DNA Analysis: अफगानियों पर Munawwar Rana ने बोला झूठ, इस भारतीय राजा से कांपते थे अफगान आक्रमणकारी
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DNA Analysis: अफगानियों पर Munawwar Rana ने बोला झूठ, इस भारतीय राजा से कांपते थे अफगान आक्रमणकारी

Munawwar Rana On Taliban Victory: शायर मुन्नवर राणा ने कहा कि पिछले 1100 साल में भारत पर किसी अफगानी ने हमला नहीं किया लेकिन यह बात सच नहीं है.

तालिबान की जीत से मुन्नवर राणा खुश.

नई दिल्ली: तालिबानी हाथ में बंदूक लेकर खड़े हैं लेकिन वहां की जनता अपने देश का झंडा नहीं छोड़ रही जबकि भारत के कुछ लोग खुद को यहां इतना असुरक्षित समझते हैं कि वो बात-बात पर देश छोड़ने की बात करने लगते हैं. शायर मुन्नवर राणा (Munawwar Rana) ने भी कुछ ऐसा ही बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि तालिबान (Taliban) किसी को भागने पर मजबूर नहीं कर रहा जबकि उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के हालात देखकर उनका यहां से भाग जाने का मन करता है.

  1. अफगानों ने ब्रिटिश, सोवियत संघ और US को हराया
  2. नादिर शाह ने दिल्ली में मचाई थी तबाही
  3. भारतीय राजा ने अफगानों को खदेड़ा

अफगानों ने भारत पर किए 33 हमले

ये साहब कह रहे हैं कि पिछले 1100 वर्षों में कभी किसी अफगानी ने भारत पर हमला नहीं किया. लेकिन सच ये है कि पिछले एक हजार वर्षों में अफगानिस्तान (Afghanistan) से आए आक्रमणकारियों ने भारत पर कम से कम 33 बार हमले किए.

सिखों ने अफगानों को चटाई धूल

अफगानियों को ना तो अंग्रेज हरा पाए, ना सोवियत संघ (USSR) हरा पाया और ना ही अमेरिका (US) हरा पाया. लेकिन क्या आप जानते हैं कि अफगानिस्तान के खूंखार लड़ाकों को एक बार नहीं बल्कि कई बार भारत के सिखों ने धूल चटाई थी. इनमें महाराजा रणजीत सिंह (Maharaja Ranjit Singh) भी शामिल थे. जिनकी पाकिस्तान के लाहौर में बनी एक प्रतिमा को हाल ही में कुछ लोगों ने तोड़ दिया था.

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पंजाब में था अफगानों का राज

महाराजा रणजीत सिंह ने लाहौर को वर्ष 1799 में जीत लिया था. उस समय पूरे पंजाब प्रांत में अफगानियों और पश्तूनों का राज था. पाकिस्तान के जो कट्टरपंथी महाराजा रणजीत सिंह की प्रतिमा के टूटने पर खुश हैं, उन्हें पता होना चाहिए कि अगर महाराजा रणजीत सिंह ना होते तो पाकिस्तान का बड़ा हिस्सा आज अफगानिस्तान में होता क्योंकि आज के पाकिस्तान के एक बड़े हिस्से पर अफगानियों का कब्जा था.

महाराजा रणजीत सिंह और उनकी सेना ने अहमद शाह अब्दाली के बेटे शुजा शाह दुर्रानी को हराया था. अहमद शाह अब्दाली को ही आधुनिक अफगान साम्राज्य का संस्थापक माना जाता है. अहमद शाह अब्दाली एक समय में उस नादिर शाह का कमांडर हुआ करता था, जिसने वर्ष 1739 में दिल्ली पर आक्रमण किया था और उसकी सेना ने दिल्ली के लाखों लोगों को मार दिया था.

भारतीय राजा ने वापस लिया कोहिनूर

नादिर शाह अपने साथ भारत का कोहिनूर हीरा भी ले गया था, जिसे उसने बाद में अहमद शाह अब्दाली को सौंप दिया था और अब्दाली ने आगे चलकर कोहिनूर हीरा अपने बेटे शुजा शाह दुर्रानी को सौंप दिया था. लेकिन जब महाराजा रणजीत सिंह ने शुजा शाह दुर्रानी को बंधक बनाया तो उन्होंने उससे ये हीरा वापस ले लिया. वो इस हीरे को पुरी के जगन्ननाथ मंदिर को दान करना चाहते थे लेकिन इससे पहले कि वो ऐसा करते अंग्रेजों की नजर कोहिनूर पर पड़ गई और उन्होंने दुनिया के इस सबसे शानदार हीरे को अपने कब्जे में ले लिया. आज भी ये हीरा ब्रिटेन की महारानी के ताज में जड़ा हुआ है.

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महाराजा रणजीत सिंह ने खतरनाक अफगानियों से कई युद्ध लड़े. वर्ष 1813 में महाराजा रणजीत सिंह ने एटॉक की लड़ाई में भी अफगान हमलावरों को हराया था और इस जीत ने अफगानियों को भी हैरान कर दिया था क्योंकि ये पहली बार था जब किसी भारतीय राजा ने अफगान हमलावरों को उन्हीं की जमीन पर शिकस्त दी थी. वर्ष 1818 में रणजीत सिंह ने जब मुल्तान को जीता तो उसके बाद उस पूरे क्षेत्र पर शुजा शाह दुर्रानी का प्रभाव खत्म हो गया.

इसके बाद वर्ष 1819 में महाराजा रणजीत सिंह ने कश्मीर के साथ-साथ पेशावर को भी जीत लिया था. अफगान हमलावरों और महाराजा रणजीत सिंह के बीच कई लड़ाइयां लड़ी गईं, जिसमें हर बार जीत महाराजा रणजीत सिंह की ही हुई और इसी वजह से अफगानियों ने महाराजा रणजीत सिंह को हराने के लिए जेहाद का सहारा लिया.

वर्ष 1823 में काबुल के शासक अजीम खान बुरकाजी की अगुवाई में जेहाद के नाम पर एक युद्ध लड़ा गया. जेहाद के नाम पर कई मुस्लिम राजाओं की सेनाएं भी बुरकाजी के साथ आ गईं. लेकिन काबुल नदी के पास हुए इस युद्ध में भी जीत महाराजा रणजीत सिंह की हुई.

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