Dwarka expressway: पर्यावरण को बढ़ावा देने के साथ लंबे सफर की थकान के बीच मुसाफिरों को फील गुड कराने के लिए एनएचएआई (NHAI) ने बड़ा फैसला किया है. दरअसल NH-48 पर हरियाली को बढ़ावा देने के लिए 4 छोटे जंगल विकसित किए जाएंगे. इस प्रोजेक्ट में मियावाकी तकनीक का इस्तेमाल होगा.
Trending Photos
Dwarka Expressway NH-48: केंद्र सरकार के विभागों में जब नवाचार की बात आती है तब परिवहन मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) के विभाग का नाम प्रमुखता से लिया जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि एक्सप्रेसवे (Expressway) बनने हों या फिर हाईवे (Highways) का निर्माण, अपने यात्रियों को सुविधाएं देने के मकसद से नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) 'नई सोच-नई एप्रोच' पर चलने की मुहिम में लगातार अनोखे प्रयोग कर रही है. इस सिलसिले में नेशनल हाईवे-48 यानी NH-48 के एक बड़े हिस्से में हरियाली को बढ़ावा देने का फैसला हुआ है.
NH-48 पर चार मिनी फॉरेस्ट
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के मुताबिक इस हाईवे पर मियावाकी तकनीक के जरिए अब 4 छोटे जंगल विकसित किए जाएंगे. द्वारका एक्सप्रेसवे का निरीक्षण करने के दौरान NHAI के अध्यक्ष संतोष कुमार यादव ने कहा, 'द्वारका एक्सप्रेसवे के शुरू होने से गुरुग्राम और दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (IGI) के बीच संपर्क सेवा में सुधार होगा.'
गौरतलब है कि अभी दिल्ली के महिपालपुर से गुरुग्राम स्थित खेड़की दौला को जोड़ने के लिए तैयार किए जा रहे द्वारका एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य आखिरी चरण में है. इस एक्सप्रेस-वे के लिए बजघेड़ा से NH-48 पर बनने वाले क्लोवर लीव पर 4 छोटे जंगल विकसित किए जाएंगे. प्रोजेक्ट की इस सड़क का करीब 19 Km हिस्सा हरियाणा में है वहीं करीब 10 Km हिस्सा दिल्ली में है.
'रास्ते में बढ़ेगी हरियाली-आंखों को मिलेगी ठंडक'
इतने लंबे रूट पर मियावाकी तकनीक से मिनी फॉरेस्ट उगाया जाएगा. इस पद्धति में पौधों को एक-दूसरे से बेहद कम दूरी पर लगाया जाता है. इस तकनीक में स्थानीय मिट्टी में आसानी से उगने वाली प्रजाति के पौधों पर जोर दिया जाता है. आपको बताते चलें कि मियावाकी वृक्षारोपण की मशहूर जापानी तकनीक है. इस तकनीक का प्रयोग कर के कम से कम जगह को भी छोटे बगीचे और जंगल में बदला जा सकता है.