India China News in Hindi: चीन ने दुनिया में अपना दबदबा बढ़ाने के लिए तीसरे विमानवाहक युद्धपोत फ़ुज़ियान को ट्रायल के लिए समुद्र में उतार दिया है. इस ट्रायल ने भारत, अमेरिका समेत सभी प्रतिद्वंदी देशों को अपनी सैन्य क्षमताएं बढ़ाने के लिए मजबूर कर दिया है.
चीनी नौसेना ने अपने तीसरे और अमेरिका के बाहर बने सबसे बड़े विमानवाहक युद्धपोत फ़ुज़ियान का सी- ट्रायल शुरू कर दिया है. 29 अप्रैल को इसे पहली बार ट्रायल के लिए समुद्र में उतारा गया. चीनी नौसेना ने 23 अप्रैल को अपना वार्षक स्थापना दिवस मनाया था, जिसके 6 दिन बाद ही इसके समुद्र में ट्रायल शुरू होने की खबरें सामने आईं.
चीनी विमानवाहक युद्धपोत फ़ुज़ियान का वजन 80,000 टन से भी ज्यादा है. यह युद्धपोत एक बार में 60 से 70 लड़ाकू जेट कैरी कर सकता है. यह इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एयरक्राफ्ट लॉन्च सिस्टम (EMALS) और एडवांस्ड अरेस्टिंग गियर (AAG) तकनीक से भी सुसज्जित है. इस तकनीक के जरिए एक जगह पर खड़े फाइटर प्लेन को गुलेल की तरह तेज झटके से विमान में उड़ाया जा सकता है और ऊपर उड़ रहे प्लेन को बिना किसी झटके के अचानक रोका जा सकता है.
अभी तक EMALS और AAG तकनीक केवल अमेरिका के गेराल्ड फोर्ड विमानवाहक पोत पर उपलब्ध थी. जो अब तक दुनिया का सबसे बड़ा विमानवाहक युद्धपोत बना हुआ है. यह युद्धपोत एक साथ 94 फाइटर प्लेन, सैकड़ों मिसाइलें, हेलीकॉप्टर और दूसरे साजो-सामान अपने साथ ले जा सकता है. यह युद्धपोत अकेले ही किसी भी देश को तबाह करने के लिए काफी है. इसके मुकाबले चीनी युद्धपोत कुछ छोटा है.
चीन ने अपने नए विमानवाहक युद्धपोत फ़ुज़ियान का नाम फ़ुज़ियान प्रांत के नाम पर रखा है. चीन ने इस युद्धपोत को आधिकारिक तौर पर जून 2022 में लॉन्च किया था. चीन पिछले कुछ सालों से तेजी से अपनी नौसैनिक क्षमता बढ़ा रहा है. करीब 350 युद्धपोतों और 70 से ज्यादा पनडुब्बियों के साथ उसकी नौसेना दुनिया में सबसे बड़ी हो गई है. हालांकि क्षमताओं के मामले में वह अमेरिका से पीछे है.
अपनी नौसैनिक क्षमता बढ़ाकर चीन प्रशांत महासागर, दक्षिण चीन सागर और हिंद महासागर में बसे देशों पर अपना प्रभुत्व स्थापित करना चाहता है. उसकी इस कोशिश का अमेरिका और भारत समेत कई लोकतांत्रिक देश विरोध कर रहे हैं. वे चीन के इस सैन्य उदय को दुनिया की शांति के लिए बड़ा खतरा मान रहे हैं और उससे निपटने के लिए अपनी तैयारियों को बढ़ा रहे हैं.
डिफेंस एक्सपर्टों के मुताबिक चीन अपने इस नए विमानवाहक युद्धपोत पर आयताकार रडार सिस्टम लगाएगा, जो लंबी दूरी से आ रही मिसाइलों और फाइटर जेट्स को ट्रैक कर सकेगा. उन हमलावर मिसाइलों को हवा में तबाह करने के लिए HQ-10 शॉर्ट रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल सिस्टम लगे होंगी. साथ छोटी दूरी पर उड़ रहे प्लेन को गिराने के लिए ऑटोकैनन लगे होंगे.
चीनी सूत्रों के मुताबिक चीन इस युद्धपोत पर अपने आधुनिक J-15B फाइटर जेट और नेक्स्ट जेनरेशन फाइटर J-35 तैनात कर सकता है. समुद्र में दुश्मन देश की जासूसी करने के लिए KJ-600 AEWC विमान भी इस युद्धपोत पर तैनात होगा. इसते साथ ही हमलावर हेलीकॉप्टर्स ASW और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर फाइटर जेट J-15D की तैनाती की भी संभावना है.
चीन के इस सैन्य उदय को भारत के लिए बड़ा खतरा माना जा रहा है. भारत और चीन के पास अब तक 2-2 विमानवाहक युद्धपोत थे. लेकिन अब चीन इस मामले में बाजी मार गया है. उसका फुजियान विमानवाहक युद्धपोत भारत के सबसे बड़े विमान वाहक युद्धपोत विक्रांत से कहीं बड़ा है. कुल युद्धपोतों की संख्या के मामले में भी चीनी नौसेना भारत से तीन गुना बड़ी हो चुकी है.
भारतीय रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक चीन से निपटने के लिए भारत भी अपने तरीके से तैयारी कर रहा है. चीनी पनडुब्बियों को पानी में डुबोने के लिए वह अमेरिका से पनडुब्बी रोधी हमलावर हेलीकॉप्टर हासिल कर रहा है. साथ ही फ्रांस के साथ मिलकर आधुनिक क्षमता वाली पनडुब्बियां बना रहा है. भारत अपनी मिसाइलों को भी घातक बनाने में जुटा है, जो युद्ध होने पर दुश्मन को सबक सिखा सकें.
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— Army Military Force (@Military9News) April 29, 2024ट्रेन्डिंग फोटोज़