भारतीय वैज्ञानिकों ने हासिल की एक और बड़ी कामयाबी, हाइपरसोनिक एयरव्हीकल लॉन्च
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भारतीय वैज्ञानिकों ने हासिल की एक और बड़ी कामयाबी, हाइपरसोनिक एयरव्हीकल लॉन्च

रूस, अमेरिका औऱ चीन के बाद केवल भारत ऐसा देश है जिसने इस तकनीक को विकसित किया है. मैक 6 की रफ्तार हासिल करने वाला भारत चौथा देश बनाा है. 

 

सूत्रों के मुताबिक एक टन वज़नी और 18 फीट लंबे इस एयरव्हीकल को अग्नि 1 मिसाइल से लॉन्च किया गया..  (फोटो: Twitter)

नई दिल्ली: भारतीय वैज्ञानिकों ने स्वदेशी मिसाइल प्रोग्राम को नई ऊंचाई पर पहुंचाते हुए बुधवार को हाइपरसोनिक रफ्तार हासिल करने के लिए टेस्ट लॉन्च किया. इस हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमोन्स्ट्रेटर व्हीकल (Hypersonic Technology Demonstrator Vehicle) को भविष्य में न केवल हाइपरसोनिक क्रूज़ मिसाइलों बनाने में इस्तेमाल होगा बल्कि इसके ज़रिये काफ़ी कम खर्च में सैटेलाइट लॉन्चिंग भी की जा सकेगी. रक्षा अनुसंधान और विकास संस्थान यानी डीआरडीओ ने इस बात की जानकारी नहीं दी कि ये लॉन्च क़ामयाब रहा या नहीं. डीआरडीओ ने एक प्रेस रिलीज़ में केवल ये जानकारी दी कि Technology Demonstrator Vehicle को उड़ीसा के तट से डॉ. अब्दुल कलाम आईलेंड से सफ़लतापूर्वक लॉन्च कर दिया गया. 

Hypersonic Technology Demonstrator Vehicle या एचएसटीडीवी प्रोग्राम को अपने हाइपरसोनिक मिसाइलों के निर्माण के लिए डीआरडीओ पिछले दो दशक से आगे बढ़ा रहा है. इसमें स्क्रैमजेट (SCRAMJET) इंजन का इस्तेमाल होता है जिससे रफ्तार 6 मैक तक हासिल की जा सकती है. भारत ने इंजन से एयरफ्रेम को लगाने का काम 2004 में पूरा कर लिया था.

सूत्रों के मुताबिक एक टन वज़नी और 18 फीट लंबे इस एयरव्हीकल को अग्नि 1 मिसाइल से लॉन्च किया गया. इसे एचएसटीडीवी को एक ख़ांस ऊंचाई तक पहुंचाना था जिसके बाद स्क्रैमजेट इंजन अपने आप चालू होता और वो व्हीकल को 6 मैक की रफ्तार तक पहुंचाता. लेकिन अभी ये साफ़ नहीं हो पाया कि क्या पूरा लॉन्च योजनाबद्ध ढंग से हो पाया या नहीं. इस संबंध में डीआरडीओ ने कोई और जानकारी नहीं दी है. 

हालांकि इस बात का ज्यादा महत्व नहीं है कि लॉन्च क़ामयाब हुआ या नहीं बुधवार को भारतीय वैज्ञानिकों ने एक मील का पत्थर पार कर लिया. रूस, अमेरिका औऱ चीन के बाद केवल भारत ऐसा देश है जिसने इस तकनीक को विकसित किया है. 9 जनवरी 2014 को अमेरिकी जासूसी उपग्रहों ने चीन के किसी फ्लाइंग ऑब्जेक्ट को 5 मैक से 10 मैक की रफ्तार से 100 किमी ऊपर उड़ते हुए रिपोर्ट किया था. बाद में चीन स्वीकार किया कि ये उसका WU-14 एचएसटीडीवी था.

भारत ने रूस के सहयोग से सुपरसोनिक यानी आवाज़ की रफ्तार से ज्यादा तेज़ उड़ने वाली ब्रह्मोस मिसाइल बनाने और उसे शानदार ढंग से इस्तेमाल करने में क़ामयाबी पाई है. इसकी रफ्तार 2.8 मैक तक हो सकती है. लेकिन अब अगला क़दम ब्रह्मोस मार्क 2 के निर्माण का है जिसकी रफ्तार 7 मैक तक होगी. भविष्य में मिसाइलों से लेकर नागरिक इस्तेमाल के लिए लॉन्च व्हीकल बनाने के लिए हाइपरसोनिक रफ्तार हासिल करने की दौड़ होगी. 

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