Jammu Kashmir के पर्यटन पर भारी पड़ रही Corona की मार, अब तक 1500 करोड़ का हुआ नुकसान
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Jammu Kashmir के पर्यटन पर भारी पड़ रही Corona की मार, अब तक 1500 करोड़ का हुआ नुकसान

कोरोना (Coronavirus) की दूसरी लहर ने जम्मू-कश्मीर में पर्यटन (Tourism) उद्योग को भारी झटका दिया है. इससे इस उद्योग को करीब 1500 करोड़ का नुकसान हुआ है.

कोरोना की वजह से डल झील में खाली पड़े शिकारे

श्रीनगर: कोरोना (Coronavirus) की दूसरी लहर ने जम्मू-कश्मीर में पर्यटन (Tourism) उद्योग को भारी झटका दिया है. इससे इस उद्योग को करीब 1500 करोड़ का नुकसान हुआ है. इसके बावजूद पर्यटन कारोबारियों को उम्मीद है कि हालात में जल्द सुधार होगा. 

  1. जम्मू कश्मीर को 1500 करोड़ का नुकसान
  2. सर्दियों में खूब उमड़े थे पर्यटक
  3. लॉकडाउन में लोगों का आना बंद हुआ

जम्मू कश्मीर को 1500 करोड़ का नुकसान

कोरोना (Coronavirus) की दूसरी लहर के कारण देश के स्वास्थ्य ढांचे पर भारी बोझ पड़ा है और आर्थिक स्थिरता बिखर कर रह गई है. पर्यटन उद्योग भी इसकी मार से बच नहीं पाया है. भारत के केंद्र शासित प्रदेशों में से एक जम्मू कश्मीर देश के सबसे बड़े पर्यटक आकर्षणों में से एक हैं. कोरोना महामारी ने यहां भी पर्यटन क्षेत्र को बड़ा झटका दिया है. एक अनुमान के मुताबिक करीब 1500 करोड़ का नुकसान इस उद्योग को सहना पड़ा है.

जम्मू और कश्मीर को धरती का स्वर्ग या जन्नत-उल- फिरदौस के नाम से भी जाना जाता है. विश्व स्तर पर अपनी सुंदरता के चलते यह भारत का सबसे बड़ा पर्यटन केंद्र है. यही वजह है कि इस साल की शुरुआत में कश्मीर में पर्यटन (Tourism) अपने पूरे यौवन पर था. कई सालों बाद कश्मीर में साल के पहले तीन महीनों के लिए 100 प्रतिशत बुकिंग फुल थी लेकिन कोरोना महामारी ने सब खत्म कर दिया. 

सर्दियों में खूब उमड़े थे पर्यटक

पर्यटन निदेशक जी.एन.ईतू कहते हैं, 'यहां विंटर टूरिज्म काफी सफल रहा. इसके लिए विभाग ने काफ़ी मेहनत की. कई रोड शो और फेस्टिवल किए गए, जिससे लोगों में भरोसा बने. लेकिन जब कोरोना महामारी (Coronavirus) की दूसरी लहर शुरू हुई तो यह अंदाज़ा नहीं था कि यह अपने साथ इतना बड़ा तूफ़ान लेकर आएगी कि सब कुछ बैठ जाएगा. कश्मीर में अधिकतर पर्यटक महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली के आते थे. वहां पर लॉकडाउन लगने की वजह से लोग बाहर नहीं निकल पाए. फिर भी हमें उम्मीद है कि आने वाले वक्त में हालात में सुधार हो जाएगा.'

वे बताते हैं कि घाटी के पर्यटन (Tourism) उद्योग से केंद्र शासित प्रदेश के जीडीपी में 8% का योगदान होता है. फिलहाय यह उद्योग ठहरा हुआ है. महामारी के कारण गुलमर्ग, सोनमर्ग और डल झील जैसी जगहें सुनसान पड़ी है. पर्यटक न आने से घाटी में लाखों लोगों की रोज़ी रोटी का जरिया ठप हो गया है. 

लॉकडाउन में लोगों का आना बंद हुआ

कश्मीर यूनाइटेड टूरिज्म फोरम के मेंबर मंज़ूर पख्तून कहते हैं, 'विंटर सीजन में में अच्छा पिकप होने लगा था. लोगों का अच्छा रिस्पांस मिल रहा था. बदकिस्मती से हम फिर कोरोना का शिकार हो गए. लॉकडाउन की वजह से पर्यटकों का आना बिल्कुल बंद हो गया है. अच्छी बात ये है कि पर्यटन विभाग ने हमारे ड्राइवरों, घोड़े वालों, गाइड समेत तमाम लोगों के लिए कोरोना वैक्सीनेशन शुरू कर दिया है.  एसओपी फ़ॉलो कर रहे है अगर हम जाएँगे तो लोग सुरक्षित तरह से हमारा स्वागत करेंगे.'

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वे कहते हैं कि कुछ महीनों तक आसमान को छू रहा कश्मीर का पर्यटन (Tourism) आज शून्य हो गया है. दूसरी लहर के कारण कश्मीर में आज एक भी पर्यटक नहीं है. डल झील के शिकारे वालों को तीन महीने पहले बैठने का समय नहीं मिलता था. वही शिकारे वाले आज पर्यटकों के इंतजार में खाली बैठे हैं. 

'बहुत ज्यादा हो चुका है नुकसान'

शिकारा यूनियन के अध्यक्ष वली मोहम्मद भट कहते हैं, 'नुक़सान बहुत ज्यादा हो चुका है. शुरू में अच्छा काम चला था. अप्रैल में जो दोबारा कोरोना आया, उससे सब खत्म हो गया. अब शिकारा वालों का टीकाकरण शुरू हुआ है. उम्मीद है कि इससे पर्यटकों (Tourism) में अच्छा संदेश जाएगा और वे कश्मीर में आने के लिए प्रेरित होंगे.' 

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