अप्रैल से जून के बीच देश की विकास दर में भारी गिरावट हुई है. यह 23.9 यानी करीब 24 प्रतिशत नीचे चली गई है.
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नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Coronavirus) से देश की अर्थव्यवस्था को कितना झटका लगा है, इसका पहला आंकड़ा सामने आ गया. अप्रैल से जून के बीच देश की विकास दर में भारी गिरावट हुई है. यह 23.9 यानी करीब 24 प्रतिशत नीचे चली गई है. ये वो समय था जिस समय देश पूरी तरह लॉकडाउन (Lockdown) में था. विकास दर में ये गिरावट तो होनी ही थी, लेकिन पहले इसके 18 प्रतिशत गिरने का ही अनुमान लगाया गया था. यह 1996 के बाद से सबसे बड़ी गिरावट है.
विकास दर या GDP अर्थव्यवस्था का वो पैमाना होता है, जिससे पता चलता है कि कोई देश किस रफ्तार से तरक्की कर रहा है. अगर GDP में गिरावट आती है, तो इसका मतलब है कि देश की अर्थव्यवस्था सुस्त हो रही है. अर्थव्यवस्था सुस्त होने का देश के लोगों के रोजगार और काम धंधों पर बुरा असर पड़ता है.
GDP कम होने का मतलब
-GDP कम होने का मतलब है कि देश की आमदनी कम हो रही है. यानी आम लोगों की औसत आय भी कम होगी. सबसे बुरा असर उन लोगों पर पड़ता है जो किसी तरह गरीबी की रेखा से ऊपर आने की कोशिश में हैं.
-GDP में गिरावट से नई नौकरियों के मौके भी कम हो जाते हैं. मौजूदा नौकरियों पर भी छंटनी का खतरा रहता है और बेरोजगारी बढ़ती है. जब भी ऐसा होता है तो लोगों की बचत और निवेश पर बुरा असर पड़ता है.
-GDP कम होने का मतलब है कि अमीरों की कमाई भी कम हो रही है. जिससे सरकार की टैक्स के तौर पर होने वाली कमाई कम हो जाती है जिससे गरीबों की मदद के लिए उसके विकल्प भी कम हो जाते हैं.
भारत में ये गिरावट बाकी देशों से ज्यादा
जीडीपी में ये गिरावट सिर्फ भारत में नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में है. हालांकि भारत में ये गिरावट बाकी देशों से ज्यादा है. हम एक चार्ट के जरिए आपको दिखाते हैं दुनिया के 7 बड़े देशों यानी G7 के देशों की जीडीपी में कैसी गिरावट आई है. ये आंकड़े अप्रैल से जून तक के तीन महीनों के हैं, जिस दौरान पूरी दुनिया कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन में थी.
इस पूरी लिस्ट में सिर्फ चीन एक अपवाद है जिसकी अर्थव्यवस्था लॉकडाउन के दौरान भी विकास कर रही थी. ऐसा इसलिए क्योंकि चीन ने पूरी दुनिया को तो कोरोना वायरस के खतरे में डाल दिया, लेकिन अपने देश में इस वायरस को वुहान के बाहर नहीं फैलने दिया.
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