गुजरात रास चुनाव: आयोग ने कांग्रेस विधायकों के वोट किये खारिज, भाजपा के लिए दिखाकर डाले थे वोट
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गुजरात रास चुनाव: आयोग ने कांग्रेस विधायकों के वोट किये खारिज, भाजपा के लिए दिखाकर डाले थे वोट

आयोग के आदेश के अनुसार मतदान प्रक्रिया का वीडियो फुटेज देखने के बाद पता चला कि दोनों विधायकों ने मतपत्रों की गोपनीयता का उल्लंघन किया था.

आयोग ने निर्वाचन अधिकारी से कांग्रेस विधायक भोलाभाई गोहिल और राघवजी भाई पटेल के मतपत्रों को अलग करके मतगणना करने को कहा. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: कांग्रेस को बड़ी राहत देते हुए चुनाव आयोग ने गुजरात राज्यसभा चुनाव में उसके दो विधायकों के डाले गये वोटों को ‘मतपत्रों की गोपनीयता’ का उल्लंघन करने के मामले में मंगलवार (8 अगस्त) रात खारिज कर दिया. आयोग ने निर्वाचन अधिकारी से कांग्रेस विधायक भोलाभाई गोहिल और राघवजी भाई पटेल के मतपत्रों को अलग करके मतगणना करने को कहा. आयोग के आदेश के अनुसार मतदान प्रक्रिया का वीडियो फुटेज देखने के बाद पता चला कि दोनों विधायकों ने मतपत्रों की गोपनीयता का उल्लंघन किया था.

इससे पहले गुजरात में राज्यसभा की तीन सीटों के लिए मंगलवार (8 अगस्त) को हुए चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के बीच देर शाम तक उठापटक जारी रही. कांग्रेस जहां अपने एकमात्र प्रत्याशी अहमद पटेल की जीत के लिए संघर्ष करती दिखी, वहीं भाजपा पटेल को जीत हासिल करने से रोकने में अपनी पूरी ताकत से जुटी नजर आई. मतदान के दौरान कांग्रेस के दो विधायकों ने भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में मतदान किया, वहीं कांग्रेस को समर्थन का वादा करने वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के एक विधायक ने भी क्रॉस वोटिंग की.

जनता दल (युनाइटेड) के महासचिव ने जहां कहा था कि राज्य से उनकी पार्टी के एकमात्र विधायक ने भाजपा के पक्ष में मतदान किया था, वहीं खुद विधायक का कहना है कि उन्होंने पटेल के पक्ष में मतदान किया. राजनीतिक उठापटक के बीच कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल की जीत अधर में लटकी हुई है. राज्य से शेष दो सीटों पर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की जीत पक्की है, वहीं तीसरी सीट पर भाजपा ने पटेल के खिलाफ बागी कांग्रेस नेता बलवंत सिंह राजपूत को उतारा है, जिसे लेकर सारी उठापटक चली.

पटेल को 176 सदस्यीय सदन में अपनी सीट जीतने के लिए 45 प्राथमिक मतों की जरूरत है. लेकिन भाजपा के तोड़फोड़ से बचाने के लिए बेंगलुरु भेजे गए 44 कांग्रेस विधायकों में पटेल को 42 विधायकों के ही वोट मिले, जबकि दो विधायकों ने बगावत करते हुए न सिर्फ भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में मतदान किया, बल्कि तीनों प्रत्याशियों को अपना मतपत्र भी दिखा दिया. बागी विधायकों की इस हरकत को लेकर ही सारी राजनीतिक घमासान शुरू हुई, जिसके खिलाफ कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग से शिकायत कर उनके मतों को अवैध करार दिए जाने की मांग की. आयोग ने शिकायत मिलने के बाद मतों की गणना रोक दी. इसे लेकर राजधानी दिल्ली में भी दोनों पार्टियों के शीर्ष नेताओं ने राजनीतिक दांव-पेंच शुरू कर दिए हैं. दोनों ही दलों ने तीन घंटे के अंदर तीन बार आयोग का दरवाजा खटखटाया.

कांग्रेस द्वारा आयोग से शिकायत करने के बाद केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली के नेतृत्व में भाजपा के वरिष्ठ मंत्रियों ने आयोग से मुलाकात की और कांग्रेस पर चुनाव प्रक्रिया को बाधित करने का आरोप लगाया. भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने आयोग से कहा कि संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत कोई भी मतदान संपन्न होने के बाद चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं कर सकता. आयोग से बैठक के बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने पत्रकारों को बताया कि अगर किसी पक्ष को कोई भी शिकायत है तो अदालत में याचिका दायर करना एकमात्र विकल्प है. प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस को सुबह कोई आपत्ति नहीं थी और तब उन्होंने दोनों विवादित मतों को रद्द किए जाने की मांग नहीं की. प्रसाद ने कहा, "हमने निर्वाचन आयोग से बार-बार कहा कि वह कांग्रेस की मांग पर किसी जांच का आदेश न दे. हमने उन्हें साफ तौर पर बता दिया है कि एकबार मतदान हो जाने और मतपत्रों के मतपेटी में बंद होने के बाद आप अदालत जा सकते हैं और निर्वाचन याचिका दायर कर सकते हैं."

इसके बाद गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व में कांग्रेस के भी वरिष्ठ नेताओं का एक दल आयोग से मिला और हरियाणा और राजस्थान में राज्यसभा चुनाव के दौरान घटी इसी तरह की घटना के आधार पर अपने दोनों बागी विधायकों के वोट रद्द किए जाने की मांग की.  पत्रकारों से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने कहा कि उनके पास इसके वीडियो सबूत हैं कि दोनों बागी कांग्रेस विधायकों ने अपने मतपत्र अनिधारिक लोगों को दिखाए. चिदंबरम ने कहा, "हमें पता चला है कि निर्वाचन अधिकारी निर्वाचन आयोग के निर्देश का इंतजार कर रहे हैं. इस मामले में एकमात्र संवैधानिक प्राधिकारी निर्वाचन आयोग है." मतदान पूरा होने के बाद पटेल ने दुखी मन से कहा, "मैं आशावादी हूं, मुझे पूरा विश्वास है." कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पटेल को इससे पहले चार बार राज्यसभा सदस्य चुने जाने में किसी तरह की अड़चन नहीं आई थी, लेकिन इस बार यह उनके राजनीतिक करियर की संभवत: सबसे कड़ी लड़ाई है.

मतदान तय समय से करीब एक घंटे पहले ही संपन्न हो गया. मतदान के बाद पटेल को सबसे बड़ा झटका तब लगा, जब पता चला कि पार्टी से अलग हो चुके, लेकिन पटेल को अपने वोट का भरोसा दे चुके शंकर सिंह वाघेला ने पांच अन्य कांग्रेस विधायकों के साथ भाजपा के पक्ष में मतदान किया है. इतना ही नहीं वाघेला ने यह भी दावा किया कि पटेल ने भाजपा के तोड़फोड़ से बचाने के लिए बेंगलुरू भेज दिए गए 44 कांग्रेस विधायकों पर गलत विश्वास किया. वाघेला ने दावा किया, "कांग्रेस जिन 44 विधायकों पर भरोसा कर रही है, उनमें से भी चार-पांच विधायक पार्टी के समर्थन में वोट नहीं देंगे." वाघेला ने वोट डालने के बाद संवाददाताओं से कहा, "मैंने कांग्रेस के पक्ष में वोट नहीं दिया, क्योंकि अहमद पटेल नहीं जीतने वाले, इसलिए वोट बर्बाद करने का कोई मतलब नहीं है. हमने कई बार गुजारिश की कि विधायकों की शिकायतें सुनी जाएं, लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उन्होंने हमारी बात नहीं सुनी." वाघेला और उनके समर्थकों द्वारा क्रॉस वोटिंग किए जाने के बारे में पूछे जाने पर पटेल ने कहा, "इससे कोई फर्क नहीं पड़ता." राकांपा के एक विधायक जयंत पटेल बोस्की और जद (यू) विधायक छोटूभाई वसावा ने जरूर पटेल के पक्ष में मतदान किया है.

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