न्यूज़ चैनल वाले आपको डराते बहुत हैं लेकिन सॉल्यूशन नहीं बताते. यहां हम आपको इसका सॉल्यूशन भी बताएंगे.
-जो जहर सब्जियों को उगाए जाने के दौरान उनके अंदर पहुंचता है, उसका घर बैठे पता लगाना संभव नहीं होता. ये काम सिर्फ किसी लैब में ही संभव है. इससे बचने का एक ही तरीका है और वो ये है कि आप ज्यादा से ज्यादा ऑर्गेनिक तरीके से उगाई गई सब्जियों का इस्तेमाल करें. ऑर्गेनिक तरीके से उगाई गई सब्जियों में कीटनाशक का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. लेकिन इस तरह की सब्जियां थोड़ी महंगी होती हैं. इसलिए दूसरा काम आप ये कर सकते हैं कि आप जिससे सब्जी खरीदते हैं उससे पूछें कि वो ये सब्जियां कहां से लाता है. थोड़ी सी जांच के बाद आपको ये पता चल जाएगा कि ये सब्जियां प्रदूषित नदियों के किनारे उगाई गई हैं या नहीं.
-एक काम आप ये भी कर सकते हैं कि अगर आपके घर में छत है तो आप अपने घर की छत पर ही ज्यादा से ज्यादा सब्जियां उगाने की कोशिश करें. हालांकि ये प्रक्रिया आसान नहीं है और इसमें खर्चा भी आता है. लेकिन अगर आप थोड़ी सी मेहनत कर सकते हैं तो आप जहरीली सब्जियां खाने से बच सकते हैं.
-सब्जियां आपके घर तक पहुंचने की प्रक्रिया के दौरान भी दूषित हो जाती हैं. उन्हें खाना भी आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है इसलिए आप सब्जियों को पकाने से पहले उन्हें अच्छी तरह से धोएं. आप चाहें तो इन सब्जियों को कुछ देर के लिए नमक के पानी में भी डुबो कर रख सकते हैं. इससे सब्जियों पर चिपके कई हानिकारक तत्व अलग हो जाते हैं.
-आप सब्जियों को छिल कर उसे पानी और बेकिंग सोडा से धो भी सकते हैं. सब्जियों को धोते हुए गर्म पानी का इस्तेमाल करे. इससे सब्जियों पर लगी गंदगी अलग हो जाती है.
-सबसे ज्यादा जरूरी है कि सरकारें इस दिशा में जरूरी कदम उठाएं. नदियों को प्रदूषण मुक्त किया जाए और जब तक ऐसा नहीं हो जाता. तब तक दूषित नदियों के पानी से खेती करने पर रोक लगाई जाए.
-सरकार चाहे तो किसानों को कीटनाशक के इस्तेमाल से बचने की सलाह दे सकती है. इसके लिए सरकारों को किसानों को समझना होगा कि वो कैसे बिना कीटनाशक के अपनी सब्जियों को सुरक्षित रख सकते हैं.
कुल मिलाकर ये किसी एक व्यक्ति या संस्था की जिम्मेदारी नहीं है. देश के लोगों का स्वास्थ्य बेहतर बनाने के लिए समाज के सभी वर्गों को साथ आना होगा और जहरीली सब्जियों और मिलावट के बंधन से मुक्त कराना होगा.