DNA Analysis: सरकारों की लापरवाही से लोगों की जा रही जान, फिर भी पब्लिक की भावनाएं आहत क्यों नहीं?
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DNA Analysis: सरकारों की लापरवाही से लोगों की जा रही जान, फिर भी पब्लिक की भावनाएं आहत क्यों नहीं?

DNA Analysis: सरकारों की लापरवाही से देश में रोजाना सैकड़ों लोग दम तोड़ जाते हैं. विभिन्न धार्मिक मुद्दों पर अक्सर भावनाएं आहत होने की बात करने वाले लोगों की फीलिंग्स इन  दुर्घटनाओं पर क्यों सामने नहीं आती. 

DNA Analysis: सरकारों की लापरवाही से लोगों की जा रही जान, फिर भी पब्लिक की भावनाएं आहत क्यों नहीं?

DNA on Road Accident and Mumbai Rain: देश में इस समय तीन बड़े मुद्दों की सबसे ज़्यादा चर्चा है. पहला मुद्दा है, पैगम्बर मोहम्मद साहब का अपमान, जिससे एक खास धर्म के लोगों की भावनाएं कथित तौर पर आहत हैं. दूसरा मुद्दा है, नूपुर शर्मा पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई टिप्पणी और इससे भी हमारे देश के एक वर्ग की भावनाएं आहत हैं और तीसरा मुद्दा है.. फिल्म-मेकर लीना मणि-मेकलई द्वारा बनाई गई वो Documentary, जिसमें हिन्दू देवी काली का अपमान किया गया है और इसे लेकर भी हिन्दू धर्म के लोगों की भावनाएं आहत हैं. इन तीनों ख़बरों के केन्द्र में एक ही चीज़ है और वो है धर्म और धर्म के नाम पर हमारे देश में लोगों की भावनाएं अक्सर आहत हो जाती हैं. हम समझ सकते हैं कि धर्म और उसके प्रति आस्था का मुद्दा काफ़ी संवेदनशील है. 

दुर्घटनाएं होने पर भावनाएं आहत क्यों नहीं होती

इस DNA में हम आपसे कुछ सवाल भी करना चाहते हैं. वो सवाल ये है कि जब किसी राज्य में बाढ़ आती है और इस बाढ़ में सैकड़ों लोग मर जाते हैं, तब किसी की भावनाएं क्यों आहत नहीं होतीं. जब बारिश से एक पूरे शहर में अव्यवस्था फैल जाती है, तब हमारे देश में किसी की भावनाएं आहत क्यों नहीं होती. जब सड़कों पर गड्ढे होने की वजह से लोग दुर्घटनाओं का शिकार हो जाते हैं, तब किसी की भावनाएं आहत क्यों नहीं होतीं. जब विकास कार्यों की वजह से कोई सड़क या मार्ग वर्षों तक बन्द रहता है और इससे हजारों लोगों का जीवन प्रभावित होता है, तब किसी की भावनाएं आहत क्यों नहीं होतीं.

इसलिए हम इन्हीं भावनाओं पर बात करेंगे, जिनमें धर्म के नाम पर तो खूब उबाल आता है. लेकिन जनता की समस्याओं पर ये भावनाएं कभी आहत नहीं होती. कभी हमारे देश की अदालतें इस पर स्वत संज्ञान नहीं लेतीं. नेता इस पर कभी आन्दोलन नहीं करते. सबसे बड़ा दुर्भाग्य ये है कि जब आम लोगों की जान जाती है तो हमारे देश का लोकतंत्र कभी खतरे में नहीं आता.

ठाणे में सड़क के गड्ढे ने ले ली युवक की जान

हमने आपको मुम्बई की सड़कों पर फैले पानी के बारे में बताया था. अब हम आपको मुम्बई के पास ठाणे में हुए एक दर्दनाक हादसे के बारे में बताते हैं, जो किसी के भी साथ हो सकता है. ठाणे में मंगलवार को 37 साल के एक बाइक सवार की दुर्घटना (Road Accident) में मौत हो गई. ये व्यक्ति जिस सड़क से अपने काम पर जा रहा था, उस सड़क पर बारिश के कारण एक बड़ा गड्ढा हो गया था. सड़क पर पानी ज्यादा भरा था इसलिए इस व्यक्ति को ये गड्ढा दिखाई नहीं दिया. जब इस गड्ढे में बाइक के जाने से उसका संतुलन बिगड़ा तो वो नीचे गिर गया.  इस दौरान पीछे से आ रही एक बस ने उसे कुचल दिया.

उस व्यक्ति का नाम मोनिश इरफान था और इसकी गलती सिर्फ इतनी थी कि वह बारिश में भी अपने काम पर जाना जाता था. लेकिन इस गड्ढे ने या ये कहें कि इस सरकारी लापरवाही ने उसकी जान ले ली. लेकिन विडम्बना ये है कि इस व्यक्ति की मौत हमारे देश के मीडिया के लिए बड़ी ख़बर नहीं बनी. हमारे देश में ऐसे कितने ही लोग हैं, जो सरकारी अव्यवस्था और लापरवाही के कारण मर जाते हैं और उनकी कोई बात तक नहीं होती.

4 साल में गड्ढों से 15 हजार लोगों की हुई मौत 

वर्ष 2013 से 2017 के बीच हमारे देश में सड़कों पर गड्ढे होने की वजह से 14 हज़ार 926 लोगों की मौतें (Road Accident) हुई थी. ये आंकड़ा आतंकवादी हमलों में मारे गए लोगों की तुलना में कहीं अधिक था. लेकिन क्या इन लोगों की मौत के लिए किसी की ज़िम्मेदार तय हुई? क्या इस हमारे देश में किसी की भावनाएं आहत हुईं.

वर्ष 2018 में आई NCRB की एक रिपोर्ट बताती है कि देश में दुर्घटनाओं में होने वाली कुल मौतों में से 5 प्रतिशत मौतें खुले मैनहोल या Pothole से होती हैं. इसके अलावा एक RTI से मिली जानकारी के मुताबिक मुंबई में वर्ष 2013 से 2018 के बीच खुले मैनहोल, गटर और समुद्र में डूबने की 639 घटनाएं हुई थीं, जिनमें 328 लोगों की मौत हो गई थी. BMC ने पिछले साल ही बताया था कि मुम्बई की सड़कों पर 900 से ज्यादा गड्ढे हैं.  जबकि दिल्ली में ऐसे गड्ढों की संख्या 1 हजार 357 है. ये जानकारी दिल्ली के PWD विभाग ने दी थी.

बेंगलुरु-तमिलनाडु में भी हाल एक जैसा

वहीं बेंगलूरु में ऐसे गड्ढों की संख्या 9 हजार 500 है. बेंगलूरु में इन गड्ढों की संख्या इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि वहां के लोग एक मोबाइल ऐप के ज़रिए प्रशासन को इसकी शिकायत करते हैं. यानी अगर दिल्ली और मुम्बई में भी लोगों ने शिकायत करनी शुरू कर दी तो इन शहरों में भी इतने गड्ढे मिलेंगे कि हमारे सिस्टम के लिए जवाब देना मुश्किल हो जाएगा.

तमिल नाडु की राजधानी चेन्नई में तो 11 हजार सड़कें ऐसी हैं, जहां कम से कम एक गड्ढा ज़रूर है. यानी चेन्नई में हर तीसरी सड़क पर गड्ढे हैं. इन गड्ढों की वजह से आए दिन हादसे (Road Accident) होते हैं. लेकिन दुख की बात ये है कि इस पर किसी की भावनाएं आहत नहीं होतीं.

अक्सर जब भी ऐसी दुर्घटनाएं सामने आती हैं तो हमारे देश की सरकारें इन पर अफसोस जता कर पीछे हट जाती हैं. लेकिन हम ऐसा नहीं करेंगे. हम आपको ये बताएंगे कि ठाणे में हुई इस दुर्घटना के लिए कौन ज़िम्मेदार है?

ठाणे मे हुए हादसे के लिए ये लोग हैं जिम्मेदार

ठाणे में जिस सड़क पर गड्ढा होने की वजह से ये हादसा हुआ, वो सड़क महाराष्ट्र सरकार के PWD विभाग के अन्तर्गत आती है. इस सड़क के रखरखाव का काम PWD विभाग ही देखता है. इसलिए इस दुर्घटना की पहली जिम्मेदारी PWD विभाग की ही बनती है.

ठाणे के जिस काजूपाड़ा इलाके में ये हादसा हुआ, वो इलाका ठाणे जिले के Mira Bhayandar Municipal Corporation के अधीन आता है. लेकिन इस Municipal Corporation के द्वारा लोगों को इस गड्ढे के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई. और ना ही उसकी तरफ से लोगों को आगाह किया गया. इसलिए इस दुर्घटना के लिए Municipal Corporation के लोग भी जिम्मेदार हैं.

जिस इलाके में ये हादसा (Road Accident) हुआ, वो इलाक़ा मीरा भायंदर वसई विरार पुलिस कमिश्नरेट के अधीन आ है. इसलिए इस दुर्घटना के लिए ट्रैफिक पुलिस भी उतनी ही जिम्मेदार है, क्योंकि उसने इस गड्ढे से लोगों को सावधान करने के लिए कुछ नहीं किया.

कब अपनी जिम्मेदारी समझेंगी देश की सरकारें

हमारे देश पर अंग्रेज़ों ने 200 साल तक राज किया और देश की जनता पर बहुत अत्याचार किए. आजादी के बाद हमारे देश पर बड़े बड़े नेताओं ने राज किया और देश की जनता को सिर्फ वोट देने वाली मशीन बना कर छोड़ दिया. सरकारों ने कभी भी इस तरह की कोई व्यवस्था बनने ही नहीं दी, जिसमें जनता भी सरकार के कामकाज का हिसाब ले सके और एक प्राइवेट कम्पनी की तरह बेहतर सेवाओं की मांग कर सके.

हमारे देश में सड़क और पुल बनाने जैसी कोई भी योजना, कई कई साल तक ऐसे ही अधूरी पड़ी रहती हैं और देश की जनता उसकी वजह से अपने जीवन के कई साल Traffic Jam में खड़े-खड़े बर्बाद कर देती है. लेकिन इस पर कभी कोई बात नहीं होती. गड्ढों में गिरकर लोग अपनी जान गंवा देते हैं, इस पर कभी कोई बात नहीं होती. खराब सड़कों की वजह से हर साल हज़ारों रोड एक्सीडेंट होते हैं और इनमें सैकड़ों लोगों की मौत हो जाती है लेकिन इस पर भी कभी कोई बात नहीं होती

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