चाचा-भतीजा की लड़ाई में LJP का सिंबल हुआ फ्रीज, चुनाव आयोग ने लिया फैसला
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चाचा-भतीजा की लड़ाई में LJP का सिंबल हुआ फ्रीज, चुनाव आयोग ने लिया फैसला

लोक जन शक्ति पार्टी में चिराग पासवान और उनके चाचा पशुपति कुमार पारस के बीच चल रहे विवाद में नया मोड़ आ गया है. चुनाव आयोग ने पार्टी का सिंबल फ्रीज कर दिया है. 

फाइल फोटो

नई दिल्ली: लोक जन शक्ति पार्टी (LJP) में चिराग पासवान (Chirag Paswan) और उनके चाचा पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) के बीच चल रहे विवाद में नया मोड़ आ गया है. केंद्रीय चुनाव आयोग ने दोनों गुटों के बीच चल रहे टकराव में हस्तक्षेप करते हुए पार्टी के चुनाव चिह्न 'बंगला' को फ्रीज कर दिया है. इस फैसले के बाद विवाद सुलझने तक कोई भी गुट इस सिंबल को चुनावों में इस्तेमाल नहीं कर पाएगा. 

  1. चाचा पारस के नेतृत्व में हुआ 'तख्ता पलट'
  2. बिहार के उपचुनाव बने रण के नए मैदान
  3. 4 अक्टूबर तक नया आवेदन देने का निर्देश

चाचा पारस के नेतृत्व में हुआ 'तख्ता पलट'

बताते चलें कि लोक जन शक्ति पार्टी (LJP) के संस्थापक और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) के निधन के बाद पार्टी के 5 सांसदों ने बगावत कर दी थी. बागी सांसदों के इस गुट का नेतृत्व चिराग पासवान के चाचा पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) कर रहे थे. उनके नेतृत्व वाले गुट ने खुद को असली लोक जन शक्ति पार्टी बताते हुए स्पीकर से लोक सभा में जगह देने की मांग की, जिसे स्वीकार कर लिया गया. इसके बाद पशुपति कुमार पारस को केंद्रीय कैबिनेट में भी शामिल कर लिया गया. 

बिहार के उपचुनाव बने रण के नए मैदान

वहीं रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान (Chirag Paswan) अपने नेतृत्व वाली पार्टी को 'असली' बताते हुए बिहार में पदयात्राएं निकाल रहे हैं. दोनों के बीच चल रहे टकराव का ताजा रण बिहार में हो रहे उपचुनाव बन गए हैं. बिहार में तारापुर और कुशेश्वर सीट पर उपचुनाव होने हैं. चिराग पासवान ने इन दोनों सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की घोषणा कर दी है. पशुपति पारस के गुट ने इस घोषणा को गलत बताया, जिसके बाद असली-नकली पार्टी का मुद्दा चुनाव आयोग में पहुंच गया था.

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4 अक्टूबर तक आवेदन देने का निर्देश

सूत्रों के मुताबिक चिराग और पारस, दोनों गुटों को 4 अक्टूबर को 1 बजे तक अपनी पार्टी का नाम और नए सिंबल के लिए आयोग में आवेदन देना होगा. इसके बाद दोनों को अलग-अलग चुनाव चिह्न आवंटित किए जाएंगे. वे इन चुनाव चिह्नों को उप-चुनाव में इस्तेमाल कर सकेंगे. हालांकि इसके साथ ही दोनों गुटों को 5 नवंबर तक बंगला चुनाव चिह्न पर दावा और सबूत करने के लिए भी कहा गया है. उसके बाद आयोग अपने विवेकानुसार इस मामले पर फैसला लेगा. 

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