DNA Analysis: सेहत रखें दुरुस्त, कोरोना वायरस होगा सुस्त
Advertisement

DNA Analysis: सेहत रखें दुरुस्त, कोरोना वायरस होगा सुस्त

21 दिनों तक घर में बंद रहना आसान नहीं होता. मनुष्य एक सामाजिक प्राणी और अगर उसे एक जगह कई दिनों के लिए बंद कर दिया जाए तो इसका असर उसके मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है. 

DNA Analysis: सेहत रखें दुरुस्त, कोरोना वायरस होगा सुस्त

21 दिनों तक घर में बंद रहना आसान नहीं होता. मनुष्य एक सामाजिक प्राणी और अगर उसे एक जगह कई दिनों के लिए बंद कर दिया जाए तो इसका असर उसके मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है. लोग Anxiety, Depression और डर का शिकार हो जाते हैं. मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ने का सबसे ज्यादा खतरा उन लोगों पर है जो बुजुर्ग हैं या पहले से बीमार हैं. इसके अलावा बच्चे और युवा भी मानसिक रूप से परेशान हो सकते हैं. जो लोग मरीज़ों का इलाज कर रहे हैं या उनकी देखभाल कर रहे हैं इस संकट का असर उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ सकता है. और जो लोग पहले से मानसिक रूप से परेशान हैं. उनके लिए भी ये दौर किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है.

किसी महामारी के दौरान जिन लोगों को Anxiety और डिप्रेशन जैसी समस्याएं हो जाती है. वो या तो अपनों के स्वास्थ्य के प्रति चिंतित होते हैं या फिर उनके खान पान और सोने की आदतें बदल जाती हैं.ऐसे में आप खुद को मानसिक तनाव से बचाने के लिए कुछ टिप्स अपना सकते हैं. उदाहरण के लिए टीवी पर खबरे देखते हुए या अखबार में समाचार पढ़ते हुए बीच बीच में ब्रेक ज़रूर लें. बार बार लगातार महामारी के बारे में सुनना भी आपके परेशान कर सकता है.

इस दौरान आप कुछ Creative करने की कोशिश करें. ताकि आपका ध्यान महामारी से हट जाए. जो लोग पहले से किसी मानसिक समस्या का इलाज करा रहे हैं वो अपना इलाज जारी रखें. माता-पिता अपने बच्चों को भरोसा दिलाएं कि वो सुरक्षित हैं. बच्चों के प्रति अपनी नियमित दिनचर्या को कायम रखें. बच्चों का आदर्श बनने की कोशिश करें. उन्हें अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना सिखाएं. इसके अलावा जो लोग मरीज़ों की देखभाल में जुटे हैं उन्हें भी अपना ध्यान रखना चाहिए. बीच बीच में ब्रेक लेकर कुछ अच्छी किताबें पढ़ें, गाने सुनें या फिर दोस्तों से बातचीत करें..इससे आपका हौसला कायम रहेगा. अगर आपको लगे कि आप पर दबाव बढ़ता जा रहा है तो फौरन मदद मांगे और सही मार्गदर्शन में आगे बढ़ें.

इतने दिनों तक घरों में रहना मुश्किल काम हो सकता है और अच्छे अच्छों का संकल्प टूट सकता है. लेकिन आपको ध्यान रखना चाहिए भारत व्रत और उपवास का देश है. व्रत का अर्थ है धारण करना, यानी संकल्प लेना. व्रत में संयम, संकल्प और नियम निहित होतें हैं. व्यक्ति को अपने जीवन में किसी भी सफलता को प्राप्त करने के लिए व्रत लेना पड़ता है. भारत में जब लोग व्रत रखते हैं तो किसी भी स्थिति में अन्न और जल ग्रहण नहीं करते. लोग दिल से और संकल्प शक्ति से उपवास करते हैं. उस समय हमें कोई CCTV नहीं देख रहा होता, कोई डंडा नहीं मार रहा होता कोई हमारे साथ जबरदस्ती नहीं कर रहा होता. हमारा मन ही हमारी रखवाली करता है. हमारा दृढ़ निश्चय हमें ये बताता है कि उपवास नहीं तोड़ना है.

ये नियम ना तो कानून की किताबों में लिखा है और ना ही हम व्रत डर की वजह से रखते हैं. लेकिन इस दौरान हम ये सारे नियमों का पालन अपने मन से करते हैं. जिस मन से आप उपवास रखते हैं, रोज़े रखते हैं उसी मन से आपको Lockdown के व्रत का पालन करना है. कल मशहूर गीतकार और लेखक प्रसून जोशी ने ज़ी न्यूज़ के दर्शकों के लिए एक कविता भेजी थी. इस कविता भी में भी उन्होंने उपवास की शक्ति का जिक्र किया था. आपको ये कविता एक बार फिर सुननी चाहिए .

अब हम आपको एक वीडियो दिखाएंगे, जो इस समय पूरी दुनिया में देखा जा रहा है. इस वीडियो को देखने के बाद आपके मन में अपने देश के प्रति सम्मान का भाव बढ़ेगा और एक सकारात्मक ऊर्जा भी आएगी. इस तस्वीर में आप जिस महिला को देख रहे हैं, उसका नाम है Gabriella Burnel,  Gabriella स्पेन के एक रेडियो चैनल पर सुबह के समय भारतीय मंत्रों का उच्चारण करती हैं. इस समय आप जो मंत्र सुन रहे हैं, वो भारतीय सनातन परंपरा में भोजन से पहले की जाने वाली प्रार्थना है. 

यजुर वेद के इस श्लोक में कहा गया है कि अन्न देवता मनुष्यों को ऐसा भोजन दें, जिसमें कोई दोष ना हो, और उसे ग्रहण करने से हर प्राणी को ऊर्जा मिले. हर संकट इंसान को सबक सिखाता है. और कोरोना का सबक ये है कि हमें अपनी जड़ों की ओर लौटना होगा. भारत के लोगों के लिए ये बात और भी ज्यादा ज़रूरी है. क्योंकि पूरी दुनिया कोरोना को हराने के लिए भारतीय मू्ल्यों को अपना रही है. भारतीय संस्कृति ने ही सिखाया है कि हमें अभिवादन के लिए नमस्ते करना चाहिए. आज पूरी दुनिया हाथ धोने का जो तरीका सीख रही है, वो भी भारतीय परंपरा का जरूरी हिस्सा है. और भारत ही, वो भूमि है, जहां अन्न की पूजा होती है.

हर आदमी यही कहता है कि वो दो जून की रोटी कमाने के लिए मेहनत करता है. अक्सर आपने फिल्मों में, साहित्य में या आम बोलचाल में सुना होगा कि लोग पापी पेट का हवाला देते हैं. कुल मिलाकर भोजन एक ऐसी ज़रूरत है, जिसके बिना आप जीवन की कल्पना नहीं कर सकते. यही वजह है कि भारत में भोजन की शुद्धता का खास ख्याल रखा जाता है. पूजा की विधि में देवता को भोग लगाने से पहले बार-बार हस्त प्रच्छालन किया जाता है यानी कि हाथ धोया जाता है. रसोई के अंदर प्रवेश करने से पहले चप्पल खोल दी जाती है. भोजन से पहले मंत्र के जरिये भगवान को धन्यवाद देना भी इसी परंपरा का हिस्सा है. हम भोजन का पहला निवाला ग्रहण करने से पहले ईश्वर को धन्यवाद देते हैं .और ये कामना करते हैं कि भगवान हमें स्वस्थ रखें. 

जब आप किसी का आभार जताते हैं, तो आपके मन को शांति मिलती है और आगे का रास्ता तय करने के लिए एक सकारात्मक ऊर्जा भी मिलती है. ये गौरव की बात है कि हम भारत के लोग प्राचीन काल से ही एक वैज्ञानिक और तर्कशील जीवन पद्धति को अपनाते रहे हैं. लेकिन ये चिंता का भी विषय है कि हमें अपनी परंपरा की याद तब आती है, जब कोई विदेशी हमें इसकी याद दिलाता है.

Trending news