DNA ANALYSIS: कोरोना के आपदा काल में इन डॉक्टरों ने जान दांव पर लगाकर निभाया अपना फर्ज
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DNA ANALYSIS: कोरोना के आपदा काल में इन डॉक्टरों ने जान दांव पर लगाकर निभाया अपना फर्ज

कोरोना संक्रमण काल में जब महामारी ने हाहाकार मचाया, तब डॉक्टर्स और नर्सेज ने मोर्चा संभाला और किसी सुपर हीरो की तरह देश के लोगों की जान बचाई. उन्हीं डॉक्टर्स के सम्मान में 1 जुलाई को डॉक्टर्स डे मनाया गया.

DNA ANALYSIS: कोरोना के आपदा काल में इन डॉक्टरों ने जान दांव पर लगाकर निभाया अपना फर्ज

नई दिल्ली: कल 1 जुलाई को देश के डॉक्टर्स के सम्मान में नेशनल डॉक्टर्स डे मनाया गया. पिछले लगभग डेढ़ साल से पूरा विश्व कोरोना वायरस की चपेट में है और इस दौरान लोगों ने समझा है कि डॉक्टर भगवान का रूप हैं.

क्यों मनाया जाता है नेशनल डॉक्टर्स डे?

वर्ष 1991 से ही हर साल 1 जुलाई को National Doctor's Day मनाया जाता है. ये दिन देश के महान चिकित्सक और पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. बिधान चंद्र रॉय की याद में मनाया जाता है. डॉ. बिधान चंद्र रॉय का जन्म 1 जुलाई वर्ष 1882 में हुआ था और उनका निधन भी 1 जुलाई 1962 को हुआ था. इसी वजह से देशभर के डॉक्टर्स को 1 जुलाई का दिन समर्पित किया गया है.

डॉक्टर विधान चंद्र रॉय को महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरू के डॉक्टर के तौर पर भी याद किया जाता है. मरीजों की निस्वार्थ सेवा करने वाले डॉक्टर बिधान चंद्र रॉय का व्यक्तित्व देखकर ही महात्मा गांधी ने उन्हें राजनीति में आने कि लिए प्रेरित किया था. 

कोरोना संक्रमण काल में जब महामारी ने हाहाकार मचाया, तब डॉक्टर्स और नर्सेज ने मोर्चा संभाला और किसी सुपर हीरो की तरह देश के लोगों की जान बचाई. उन्हीं डॉक्टर्स के सम्मान में 1 जुलाई को डॉक्टर्स डे मनाया गया. जिस वक्त अस्पतालों पर कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों का बोझ बढ़ गया था. तब डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ ने अपना पूरा समय मरीजों की सेवा में लगाया.

डॉक्टरों ने निभाया अपना फर्ज

एम्स में कोविड टास्क फोर्स के सदस्य डॉ. संजय राय उन लोगों में से थे जिन पर मरीजों का ध्यान रखने के अलावा कोवैक्सीन के ट्रायल की भी जिम्मेदारी थी. पिछले लगभग डेढ़ साल से वो रोजाना 15 घंटे अस्पताल में बिता रहे हैं.

कोरोना संक्रमण से जंग में वैक्सीन एक हथियार है, लेकिन संक्रमण की दूसरी लहर में भी डॉक्टर्स ने वैक्सीनेशन गति को रुकने नहीं दिया. ये उनके जीवटता दिखाता है.

जिस तरह हमारा और आपका परिवार है, उसी तरह डॉक्टर का भी अपना एक परिवार होता है, लेकिन देश के लोगों को महामारी से बचाने की जिम्मेदारी इतनी बड़ी है कि ये डॉक्टर्स अपने परिवार को भुलाकर, अपना फर्ज निभाने को महत्व दे रहे हैं.

अक्सर हम डॉक्टर्स पर हमले होने की खबर देखते हैं, पढ़ते हैं, ऐसी घटनाएं होती हैं. लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि लोग डॉक्टर्स का सम्मान नहीं करते. राजस्थान के बेगूं में लोगों ने अपने इलाके के डॉक्टर शशांक शेखर दास की मृत्यु के बाद उनके सम्मान में उनकी प्रतिमा स्थापित की है.

मुंबई के धारावी में एक क्लीनिक चलाते हैं डॉ सुधीर पाटिल कोरोना संक्रमण काल में जब धारावी में मरीजों की भरमार थी, तब डॉ. सुधीर लोगों की सेवा में लगे रहे और लोगों को कोरोना वायरस के प्रति जागरूक किया.

लोगों ने ऐसे जताया आभार

हैदराबाद में डॉक्टर्स के सम्मान में मेडिकल स्टाफ ने बैंड बाजे के साथ उनका आभार जताया. हाथों में प्ले कार्ड लेकर उनका उत्साह बढ़ाया. यूं तो हर साल डॉक्टर्स डे आता है, लेकिन महामारी काल में डॉक्टर्स का फर्ज के प्रति समर्पण देखकर पूरे देश उनको सम्मान दे रहे हैं.

कोरोना संक्रमण अभी खत्म नहीं हुआ है. ये हम सब जानते हैं. डॉक्टर्स हमें इस बीमारी से बचाने के लिए जी जान से लगे हैं, लेकिन एक नागरिक के तौर पर भी हम उनकी मदद कर सकते हैं.

देश के डॉक्टर पिछले डेढ़ साल से लगातार आपकी जान बचाने के लिए लगे हुए हैं. चाहे कोरोना संक्रमित मरीज का इलाज हो या फिर वैक्सीनेशन. डॉक्टर देश के लिए एक जंग लड़ रहे हैं. डॉक्टर्स डे पर हमें भी प्रण लेना चाहिए कि उनकी सलाहों का गंभीरता से पालन करेंगे, ताकि हमारे लिए जो लड़ाई वो लड़ रहे हैं. उसमें उन्हें जीत मिले.

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