DNA ANALYSIS: बीकानेर के Karni Bishnoi के हौसले का विश्वेषण, 11 महीने बाद दिखे Face Expression
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DNA ANALYSIS: बीकानेर के Karni Bishnoi के हौसले का विश्वेषण, 11 महीने बाद दिखे Face Expression

जिस चेहरे पर हमें गर्व होना चाहिए वो अक्सर हीन भावना का शिकार हो जाता है. दूसरों से खूबसूरत दिखने और सोशल मीडिया पर ज्यादा लाइक बटोरने की रेस चेहरे की असली चमक छीन रही है. इसलिए चेहरे की अहमियत जानना जरूरी है.

DNA ANALYSIS: बीकानेर के Karni Bishnoi के हौसले का विश्वेषण, 11 महीने बाद दिखे Face Expression

नई दिल्ली: डीएनए (DNA) में अब बात इंसानी चेहरे की तो एक पल के लिए कल्पना कीजिए कि कल सुबह जब आप सोकर उठें. तो आपका चेहरा बदल चुका हो तब आप शायद खुद को तो पहचान पाएंगे. लेकिन कोई आपको नहीं पहचान पाएगा. आप अपनी पुरानी तस्वीरें देखेंगे और आइने में अपना चेहरा देखेंगे तो आपको यकीन नहीं होगा कि ये आप ही हैं. ये कल्पना आपको डरा सकती है. लेकिन बीकानेर के 38 साल के एक व्यक्ति के साथ ऐसा ही हुआ. एक हादसे के बाद इस शख्स ने अपना चेहरा खो दिया.

  1. सांड के हमले की खौफनाक कहानी
  2. हादसे में बर्बाद हो गई थी एक जिंदगी
  3. 11 महीने बाद मिल पाया नया चेहरा

'हौसले की कहानी'

करीब एक साल पहले बीकानेर के 38 साल के करनी बिश्नोई जब अपनी गाड़ी से घर जा रहे थे. उसी दौरान उनकी गाड़ी के सामने दो सांड लड़ाई करने लगे. अचानक एक सांड ने गाड़ी में बैठे करनी बिश्नोई पर हमला कर दिया. इस हमले में उनका चेहरा बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया. उनकी एक आंख और दिमाग का आगे का हिस्सा बाहर आ गया. इसके बाद उन्हें एयर लिफ्ट करके इलाज के लिए दिल्ली के एक अस्पताल में लाया गया. किसी को भी इस व्यक्ति के बचने की कोई उम्मीद नहीं थी.

'डॉक्टरों का भगीरथ प्रयास'

फिर भी डॉक्टरों ने उनकी सर्जरी शुरू की. दिमाग का जो हिस्सा बाहर आ गया था. उसे डॉक्टरों ने सर्जरी की मदद से सही किया. उनके सिर की हड्डी को दो लेयर में बांटा गया. इनमें से एक परत का इस्तेमाल सिर के उस हिस्से को ढंकने के लिए किया गया जिसकी हड्डी टूट गई थी.

खाना चबाने में जो मांसपेशिया मदद करती हैं. उनकी मदद से इस व्यक्ति के आंखों के सॉकेट्स को कवर किया गया. क्योंकि अगर डॉक्टर ऐसा नहीं करते तो उनके दिमाग का एक हिस्सा खिसक कर इस खाली जगह में पहुंच जाता. इस दुर्घटना में उनकी नाक के 20 और होंठों के 6 टुकड़े हो गए थे और डॉक्टरों ने 9 घंटे की सर्जरी के बाद चेहरे के इस हिस्से को भी ठीक किया.

 

भावविहीन हुआ चेहरा

ये सर्जरी तो सफल रही लेकिन करनी एक तरह से अपना चेहरा खो चुके थे और उन्होंने आने वाले कई दिन बिना चेहरे के बिताए. डॉक्टरों की मेहनत के बाद भी उनका बचा हुआ चेहरा पूरी तरह से भाव विहीन हो चुका था यानी वो चेहरा या सिर हिलाकर अपनी भावनाओं का इजहार नहीं कर पा रहे थे. इसके बाद डॉक्टरों ने उनकी दूसरी सर्जरी की.

इस दौरान डॉक्टरों ने उनके माथे के दोनों तरफ की मांसपेशियों को इंसानों के बालों से भी बारीक टांकों की मदद से आपस में जोड़ा. इससे पहले इस तरह के ऑपरेशन में इन टाकों का इस्तेमाल दुनिया में सिर्फ एक बार हुआ है. इसके अलावा करनी की पसलियों की हड्डी से उनकी नाक का निर्माण किया और उनके दाएं तरफ के चेहरे की जांघ से हासिल Tissues की मदद से प्लास्टिक सर्जरी की. चेहरे को थोड़ा भारी बनाने के लिए उनके पेट से Fat यानी चर्बी ली गई और उसे उनके चेहरे पर लगाया गया.

इसके बाद करनी के चेहरे पर कुछ हद तक भाव वापस लौटने लगे. वो अपना सिर हिलाने में भी सक्षम हो गए. डॉक्टरों ने ये सब नई तकनीक के दम पर किया. हालांकि अपना चेहरा वापस पाने में इस मरीज को 11 महीने लगे. लेकिन डॉक्टरों की मेहनत और इस मरीज के हौसलों ने इस असंभव सी बात को संभव कर दिखाया. 

दिल्ली में चला इलाज

बीते साल 3 सितंबर को हुआ ये हादसा इतना भयावह था कि करनी बिश्नोई के चेहरे का एक हिस्सा पूरी तरह बर्बाद हो गया था. उनके दोस्त ने किसी तरह हिम्मत करके उन्हें बीकानेर के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती करवाया लेकिन डॉक्टरों ने शुरुआती ट्रीटमेंट करके हाथ खड़े कर दिए तो 5 सितंबर को इन्हें एयरलिफ्ट करके दिल्ली के एक प्राइवेट अस्पताल में शिफ्ट किया गया.

दिल्ली पहुंचने पर डॉक्टर ने देखा कि इनके दिमाग को प्रोटेक्ट करने वाली तीन सुरक्षा लेयर में से दो लेयर फट चुकी हैं.

दाईं आंख बेकार हो चुकी था. नाक बीस जगह से टूट चुकी थी. होंठ के भी 6 से ज्यादा टुकड़े हो चुके थे. आम तौर पर ऐसे भयानक हादसों में खून ज्यादा बह जाता है लेकिन करनी पर हुआ हमला इतना खतरनाक था कि ब्रेन से प्रोटेक्टिव फ्लूइड यानी दिमाग में मौजूद तरल पदार्थ भी नाक के रास्ते बहकर बाहर आ रहा था.

एक और सर्जरी की तैयारी

चेहरे के रिकंस्ट्र्क्शन की ये सर्जरी पहली बार 5 सितंबर 2020 को गई जो 10 घंटे चली. दूसरी सर्जरी जनवरी 2021 में की गई जो 9 घंटे चली. अभी भी करनी चश्मा लगाते हैं क्योंकि आंख और माथे के बीच कोई कनेक्शन ना होने की वजह से अभी आर्टिफिशियल आंख नहीं लग सकी है. उसके लिए तीसरी बार सर्जरी करने की तैयारी की जा रही है. करनी को दूसरा जन्म देने के लिए डॉक्टर इनके चेहरे के अनगिनत सिरों को जोड़ने की जद्दोजहद में लगे है. चेहरे को ज़िंदगी और जीवन को चेहरा देने की ये कोशिश अभी जारी है.

'चेहरे का विज्ञान'

जिस चेहरे पर हमें गर्व होना चाहिए. वो चेहरा ही कई बार हीन भावना का शिकार हो जाता है. दूसरों से खूबसूरत दिखने और सोशल मीडिया पर दूसरों से ज्यादा Likes बटोरने की रेस. चेहरे की असली चमक को छीन लेती है. इसलिए चेहरे की अहमियत भी जान लीजिए. सिर्फ इंसानों का चेहरा ही ऐसा है जो दस हजार से ज्यादा भाव प्रदर्शित कर सकता है. जब आप खुलकर हंसते हैं तो आपके चेहरे की 11 मांसपेशियां सक्रिय हो जाती हैं और उनमें रक्त का संचार तेज हो जाता है.

अगर आप अपने चेहरे पर सच्चे भाव लाते हैं. यानी जो आपके मन में चल रहा है वही आपके चेहरे पर होता है तो इस दौरान आपके चेहरे के भाव समान अनुपाती होते हैं. वहीं जब आप बनावटी चेहरा बनाते हैं तो ऐसा नहीं होता.

एक हिंदी फिल्म का एक मशहूर गाना है जिसके बोल हैं एक चेहरे पर कई चेहरे लगा लेते हैं लोग, जब चाहें नई दुनिया बसा लेते हैं लोग. 48 साल पहले आया ये गाना आज के दौर पर भी बिल्कुल सटीक बैठता है. इसलिए चेहरे पर चेहरा लगाना बंद कीजिए क्योंकि चेहरे पर मजबूरियों का पहरा इसकी असली खूबसूरती छीन लेता है.

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