आज हम वैक्सीन के इर्द गिर्द घूम रही इसी खोखली राजनीति का विश्लेषण करेंगे. आपको याद होगा कि जब 16 जनवरी को वैक्सीन आई थी तो विपक्षी नेता कहते थे कि मोदी डर गए हैं वो वैक्सीन क्यों नहीं लगवा रहे हैं और जब आज वैक्सीन लगवाई तो कह रहे हैं कि ये कैमरे के सामने किया गया चुनावी स्टंट है.
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नई दिल्ली: कल 1 मार्च को सुबह-सुबह साढ़े छह बजे जब आप में से ज्यादातर लोग सो रहे होंगे तब प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को बड़ा सरप्राइज दिया. वो सुबह सुबह दिल्ली के एम्स अस्पताल पहुंचे और उन्होंने कोरोना की मेड इन इंडिया कोवैक्सीन का टीका लगवाया और तभी से प्रधानमंत्री की वैक्सीन लेते हुए तस्वीरें पूरे देश में चर्चा का विषय बनी हुई हैं. जब पीएम मोदी ने वैक्सीन नहीं ली थी, तब भी राजनीति हो रही थी और आज जब वैक्सीन ले ली, तो भी राजनीति हो रही है.
प्रधानमंत्री जब वैक्सीन ले रहे थे तो उन्होंने गले में असम का गमछा पहना हुआ था और जिन दो नर्सों ने उन्हें टीका लगाया उनमें से एक पुडुचेरी और दूसरी केरल की थीं. विपक्षी नेताओं ने वैक्सीन को छोड़ इसे ही मुद्दा बना दिया और आरोप लगाया कि ये चुनाव प्रचार के लिए मोदी का पब्लिसिटी स्टंट है.
आज हम वैक्सीन के इर्द गिर्द घूम रही इसी खोखली राजनीति का विश्लेषण करेंगे. आपको याद होगा कि जब 16 जनवरी को वैक्सीन आई थी तो विपक्षी नेता कहते थे कि मोदी डर गए हैं वो वैक्सीन क्यों नहीं लगवा रहे हैं और जब आज वैक्सीन लगवाई तो कह रहे हैं कि ये कैमरे के सामने किया गया चुनावी स्टंट है लेकिन अगर वो कैमरा न ले जाते तो यही नेता कहते कि वैक्सीन लगवाई इसका क्या सबूत है. कोविड को लेकर ऐसी राजनीति भारत के अलावा दुनिया में कहीं और देखने को नहीं मिलेगी.
-देश में 1 मार्च से कोरोना वैक्सीन के दूसरे चरण की शुरुआत हुई. वैक्सीनेशन (Vaccination) के इस चरण की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुबह 6 बजे ही कर दी.
-प्रधानमंत्री को कोवैक्सीन की पहली डोज लगाई गई. ये वैक्सीन हैदराबाद की फार्मा कंपनी भारत बायोटेक ने बनाई है. ये देश की इकलौती ऐसी वैक्सीन है जो पूरी तरह स्वदेशी है.
-कल दूसरे चरण में 60 वर्ष से ऊपर के लोग और 45 वर्ष से ऊपर के बीमार लोगों को वैक्सीन लगाने की शुरुआत हुई है.
-प्रधानमंत्री ने वैक्सीन लगाने की जानकारी खुद ही ट्वीट करके लोगों को दी. उन्होंने लोगों से भी वैक्सीन लगाने की अपील की.
-प्रधानमंत्री ने वैक्सीनेशन के लिए सुबह सुबह का समय चुना. इस दौरान कोई ट्रैफिक नहीं रोका गया. एम्स में आम लोगों का वैक्सीनेशन तय समय पर बिना किसी रुकावट के शुरू भी हो गया. प्रधानमंत्री को वैक्सीन की दूसरी और फाइनल डोज 28 मार्च को लगाई जाएगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वैक्सीन लगवाने के बाद भारत के उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू ने भी कल 1 मार्च को वैक्सीन लगवाई. प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति के अलावा सरकार के कुछ कैबिनेट मंत्रियों और राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी वैक्सीन लगवाई. गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस जयशंकर, कैबिनेट मंत्री डॉ. जीतेंद्र सिंह, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने भी वैक्सीन लगवाई.
प्रधानमंत्री मोदी के कोरोना वैक्सीन लगवाने के बाद इन सवालों पर विराम लग गया कि वैक्सीन लगवानी चाहिए या नहीं. प्रधानमंत्री ने वैक्सीन लगवाने के लिए अपनी बारी की प्रतीक्षा की. पहले चरण में हेल्थ केयर वर्कर्स और फ्रंट लाइन वर्कर्स को वैक्सीन लगाई जा रही थी. इसलिए प्रधानमंत्री ने दूसरे चरण में वैक्सीन लगवाई जब 60 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों को वैक्सीन लगाई जा रही है.
प्रधानमंत्री के कोवैक्सीन लगवाने के बाद इस सोच पर भी विराम लग गया कि विदेशी वैक्सीन स्वदेशी से बेहतर है. भारत में अभी दो वैक्सीन लगाई जा रही हैं. एक है- कोविशील्ड और दूसरी है, कोवैक्सीन.
बहुत लोग ये मान रहे थे कि स्वदेशी वैक्सीन पर नहीं, विदेशी पर भरोसा करना चाहिए. भारत में जब वैक्सीनेशन की शुरुआत हुई थी तो कई राज्य सरकारों ने अपने अस्पतालों में केवल कोवीशील्ड दिए जाने की मांग की थी. आमतौर पर लोग यही सोचते हैं कि इम्पोर्टेड प्रोडक्ट है तो ये अच्छा होगा. लेकिन आज प्रधानमंत्री ने अपने लिए मेड इन इंडिया कोवैक्सीन (Covaxin) का चुनाव किया और देश के वैज्ञानिकों और डॉक्टरों की रिसर्च पर भरोसे वाली मोहर लगा दी. प्रधानमंत्री के इस कदम के बाद अब लोगों में वैक्सीन को लेकर डर कम हुआ है.
संदेश साफ है कि अपनी बारी आने पर वैक्सीन लगवाने से न डरें और जो भी वैक्सीन आपके लिए चुनी जाए, उस पर भरोसा करें.
प्रधानमंत्री के टीका लगवाने पर भी विपक्ष की टीका टिप्पणी जारी रही. विपक्षी नेताओं ने वैक्सीनेशन में राजनीति तलाश ली. पीएम ने असम का गमछा क्यों पहना? पुडुचेरी और केरल की नर्स से वैक्सीन क्यों लगवाई? कहीं इसके पीछे आने वाले विधानसभा चुनाव तो नहीं है. ऐसे कई सवाल उठाए गए.
ये वही विपक्ष है, जिसने भारत के वैक्सीनेशन कार्यक्रम पर भी सवाल उठाए थे. यहां तक कि प्रधानमंत्री को चुनौती दी थी कि पहले वो खुद वैक्सीन लगवाएं. बीजेपी के नेता और मंत्री वैक्सीन लगवाएं.
कुल मिलाकर विपक्ष ने अपनी भूमिका का निर्वाह बराबर किया. लेकिन अब आप ये सोचिए कि प्रधानमंत्री करें तो क्या करें. पहले विपक्ष ये कहता रहा कि मोदी जी वैक्सीन क्यों नहीं लगवाते. अब जब वैक्सीन लग गई है तो भी आरोपों का सिलसिला जारी है.
प्रधानमंत्री मोदी के वैक्सीन लगवाने का वीडियो सामने आया तो कहा जा रहा है कि ये तो पब्लिसिटी स्टंट है. अगर प्रधानमंत्री के वैक्सीन लगवाने का वीडियो न होता, तो कहा जाता कि हम कैसे मान लें कि वैक्सीन लगवाई है. ये कैसे पता चलेगा कि कौन सी वैक्सीन लगवाई है. तब इसके सबूत मांगे जाते.
प्रधानमंत्री ने स्वदेशी वैक्सीन ली तो आरोप ये लग रहे हैं कि क्या दूसरी वैक्सीन कम असर करती है. अगर पीएम कोई दूसरी वैक्सीन लगवाते तो कहा जाता कि मोदी जी ने भारतीय वैक्सीन पर भरोसा नहीं किया.
जिस वक्त प्रधानमंत्री मोदी को वैक्सीन लगाई गई उस समय एम्स के में एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया भी वहां मौजूद थे. उनके अलावा दो नर्स भी वहां मौजूद थीं जिन्हें ये नहीं पता था कि सुबह सुबह वैक्सीन की जिस डोज को वो तैयार कर रही हैं, वो किसे लगाई जानी हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वैक्सीन लगाने वाली नर्स पी निवेदा पुडुचेरी की रहने वाली हैं. सिस्टर पी निवेदा ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने मजाक मजाक में उनसे ये भी कहा कि नेताओं की चमड़ी मोटी होती है इसलिए उन्हें मोटी सुई से वैक्सीन लगाएं.