Interesting news: हाथी असमय गुजरने वाले अपने बच्‍चों को कैसे दफनाते हैं? पहली बार सच्‍चाई आई सामने
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Interesting news: हाथी असमय गुजरने वाले अपने बच्‍चों को कैसे दफनाते हैं? पहली बार सच्‍चाई आई सामने

Forest News: भारत में हाथी को पूजा जाता है. उसे भगवान गणेश के अवतार माना जाता है. इसके बावजूद ये भी सच है कि चंद पैसों के लालच में यानी हाथी दांत की तस्करी से होने वाली मोटी कमाई के लिए हर साल कई हाथियों को मौत के घाट उतार दिया जाता है.

Interesting news: हाथी असमय गुजरने वाले अपने बच्‍चों को कैसे दफनाते हैं? पहली बार सच्‍चाई आई सामने

Elephants bury dead calves: हाथी एक संवेदनशील जीव है. वो बहुत समझदार होते हैं. भारत के मंदिरों में आज भी हाथियों के दर्शन होते हैं. भक्त हो या पूजा-पाठ कराने वाले यजमान, हाथी अपनी सूंड रखकर आशीर्वाद देते हैं. इस भूमिका के बीच एक स्टडी में हाथियों को लेकर चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. बंगाल में हुई एक स्टडी के मुताबिक पहली बार इस बात का पता चला है कि एशियाई हाथी अपने उन बच्चों को जमीन में दफना देते हैं, जिनकी मृत्यु समय से पहले हो जाती है.

अफ्रीकी लिट्रेचर में था जिक्र-भारत में भी हुई पुष्टि

भारत में हाथियों को पूजा जाता है. उन्हें भगवान गणेश का अवतार माना जाता है. इस लिहाज से यह एक हैरान करने वाली खोज मानी जा रही है. क्योंकि यह उनका एक ऐसा सामाजिक व्यवहार है जिसका इससे पहले केवल अफ्रीकी साहित्य में जिक्र किया गया था. इस खोज ने जानवरों में कम्युनिटी बिहैवियर की स्टडी करने वाले जुलॉजिस्ट यानी जीव वैज्ञानियों और अन्य नेचर एक्सपर्ट्स को चौका दिया है. क्योंकि माना जाता है कि समय से पहले अपने बच्चों को दफनाने की प्रकिया का पालन केवल दीमक की एक प्रजाति (रेटिकुलिटर्मेस फुकिएनेंसिस) करती है, किसी अन्य बड़े स्तनपायी में ऐसा नहीं होता. 

नॉर्थ बंगाल में मिले सबूत

टीओआई में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक ये स्टडी बंगाल के जंगलों, खेतों और चाय बागानों में हुई. बीते कुछ सालों में नॉर्थ बंगाल में हुई करीब हर केस स्टडी में पाया गया कि हाथियों के झुंड ने अपने मृत बछड़ों को दफनाया. उस अवस्था में उनके पैर ऊपर उठे होते थे. उनके अवशेष देखकर ऐसा लगता है कि दफनाते समय उनकी स्थिति कुछ ऐसी दिखती होगी मानो उनका पोस्टमार्टम करने के लिए टेबल पर लिटाया गया हो. बताते चलें कि ये स्टडी इंटरनेशनल लेवल पर पापुलर 'जर्नल ऑफ थ्रेटेंड टैक्सा' में छप चुकी है.

भारतीय वन सेवा (Indian Forest Service) के अध‍िकारी प्रवीण कासवान ने सोशल मीडिया साइट एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर इस स्टडी के बारे में विस्तार से जानकारी दी है. आपको बताते चलें कि बक्सा टाइगर रिजर्व के पूर्व डीएफडी और जलदापारा वन्यजीव प्रभाग के डीएफओ परवीन कासवान की रिपोर्ट्स बेहद सटीक रहती हैं. उनमें उम्दा और रोचक जानकारी होती है.

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