आज के डिजिटल युग में देश की ज़्यादातर आबादी इंटरनेट और स्मार्टफ़ोन का इस्तेमाल करती है.
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DUAL SIM FRAUD Modus-Operandi: आज के डिजिटल युग में देश की ज़्यादातर आबादी इंटरनेट और स्मार्टफ़ोन का इस्तेमाल करती है. लेनदेन के लिए UPI सबसे पसंदीदा तरीक़ा बन चुका है और आपमें से ज़्यादातर लोग ऐसे होंगे जो अपनी सहूलियत के लिए 2 या उससे भी ज़्यादा नंबर रखते होंगे और अपने फ़ोन में Dual Sim का इस्तेमाल करते होंगे. लेकिन अगर Dual Sim के इस दौर में आप अपने दूसरे नंबर का रिचार्ज करवाना भूल गए हैं तो ये खबर ख़ास तौर पर आपके लिए ही है.
आपकी गलती लुटेरों के लिए वरदान!
क्योंकि अगर आप अपने फ़ोन में मौजूद दूसरे सिम को रिचार्ज करवाना भूल जाते हैं और ये आपको सरदर्द लगता है. तो आपकी ये आदत साइबर लुटेरों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है और इस छोटी सी लापरवाही की वजह से आप अपनी ज़िन्दगी भर की कमाई से हाथ धो सकते हैं और ये बात हम ऐसे ही नहीं कह रहे हैं. पिछले कुछ वक़्त से देश में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां लोगों ने अपनी दूसरी सिम को रिचार्ज करवाना बंद कर दिया. बाद में ये सिम किसी साइबर ठग के हाथ लग गई और उसने पीड़ितों का पूरा खाता खाली कर दिया.
यूपी में सामने आए कई सारे मामले
उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी पिछले महीने ऐसे कुछ मामले सामने आए थे जहां साइबर ठगों ने बंद पड़े सिम कार्ड को दोबारा इश्यू करवा कर लाखों की ठगी को अंजाम दिया था. लखनऊ पुलिस के अनुसार पकड़ा गया आरोप फ़र्ज़ी KYC के ज़रिए बंद पड़े सिम को खरीद कर ठगी को अंजाम दे रहा था.
DUAL SIM FRAUD Modus-Operandi- कैसे होता है अपराध?
- दरअसल ये साइबर अपराधी सबसे पहले फर्ज़ी ID से बन्द पड़ी सिम को खरीदते हैं. कई मामलों में तो इनकी सिम विक्रेताओं से सांठगांठ होती है.
- साइबर लुटेरों की कोशिश होती है कि ये पुरानी डिजिट के नंबर खरीदें, क्योंकि ज़्यादातर लोगों का ये पुराना नंबर ही उनके बैंक एकाउंट और ईमेल आईडी के साथ अटैच रहता है. लापरवाही या जानकारी न होने की वजह से वो इसे बदलते भी नहीं हैं.
- एक बार सिम मिलने के बाद ये अपराधी इन सिम से आपके BHIM-UPI, Paytm, Phonepay या फिर Google Pay जैसी किसी App को Log-in करते हैं.
- लॉगइन करने के बाद इन्हें इन Apps के साथ अटैच आपका बैंक एकाउंट नंबर और ईमेल आईडी मिल जाती है. लांकि ये अपराधी UPI से पैसे ट्रांसफर नहीं करते, क्योंकि UPI से एक दिन में मात्र 1 लाख रुपये तक का ही लेनदेन हो सकता है.
- आपके बैंक एकाउंट की डिटेल लेने के बाद ये ठग बैंक की Internet Banking वेबसाइट पर जाते हैं और वहाँ पहले Forget UserID पर क्लिक करते हैं.
- बैंक की वेबसाइट इनसे एकाउंट नंबर, ईमेल और REGISTERED PHONE नंबर ENTER करने के लिए कहती है जिसे ENTER करने के बाद आपके ही बन्द पड़े सिम पर जो कि बैंक के साथ रजिस्टर्ड है और अब साइबर ठग के पास मौजूद है उस पर OTP आता है.
- OTP enter करते ही अपराधी को Internet Banking की User Id पता चल जाती है.
- ठीक इसी process के ज़रिए ये ठग Forget Password Option का इस्तेमाल करते हैं और अपना नया password generate कर लेते हैं.
- बस इसके बाद ये साइबर लुटेरे इंटरनेट बैंकिंग के ज़रिए आपके एकाउंट को खोलते हैं और फिर पूरा एकाउंट को साफ़ कर देते हैं.
और आपको पता भी नहीं चलता क्योंकि आप अपना वो नंबर तो पहले ही बंद कर चुके होते हैं और ऐसे में आपके पास बैंक ट्रांजैक्शन से जुड़ा कोई मैसेज आने सवाल ही पैदा नहीं होता.
ऐसा क्यों हो रहा है?
साइबर लुटेरे TRAI यानी Telecom Regulatory Authority of India के नए नयमों का फ़ायदा उठा रहे हैं. बीते साल 2022 में TRAI ने नई गाइडलाइन जारी की थी. जिसके मुताबिक जो टेलिकॉम कंपनियां सिम खरीदने पर लाइफटाइम वैलेडिटी दे रही थीं. उसे बंद कर दिया गया.
नए नियमों के मुताबिक अगर यूज़र को अपना नंबर चालू रखना है तो उसे हर महीने अपना सिम रिचार्ज करवाना पड़ेगा. अगर वो ऐसा नहीं करता तो फिर 3 महीने बाद ये नंबर अपने आप बंद हो जाएगा. फिर टेलिकॉम कंपनी उस सिम को किसी दूसरे व्यक्ति को ISSUE कर सकती हैं.
लेकिन TRAI का यही नया नियम अब साइबर ठगों के लिए पैसा लूटने का नया अड्डा बन गया है. इसी तरीके से साइबर लुटेरों ने दिल्ली के कारोबारी शिव कौशिक के खाते से 75 लाख रुपये उड़ा दिए और 5 महीने बीतने के बाद भी उन्हे 1 रुपया तक वापस नहीं मिला है.
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